बेजुबान- अंजना ठाकुर : Moral Stories in Hindi

ये क्या अनर्थ कर दिया ये बिल्ली के बच्चे कहां से उठा लाया तुझे पता नहीं घर मैं बिल्ली पालना अशुभ होता है दादी पोते यश के हाथ मै बिल्ली के बच्चे देख चिल्लाई ।

अरे दादी ये  बिल्ली ने सड़क किनारे बच्चे दिए है अब कुत्ते ने देख लिए तो उनको मारने आ रहा है अब बेचारी बिल्ली कहां तक बचाएगी ।

मुझे ये सब नहीं पता बहू समझा ले इसे नहीं तो मेरा हाथ उठ जाएगा ।किरण आवाज सुन कर बाहर आई तो देखा उसका दस साल का बेटा और उसके दोस्त बिल्ली के बच्चे लिए खड़े है पीछे पीछे  बिल्ली भी आ गई ।

यश को बचपन से ही जानवरों के प्रति दया भाव है क्योंकि उसने पापा को मदद करते देखा है ।

उसकी दादी को जानवरों से नफरत है उनका मानना है ये लोग गंदे होते है और घर भी गंदा होता है और इनके छू जाने से बार बार नहाना पड़ता है इस कारण घर मैं वो किसी को पालने नही देती ।इस कारण यश बाहर के जानवरो को ही पापा  के साथ जा कर  ,खिला लेता उन्हे कभी बिस्कुट, दूध ,सर्दी मैं बिछाने का वंदोवस्त  ये सब करते रहते किरण को भी कोई दिक्कत नहीं थी बस मांजी की वजह से वो भी घर मैं नहीं लाने देती ।

आज सुबह जब यश बाहर गया तो देखा बिल्ली ने बच्चे दिए है शायद किसी के घर मैं व्यवस्था नही हो पाई क्योंकि आजकल बंद घर होते है इस कारण उसने एक जगह सुनसान देख बच्चे दिए लेकिन कुत्तों को खुशबू से पता चल जाता है और वो झपटने को हुए तभी यश और उसके दोस्तों ने डंडे से भगाया और बच्चों को दोस्तों की मदद से अपने घर ले आया ।

यश बोला दादी पार्किंग मैं रख देंगे थोड़े दिन मैं चले ही जायेंगे पर दादी बोली लेकिन वो यहां वहां जाएंगे तू अभी इन्हे छोड़ कर आ मैं कोई अनर्थ नहीं होने देना चाहती घर मैं बिल्ली का रहना अपशगुन होता है ।किरण को देख यश बोला मां आप ही समझाओ ना। बेचारे मर जाएंगे।

किरण बोली मांजी किसी की जान बचाने से बड़ा पुण्य क्या होगा ।इसमें क्या अनर्थ हो जाएगा रखने

दीजिए उसे और ये सब मन का बहम है आज कल तो लोग बिल्लियां पाल रहे हैं ।

मांजी बोली नही ये कितनी गंदी होती है बच्चे रहेंगे तो बिल्ली भी आयेगी और जाने क्या क्या खा कर हमारे घर मैं आयेगी मैं अपना धर्म भ्रष्ट नही कर सकती।

किरण बोली मांजी वो उनका खाना है माना वो अस्वच्छ है पर अछूत नहीं है और हम ध्यान रखेंगे घर के अंदर नहीं आए और किसी को जान बुझकर मरने छोड़ देने से भी तो धर्म का निरादर होता है।

अब मांजी पर कोई जवाब नही था । यश ने जल्दी से बच्चों को सुरक्षित जगह रखा और उनके लिए दूध लेने चला गया।

दादी अभी भी मन मै कोई अनर्थ नहीं हो जाए इसी बात की दुआ कर रही थी ।।

इस कहानी लिखने का उद्देश्य यही है की लोग जानवर के साथ कभी कभी इसी कारण बुरा सलूक होने देते है क्यूंकि वो अस्वच्छ होते है कई बार वो तड़पते भी रहते है या जान भी चली जाती है वो मूक है हमें उनकी भावना समझनी चाहिए ।घर मैं पालना संभव नहीं है पर मदद तो कर ही सकते है

ऐसे मेरे विचार है ।

 

स्वरचित

अंजना ठाकुर

#ये क्या अनर्थ कर दिया

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