आभासी मित्रता  – अनामिका मिश्रा

राहुल और स्नेहा आभासी दुनिया से मित्र बने। दोनों में गहरी मित्रता हो गई थी। दोनों बस एक दूसरे से मिलना चाहते थे। राहुल ने मिलने के बाद कही, पर स्नेहा खुलकर कह नहीं पायी कि,उसके घर वाले आभासी मित्रता पर भरोसा नहीं रखते, वो मिलने नहीं देंगे। 

उसने राहुल को अपना एड्रेस दे दिया था और कहा, “अगर तुम आना चाहो,तो हमारे घर आ सकते हो!”

पर राहुल सुलझा हुआ लड़का था। 

वो जानता था, अगर स्नेहा के घर गया तो उसके घर वाले गलत सोच लेंगे, और उनकी मित्रता को बदनाम करेंगे। 

इसी बात पर राहुल उदास था और स्नेहा भी परेशान थी ।   

  स्नेहा अपनी परेशानी अपने छोटे भाई को बताती है, तो वह उसे कहता है,”जिससे कभी मिली नहीं हो, और वो भी आभासी मित्र हैं, पिताजी तो कभी नहीं मिलने देंगे, भूल जाओ मित्रता को!”

स्नेहा ने कहा वो सिर्फ मित्र है, एक अच्छा इंसान है, मैं देख चुकी हूं, उसे परख चुकी हूं ,तो क्या हुआ अगर वो पुरुष है, हर कोई एक जैसा नहीं होता!”

स्नेहा इसी तरह बीमार पड़ गई, इतनी बीमार हुई कि हॉस्पिटल में भर्ती करवाना पड़ा। 



उसके शरीर में खून की कमी हो गई थी, और उसका ब्लड ग्रुप हॉस्पिटल में उपलब्ध नहीं था। 

घर वाले परेशान थे।

तभी एक अजनबी रक्तदान के लिए आया। 

उसका ब्लड ग्रुप, स्नेहा के ब्लड ग्रुप से मैच कर गया और उसने अपना रक्तदान किया। उसके पिता गदगद हो गए। 

उसका आभार व्यक्त करने लगे, और उस उसका परिचय जाने का प्रयास करने लगे, तो स्नेहा का भाई बीच में बोल पड़ा ,”पिता जी ये राहुल है, स्नेहा और राहुल अच्छे मित्र हैं, इनका परिचय एफबी पर हुआ था, इनका परसों फोन आया तो,मैंने सारी सच्चाई इनको बता दी,तो आज इन्होंने अपनी मित्रता का परिचय दिय, और ये भी साबित किया कि आभासी मित्र भी अच्छे निकलते हैं, सब एक जैसे नहीं होते, और कुछ बातें संजोग की भी होती है! “

 राहुल की मुलाकात स्नेहा से कराई गई । 

स्नेहा बहुत खुश हो गई। दोनों ही मिलकर खुश हुए। राहुल ने कहा,”अब तुम्हें भी आना होगा, हमारे घर,अब हम आभासी मित्र नहीं है, सुनकर स्नेहा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, और राहुल ने अपनी मित्रता का सही ढंग से परिचय दिया। 

#दोस्ती_यारी 

स्वरचित अनामिका मिश्रा 

झारखंड जमशेदपुर

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!