ये क्या अनर्थ कर दिया है तुमने-के कामेश्वरी Moral stories in hindi

मेरे बच्चे अपनी पत्नियों के साथ अमेरिका जा रहे थे । हम दोनों पति पत्नी को साथ बिठाकर बड़े बेटे ने कहा कि माँ पापा आप दोनों शादी के इतने सालों बाद अभी भी लड़ते रहते हैं । हम अपनी नौकरियों और परिवार में व्यस्त रहते हैं । आप लोगों के बीच सुलह कराना हमारे बस की बात नहीं है । 

हम वहाँ निश्चिंत होकर रहें ऐसा आप दोनों चाहते हैं तो आप दोनों अच्छे से रहिए । एक दूसरे की बात की कद्र कीजिए मैं आश्चर्यचकित होकर उन दोनों को देख रही थी । यह मेरे ही बच्चे हैं । बचपन में पिता जब बेवजह मुझे बातें सुनाते थे तो मुझसे कहते थे कि माँ आप सब कुछ चुपचाप सुनतीं हैं । इसलिए वे आपको सबके सामने ज़लील करते हैं । आप हिम्मत रखिए हम आपके साथ हैं । आप अपनी बात को उनके सामने रखिए । 

मैं उनसे कहती थी । तुम्हारे पिता उनकी बात को काटकर जवाब देना पसंद नहीं करते हैं । घर में क्लेश हो मैं यह नहीं चाहती हूँ और यह बात मैं आज तक निभा रही हूँ । 

आज बच्चे मुझसे कह रहे हैं कि आप पिता से झगड़िए मत कीजिए । मैं कब झगड़ी मैं तो अपना मुँह भी नहीं खोलती हूँ । 

उनकी बातों को सुनकर मेरा दिल दुखने लगा । वह जब शादी करके इस घर में आई थी तो सास ससुर ननंदों ने उसका जीना हराम कर दिया था । 

जब मैंने पति की तरफ़ देखा तो वे उनसे भी दो कदम आगे ही थे । बात बात पर चिल्लाना किसी भी तरह से अपनी बात मनवाना और सामने वाला सही भी क्यों ना हो उसे नीचा दिखाकर उससे यह कहलवाना कि मैं ही गलत थी आप एकदम सही हो । मुझे कभी लगता था कि इन्हें कितना घमंड है । 

नौकरी करके पैसे पत्नी को देकर सोचते हैं कि मैंने अपना फ़र्ज़ निभा लिया है । बच्चों को हमेशा शिकायत रहती थी कि उनके दोस्तों के पापा उन्हें अपने साथ घुमाने ले ज़ाया करते हैं । हमारे पापा हमें कहीं नहीं ले जाते हैं । 

यह काम भी मुझे ही करना पडता था । पार्क ले जाना या पिक्चर ले जाना यह भी मैं ही करती थी । 

अपनी गलत आदतों और उम्र की वजह से उनकी तबियत ठीक नहीं है इसलिए वे और भी ज़्यादा चिड़चिड़े हो गए थे । वे पहले भी सास ससुर ननंदों के सामने नीचा दिखाने का मौक़ा नहीं छोड़ते थे । अब तो बाहर वालों के सामने भी मायके वालों का और मेरा अपमान करके खुश होते थे ।

इन सब बातों पर मैंने ध्यान देना छोड़ दिया था । 

 

ईश्वर की कृपा से मेरे बच्चे अच्छे निकल गए हैं । बड़े बेटे ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी । 

उसने कहा कि वह एम एस करने के लिए अमेरिका जाना चाहता है । पति ने सीधे मना कर दिया था कि नहीं जाएगा याने नहीं जाएगा । मेरी तरफ़ से कोई और बात नहीं है ।

मैं बेटे को दुखी नहीं करना चाहती थी इसलिए इनके साथ लड़ झगड़कर उसे मेरे गहने दिए और थोड़ा सा बैंक लोन लेकर उसे अमेरिका भेजा । उसने दो साल में  मेरे गहने छुड़वा दिया था । लोन भी पूरा कर रहा है । 

