अजनबी बहनें – अनुपमा

अनुभा नई नई शादी होकर आई थी , छोटा शहर था , यहां ज्यादा कुछ था नही घूमने को , ना कोई अच्छा बाजार था , ना कहीं जाने की जगह , बहुत बोर हो जाती थी वो सारे दिन , अनुभा रवि से हमेशा यही शिकायत करती जाने कैसी जगह है ना कोई जान पहचान न कोई अच्छी जगह जहां आ जा सके । रवि ने उससे कहा की आसपास की कुछ लेडीज से पता करो की वो लोग क्या करती है , हो सकता है तुम्हे कुछ अपना समय व्यतीत करने के लिए मिल जाए ।

एक दिन रवि अनुभा को अपनी ऑफिस की छोटी सी पार्टी मैं ले गया जो उसके आगमन की खुशी मैं रखी गई थी । वहां अनुभा की मुलाकात रवि ने अपने दोस्त अनुज और उसकी पत्नी सीमा से करवाई । अनुभा और सीमा की कुछ ही समय मैं अच्छी दोस्ती हो गई , अनुभा को पता चला की यहां लेडीज ने किट्टी पार्टीज कर रखी है , जिसमें वो सभी से मिल लेती है और उनका मनोरंजन भी हो जाता है , साथ ही त्योहारी मौसम मैं कुछ खास कार्यक्रम भी रख लिए जाते है । अनुभा को सीमा ने अपनी अगली किट्टी पार्टी मैं आने का आमंत्रण भी दे दिया । 

अनुभा पहली बार जब किट्टी पार्टी मैं पहुंची तो सभी उसके लिए अजनबी ही थे पर तंबोला और गेम्स खेल कर उसे बड़ा मजा आया और सीमा के कहने पर उसने किट्टी ज्वाइन कर ली । अब सीमा और अनुभा की दोस्ती बहुत अच्छी हो गई थी , जैसे बचपन की दोस्त हो , दोनो ही बड़े शहर की थी दोनो ही घूमने की शकीन थी और दोनो की ही सोच काफी मिलती भी थी , रवि और अनुज कहते भी थे तुम दोनो तो ऐसे रहते हो जैसे बहनें हो । अनुभा कभी सीमा को कभी सीमा अनुभा को डिनर पर बुलाती ,रवि और अनुज का भी मिलना हो जाता और उन दोनो का समय भी पास हो जाता । अनुभा खुले विचारों की स्वच्छंद प्रवृति की थी वो अनुज से बात करती तो बहुत सहज रहती , अब वो लोग साथ ही आसपास की जगह भी घूमने का प्लान साथ ही बनाने लगे थे ।

कुल मिला कर अनुभा और सीमा ने वहां खुद को अच्छे से ढाल लिया था और सबकुछ सही चल रहा था ,दोनो पक्की सहेलियां भी बन गई थी । 



एक दिन सीमा और अनुज अनुभा के घर आए थे , अनुभा जब किचन मैं कुछ लेने गई तो अपने पीछे उसने अनुज को खड़े पाया , एकदम से उसे अपने पीछे पा कर अनुभा सकपका गई , अनुज ने भी हंसते हुए कहा अरे डर क्यों गई मैं तो बस बर्फ लेने आया था , इसी तरह एक बार जब वो चारों घूमने गए हुए थे तब अनुज ठीक न महसूस होने का बहाना बना कर गाड़ी मैं पीछे अनुभा के पास आ कर बैठ गया और सीमा को आगे रवि के पास भेज दिया , अब जान का या अनजाने से कभी पैर कभी हाथ वो अनुभा के हाथ से टच करा देता और अनुभा अपनी नजरें नीची करके बैठी रहती वो समझ नही पाती की ये गाड़ी की गति की वजह से हो रहा है या अनुज जानबूझ के कर रहा है ।

अनुभा अब थोड़ा सतर्क रहने लगी थी , वो अनुज से कम ही बोलती और अब कई बार वो रवि के बनाए हुए कार्यकर्म भी रद्द कर देती । 

एक बार अनुभा के मना करने पर भी रवि ने अनुज और सीमा को घर बुला लिया था , अनुभा ने बहाना किया था पर रवि के आगे उसकी एक न चली । अनुज भी बहुत दिन बाद अनुभा से मिला था तो बातों बातों मैं उसने पूछ भी लिया था की क्या बात है भाभी जी नाराज है क्या आप हमसे इस बार तो बहुत दिन मैं दावत दी आपने , सीमा से झगड़ा हुआ क्या आपका ?

अनुभा बस मुस्करा दी और उठ कर चली गई किचन मैं सामान लेने , अनुज भी बहाने से वहां आ गया और उसने पीछे से अनुभा को अपनी बाहों मैं ले लिया और किस कर दिया , अनुभा घबरा गई और खुद को उससे अलग करके बाहर आ गई । 

सीमा और अनुज के जाने के बाद अनुभा समझ नही पा रही थी क्या करे , रवि को बताए , सीमा से उसकी इतनी अच्छी दोस्ती है क्या वो विश्वास करेगी या हर बार की तरह स्त्री पर ही दोषारोपण कर दिया जायेगा । अनुभा सीमा से अपनी दोस्ती खराब नही करना चाहती थी पर किसी निश्चय पर भी नही पहुंच पा रही थी , यही सब सोचते सोचते कब उसकी आंख लग गई उसे पता ही नही चला ।

सुबह जब रवि को चाय दी अनुभा ने तो उसके चेहरे को देख कर रवि ने पूछा की क्या हुआ है पर वो कुछ बोल ही नहीं पाई।

सारा दिन उसका इसी उहापोह मैं बीत गया , शाम होते ही उसने सीमा को फोन किया और उसे सारी बात बताते हुए  कहा की उसके पास कोई सबूत तो नही है पर वो जो कह रही है सब सच ही है और वो अपनी दोस्ती मैं कोई बैमानी नही करना चाहती है और ये भी नही चाहती है की आज चुप रह कर वो इस चीज के लिए मैं स्वीकृति दे रही है इस गलतफहमी मैं अनुज न रहे , और कल को वो उसपर ही दोषारोपण कर दे , और उसने सारी बात रवि को भी बताने का निश्चय कर लिया है । सीमा ने उसपर विश्वास करते हुए कहा की वो जानती है अनुज को लेकिन वो तुम्हारे साथ भी ऐसा करेगा ये उसने कभी नही सोचा था , और उसकी और अनुभा की दोस्ती मैं कोई फर्क नही आयेगा , हमेशा पुरुष की गलतियों की सजा हम क्यों भुगते । आज इस बात को 25 साल हो गए है और वो अभी भी बहनों की तरह अपनी दोस्ती निभा रही है ।

 

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