ये क्या अनर्थ कर दिया तुमने- संध्या सिन्हा : Moral Stories in Hindi

हमारे पड़ोस में रहने वाली सरला जी छोटा सा परिवार  था, सरला जी एक   इंटर कॉलेज में हिन्दी की टीचर थी  और उनके पति ए.जी. ऑफिस में सेक्शन ऑफिसर। बड़ा बेटा बैंक में पीं.ओ. है और बहू कॉन्वेंट स्कूल में टीचर, बेटी भी एमबीए कर चुकी हैं… उसी की शादी के लिए लड़का देख रही, बेटी बहुत सुंदर है सरला जी की। अथक प्रयास स्वरूप अब जाकर उनका सपना पूरा हुआ था, सी.ए. दामाद पाकर बहुत खुश थे सभी। 

    सगाई और तिलक बहुत  अच्छे से संम्पन किया था सरला जी और उनके पति हरीश जी ने।

      विवाह के लिये सिविललाइंस  में ‘होटल मिलन’ बुक किया हैं।दुल्हन बनी  बिटिया  शिवि बहुत प्यारी लग रही थी। पड़ोसी होने के कारण अत्यधिक आना-जाना था हमारा। ‘द्वार-चार और जयमाल’ की रस्म बहुत अच्छे है सम्पन्न हो गया। आधे से ज़ायदा लोग चले गये थे बाद कुछ रिश्तेदार और क़रीब थे जो .. रात भर ब्याह के कार्यक्रम में शामिल होने को थे। सरला जी के कहने पर मैं भी रुक गई रात भर शादी देखने के लिए।रात दो बजे के आस-पास  शादी के बाक़ी के कार्यक्रम मंडप के नीचे संपन्न हो रहे थे पर…उनके पति आनंद जी दिखाई नहीं दे रहे थे… कन्या दान का समय हो रहा था पर … सरला जी, ना आनंद जी ना बेटा अभिनव, बहू शिखा … पता नहीं कहाँ थे एयर पंडित जी ने  नाऊन से पिता,भाई और माँ को बुला लाने को कहा। नाऊन  उठ कर अंदर गई और थोड़ी देर में वापस आ गई और बोली दस मिनट में सब आ रहे।

 समझ में नहीं आ रहा था कि…मज़ारा क्या हैं?? तभी शिखा बहू ने आकर मुझसे कहा कि… मम्मी आपको अंदर बुला रही.. .

अंदर कमरे में जाने पर….. हे भगवान! यें # क्या अनर्थ कर दिया प्रभु तुमने!!!कमरे में सरला जी के पति मृत पड़े थे, सरला जी एक टक मृत पति को देखे जा रही थी। अभी तो सब ठीक था ये कैसे .. मन में कई सवाल उमड़-गुमड़ को रहे थे अब क्या होगा??? 

“सरिता जी आप बाहर  किसी को मत बताइएगा प्लीज़। शिवि के विदा होने से पहले।”

“ # ये क्या अनर्थ …करने जा रही है सरला जी!  कन्यादान कैसे करेंगी आप अब??” मैंने कहा।

“ कोई बात नहीं सारिता जी , शिवि का कन्यादान अब  अभिनव और शिखा करेंगे।” सरला जी ने कहा।

“ पी..र…”

“ पर वर कुछ नहीं.. माना कि # बहुत बड़ा अनर्थ हुआ हैं, लेकिन मेरी बेटी का विवाह नहीं रूकेगा।”

चलो – चलो सब जल्दी से शिवि के ब्याह की  आगे की रस्में पूरी  करों” सरला जी ने मंडप में प्रवेश करते हुवे कहा।

सभी रस्में पूरी करते हुवे किसी के भी चेहरे पर शिकन तक ना थी, शांतिपूर्ण विवाह सम्पन्न हो गया और बेटी शिवि विदा हो गयी।

अरे.. # ये क्या अनर्थ हो गया… जब  क़रीब दो घंटे बाद … उसी घर ने मातम का माहौल देखा आस-पास वालों ने… अभी तो बेटी विदा हुई है ये अचानक से कैसे??? सभी के मन में ये सवाल था। 

पता चला कि.. जयमाल जे बाद अचानक से  आनंद  की  को हार्ट में दर्द हुआ  और वि पसीने-पसीने होने लगे तो लोगो ने समझा कि … बेटी की शादी की थकान और घबराहट और उदासी हैं… पर जब  घरेलू  उपचार से कोई फ़ायदा  ना हुआ तो बेटा अभिनव  डॉक्टर को बुलाया.. तब पता चला कि.. आनंद की डेथ हो चुकी है.. उनका हार्ट शिंक हो गया था और बी.पी. लो हो जाने से हार्ट-अटैक पड़ा और डेथ हो गयी।

परिवार वालों से हिवाह रोकने को कहा तो सरला जी सबको मना करते हुवे कहा—“ नहीं… शिवि का ब्याह नहीं रोकेगा… भले ही ईश्वर ने मेरी माँग उजाड़ी हैं लेकिन… अपनी बेटी की माँग में आज सिंदूर पड़ेगा।” कमरे में उचित व्यवस्था कर उन्होंने सबको कमरे से बाहर निकलने को कह कर मैं मंडप की तरफ़ बढ़ी।

कभी -कभी हमारे जीवन ऐसी घटना घटित हो जाती की…  उचित- अनुचित समझ से परे हो जाता है..ध्यान में आता है सिर्फ़ अपना कर्त्तव्य! सरला जी ने वैसा ही किया।कुछ रिश्तेदार उनके साहस की  प्रशंसा कर रहे थे तो कुछ दबी ज़ुबान से  # ये क्या अनर्थ करी से ये औरत… पति की लाश घर पर पड़ी है  और इन्हें बेटी के व्याह की पड़ी हैं।क्या अनर्थ कर रही ये औरत???

   जीवन में कभी-कभी ऐसे मोड़ आ जाते है … समझ नहीं आता क्या करे??? फिर आत्म-मंथन कर हम एक निर्णय लेते हैं… उस समय उचित-अनुचित नहीं सिर्फ़ मन की सुनते हैं… लोगो की नज़रों में वो फ़ैसले भले ही ग़लत हो .. पर अपनी नज़र में वो सही लगता है और सही होता भी हैं। सरला जी एकदम सही थी मेरी नज़रों में… आप सब की क्या राय है ???… मेरी इस कहानी को पढ़  कर  अवश्य ही अपने विचार कमेंट द्वारा अवगत कराइयेगा।

संध्या सिन्हा 

# ये क्या अनर्थ कर दिया तुमने

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