इस बीच छोटे की इंजनीयरिंग की पढ़ाई पूरी हुई और वह भी अमेरिका पहुँच गया था । 

मेरे पति को मुझसे अब भी बहुत सारी शिकायतें हैं । 

मेरी तो सुबह बच्चों से शुरू होती थी और रात बच्चों से पूरी होती थी । एकदम उनमें ही डूबती तैरती थी । जब दोनों ही नौकरी करने लगे थे तो उनके लिए रिश्ते आने लगे । 

मैंने सोचा पहले बड़े बेटे की शादी करके फिर छोटे की करेंगे । इस बीच बड़े बेटे ने कहा कि वह उसकी क्लास मेट के साथ शादी करना चाहता है । वह दूसरे जाति की है । 

मेरे पति ने आसमान सर पर उठा लिया था कि और मुझ पर चिल्लाने लगे थे कि  ये क्या अनर्थ कर दिया है तुमने । अपने बेटे को दूसरी जाति की लड़की से शादी के लिए इजाज़त दे दी । 

मैंने कहा कि मैंने इजाज़त नहीं दी है आपसे पूछ रही हूँ । उसकी जिद है कि वह उसी लड़की से शादी करेगा वरना शादी नहीं करेगा । 

मुझे मालूम है तुम्हारी परवरिश ही ऐसी है इसलिए वह दूसरी जाति की लड़की से शादी करने की सोच रहा है । जब तक मैं ज़िंदा हूँ ऐसा अनर्थ नहीं होने दूँगा यह शादी कभी नहीं होगी । 

बेटे ने कहा कि करूँगा तो उसी लड़की से अन्यथा शादी ही नहीं करूँगा । मुझे समझ में नहीं आ रहा है माँ कि इसमें अनर्थ क्या हो गया है दूसरी जाति की लड़की से ही तो शादी कर रहा हूँ । आजकल तो यह कॉमन है । 

वैसे भी हम लोग यहाँ रहने वाले नहीं है । हमें देखने की इच्छा हो तो आप ही आ जाना । आपके ऊपर इतना चिल्ला रहे हैं जैसे मैंने कोई खून कर दिया है । 

मैं दोनों के बीच पिस रही थी । बेटे को एक बार फिर से समझाने की कोशिश की थी पर वह नहीं माना । 

पति को ही पकड़ा उनके ही सामने रो धोकर किसी तरह उन्हें इस शादी के लिए राजी कर लिया था । 

बड़ा बेटा खुश हो गया और इंडिया आकर यहीं पर शादी करके चला गया था । 

छोटे बेटे के लिए पति ने अपने ही रिश्तेदारी में एक अपनी पसंद की लड़की को चुना । उन्होंने यहाँ तक कह दिया था कि तुम्हारे समान मैं ऐरे गैरे रिश्ते नहीं लाना चाहता हूँ मेरे छोटे बेटे के लिए ।और हाँ तुम इस शादी से जितना दूर रहोगी तुम्हारे लिए उतना अच्छा रहेगा । 

मेरे पति ने अमेरिका का वास्ता देकर उन लोगों से बहुत सारी दहेज की माँग की थी । उन्होंने भी सोचा कि बिटिया यहाँ नहीं रहेगी अमेरिका में राज करेगी । इसलिए पति की हर माँग को उन्होंने पूरा किया था । 

मेरे दोनों बेटे इंडिया आए और छोटे की शादी में पति ने ही सारी ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ले ली थी । 

उसी समय पंडित ने मुझसे कुछ सामान की माँग की थी। 

 मैं लेने जा रही थी कि सबके सामने उन्होंने जोर ज़ोर से चिल्लाते मुझसे कहा कि जल्दी पैर नहीं उठते हैं क्या? तुम्हारी जैसी बेवकूफ और निकम्मी से शादी करके मैं अब तक पछता रहा हूँ । 

दहेज तो कुछ लेकर आई नहीं ऊपर से काम की ना काज की दुश्मन अनाज की है । इतने सालों से फुकट में बिठाकर तुम्हें खाना खिला रहा हूँ । 

मैंने कुछ नहीं कहा परंतु मेरी आँखें भर आईं थीं । मुझे बुरा भी बहुत लगा ऐसा लग रहा था कि इतने लोगों के सामने ऐसी बेइज़्ज़ती । ऐसा लग रहा था कि अभी यहीं पर इन्हें छोड़कर चली जाऊँ । लेकिन इस उम्र में जाऊँगी तो लोग क्या कहेंगे । यह भी सोचना था । 

