जिंदगी में कब कौन सा मोड़ आयेगा –  मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :  नीलम और प्रिया देवरानी जेठानी थी ।नीलम के पति यानि प्रिया के जेठ का बिजनेस था और प्रिया के पति नौकरी करते थे।नीलम के पास पैसा था।दो बेटे थे जो पढ़-लिखकर अच्छी नौकरी में थे बड़ा बेटा पूना में नौकरी करता था और छोटा अमेरिका में था ।नीलम को अपने पैसे और बेटों का बड़ा गुरूर था ,और थोड़ी देखने सुनने में अच्छी थी तो वो अपने आगे किसी को कुछ समझती ही नहीं थी ।

हर समय अपने पैसे गाड़ी और बेटों की बात करती रहती थी।प्रिया के पति की आय सीमित थी एक बेटा और एक बेटी थी जेठानी नीलम प्रिया को अपने से बहुत कम आंकती थी । हंलाकि नीलम के पास अपना मकान था और गाड़ी भी थी लेकिन जब भी प्रिया के घर आती बडा़ फ्लैट खरीदना है

बड़ी गाड़ी खरीदना है कहती बच्चे कह रहे हैं क्या मम्मी पापा इतनी छोटी सी गाड़ी में घूमते हो बड़ी गाड़ी खरीदो यही सब बातें वे जब भी प्रिया के घर आती प्रिया को सुनाने के लिए जानबूझ कर ये बाते करती । प्रिया भी चुपचाप सुनती रहती क्यों कि उसके पास इतना नहीं था ।उसके बच्चे अभी पढ़ रहे थे और जेठानी के बच्चे पढ़-लिख कर नौकरी कर रहे थे उससे भी सपोर्ट था।

                    नीलम के बड़े बेटे की शादी हो गई थी तो अक्सर नीलम और उनके पति को बेटे बहू के पास जाना होता था लेकिन दोनों का वहां मन नहीं लगता था अच्छा नहीं लगता था बामुश्किल पंद्रह दिन से ज्यादा नहीं रहते थे वापस चलें आते थे ।बेटा बहुत रोकता था पर रूकते नहीं थे ।

अपने घर आने पर नीलम और उनके पति बोलते अरे वहां अच्छा नहीं लगता बस दो कमरों के फ्लैट में बंद होकर रह जाओ न किसी से मिलना जुलना न कोई बात करने वाला बेटा अपनी नौकरी में व्यस्त रहता और आजकल की बहुएं तो बात करतीं नहीं है मोबाइल में ही चिपकी रहती है ।

और कहीं जाना हो तो बेटा ले जाए तो जाओ अकेले जा नहीं सकते क्योंकि शहर और रास्ता अनजान होता है।हम लोग तो अपने घर में ही रहेंगे अपने घर में हमें अच्छा लगता है अब अपने घर में तो सबको अच्छा लगता है।दो साल बाद छोटे बेटे की भी शादी हो गई और वह बहू को लेकर अमेरिका चला गया । लेकिन होना तो कुछ और ही होता है जिंदगी में हम जैसा चाहते हैं वैसा कहां होता है।

               नीलम अब बीमार रहने लगी थी असल में बाहर खाने पीने का बहुत शौक था और फिर उम्र भी हो रही थी। चूंकि बड़ा बेटा पूना में रहता था तो कुछ ज्यादा परेशानी हुई तो आ जाता था छोटा तो इतनी जल्दी और रोज़ रोज़ आ नहीं सकता था। फिर नौकरी में आप इतनी छुट्टियां भी नहीं ले सकते हो रोज रोज आना नहीं हो सकता ।

लेकिन नीलम और उनके पति बेटे के पास जाने को राजी ही नहीं थे कहते दस पंद्रह दिन तो ठीक है लेकिन वहां जाकर रहना ये हम नहीं कर सकते ।बेटा कहता पापा अब काम धंधा बंद करो क्या जरूरत है अब काम करने की सभी जरूरतें पूरी हो चुकी है अब इतनी मेहनत करते रहने की क्या जरूरत है। नीलम के पति को भी कुछ समय पहले हार्ट प्राब्लम हो गई थी तो डाक्टर ने पेसमेकर लगाने की सलाह दी थी वो उनको लग गया था । इसी लिए बेटा मना करता था कि अब काम मत करों।

                  बेटे के बहुत जिद करने पर नीलम और उनके पति बेटे के पास गये नीलम बिल्कुल भी तैयार नहीं थी पूना जाने को अपने घर में रहुंगी ऐसी जिद पकड़े रहती थी लेकिन तबियत ठीक न होने की वजह से जाना पड़ा यहां कोई देखरेख करने वाला नहीं था हंलाकि नौकरों के भरोसे उनका सारा काम हो जाता था लेकिन दिनभर घर में कौन रहे ।

                 अब कोई भी बिजनेस एकदम से तो बंद नहीं किया जा सकता है सो नीलम के पति ने सुपरवाइजर के सहारे काम को छोड़ कर पूना गये ।डेढ़ महीने करीब पूना में रहे बेटा आने नहीं दे रहा था लेकिन नीलम और उनके पति आने की जिद पकड़े थे सो बेटा तैयार हो गया दोनों को ट्रेन में बिठा दिया ।

पूना से अपने शहर आने में बीस बाइस घंटे का सफर था दूसरे दिन दो बजे करीब आ पाते । लेकिन होनी को तो कुछ और ही मंजूर था। दूसरे दिन सुबह जब टायलेट गये और वही उनको सीने में दर्द उठा और और बेहोश हो गए कुछ देर जब बाहर नहीं आए तो नीलम ने उठकर देखा तो बेहोश पड़े थे कुछ लोगों की मदद से बाहर निकाला इमरजेंसी में गाड़ी रोककर अस्पताल में भर्ती कराया जहां उनकी मौत हो गई सीवियर हार्टअटैक आया था इलाज मिलने में देर हो गई इसलिए उनको बचाया नहीं जा सका।

                   बेचारे अपने घर भी नहीं आ पाए जीते जी। फिर डेडबाडी लाई गई । बहुत दुखद मोड़ आ गया जिंदगी का बेचारे जा नहीं रहे थे जबरदस्ती से गए थे ।और लौटना भी हुआ तो इस हालत में।अब जाने वाले को कौन रोक पाया है। तेरहवीं तक बेटे बहू यही घर पर रहे ।छोटा बेटा उस समय तो नहीं आ पाया जब डेथ हुई थी बाद में आया।

वापस तो सबको अपने अपने काम पर जाना है आखिर नौकरी तो करनी है न।नीलम भाभी किसी भी हालत में पूना जाने को तैयार नहीं हो रही थी । प्रिया देवरानी से कह रही थी कि तुम अपने पास रख लो लेकिन अब बहू बेटों के रहते देवरानी कैसे रख लें । आखिर कार नीलम भाभी को बेटे के साथ पूना जाना ही पड़ा यहां कैसे अकेले रहती।

              आज छै साल हो गए हैं भाभी को पूना में रहते हुए।अब तो उनका घर भी बिक गया जब किसी को यहां रहना नहीं है तो क्या होगा घर रखकर।जब भी नीलम भाभी से बात होती है बहुत रोती है बहुत याद आती है अपने घर की कहती हैं जहां रहना नहीं चाह रही थी आखिर वही रहना पड़ रहा है। क्या कर सकते हैं किसी को भी नहीं मालूम कब कैसा मोड़ आ जाए जिंदगी में।

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

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