मुझे दुख इस बात का हुआ था कि बेटों ने थे भी उनसे नहीं कहा कि सबके सामने माँ को क्यों डाँट रहे हैं ।

 वे तो अपने अपने ससुराल वालों की ख़ुशामदी में डूबे हुए थे ख़ैर नई नई शादी हुई है नए रिश्तों को निभाना था । उनकी अपनी अलग दुनिया बन गई है । आज वही बच्चे मुझे नसीहत दे रहे हैं कि पिताजी के साथ लड़ाई मत करो । 

मैं क्या करूँ इसलिए बच्चों की बातों को सुन कर वहाँ से अंदर चली गई थी। 

ताज्जुब की बात यह थी कि इस बार बच्चों को छोड़ने के लिए एयरपोर्ट गई थी परंतु मेरी आँखों से एक बूँद भी आँसू नहीं बहा ।

 मैं थक गई इन सबकी बातों को सुनकर मेरा दिल दुखने लगा ऐसा लग रहा था कि किसी से कहकर जी हल्का कर लूँ पर किससे कहूँ । 

दिल ने कहा कोरे काग़ज़ पर लिखकर दिल हल्का कर लो । यह बात मुझे अच्छी लगी । मैंने लिखना शुरू किया और लिखती गई 

पन्नों को भर रही थी दिल हल्का हो रहा था । अचानक ऐसे लगा जैसे आँखों के आगे अँधेरा छा गया है आँखें बंद हो रही थी और मैं गहरी नींद में सो गई थी । अचानक नींद में ही मुझे ऐसा लग रहा था कि कोई रो रहा है कौन है वह और क्यों रो रहा है पता नहीं । 

बहुत ही मुश्किल से मैंने धीरे-धीरे अपनी आँखें खोल कर देखा तो मेरे पैरों के पास पतिदेव बैठे हुए थे और रो रहे थे । 

नर्स ने कहा कि पेशेंट ने आँखें खोलीं हैं मैं डॉक्टर को बुलाकर लाती हूँ । वे भी उठकर खड़े हो गए और मुझे देखकर कहा तुमने पंद्रह दिनों के बाद आँखें नहीं खोली हैं । तुम्हें इस हालत में देख मैं तो डर गया था। 

अस्पताल से डिस्चार्ज हो कर जब घर आई तो मेरा हाथ पकड़कर कहने लगे कि मैंने तुम्हारी लिखी हुई बातों से तुम्हारे दिल के दर्द को पढ़ा है । उसे पढ़ने पर मुझे लग रहा था कि मैं कितना बुरा था । मैंने बहुत सारी ग़लतियाँ की हैं । 

जब तुम्हारा दिल माने तब ही तुम मुझे माफ करना । मैं तो तुमसे माफ़ी माँगने के लायक़ ही नहीं हूँ । 

मुझे उनका पछताना अच्छा लगा कहते हैं ना कि सुबह का भूला शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते हैं । अब हम दोनों ही तो बचे हुए हैं इसलिए मैंने इन्हें दिल से माफ कर दिया है । 

अब वे मेरी मदद करते हैं । मेरे साथ बैठकर बातें करते हैं । हमें हमारे बच्चों से कोई शिकायत नहीं है वे अपने घर में खुश तो हम अपने घर में खुश हैं । मुझे लगता है कि चलो मुझे समझने में इन्होंने ज़्यादा देर नहीं की है । 

के कामेश्वरी

#ये क्या अनर्थ कर दिया तुमने

5 thoughts on “ये क्या अनर्थ कर दिया है तुमने-के कामेश्वरी Moral stories in hindi”

  1. Bhut emotional story.aaj bhi aise jawan sathi hain ??
    Beyond ka kya wo to thoda change ho jate hain kyonki unki ak alag duniya bn jati hai.

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  2. I think it’s too late now for a divorce or forgiveness. And it’s a reality of Indian families. I don’t have such patience.

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  3. 🙏आपकी बेहोशी में जब घर संभालना पड़ा तो अकल आई. आप पहले बीमार क्यों नहीं पड़ी?🙏

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