वो मुलाक़ात मेरे लिए आख़री थी (भाग -5 )- अनु माथुर  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : अब तक आपने पढ़ा ..

आरती के चले जाने के बाद आनंद principal मैम से पता करने की कोशिश करता है कि आरती कहाँ गयी है.. लेकिन वो उसे कुछ नही बताती..

अब आगे…

शाम हो चली थी आरती और आनंद दोनों को ही इस बात की ख़बर नही थी ….

अम्मा ने टैक्सी वाले से पूछा – अभी कितनी देर और है पहुँचने में  ?

बस आ ही गए – उसने बताया

आप गाड़ी रोकिए कहीं

ठीक है ..उसने कहा और गाड़ी एक किनारे लगा दी |

अम्मा ने मुझे हिला कर बोला  –  बिटिया उठो थोड़ा सा पानी या कुछ ले लो हम पहुँचने वाले है |

मैंने अपनी आँखें खोली और बाहर देखा तो शाम हो गयी थी….

लो  बिटिया अम्मा ने मेरे हाथों मे पानी की bottle देते हुए कहा लो बिटिया और कुछ खा लो… कुछ नही खाया तुमने

मैंने सीधे बैठते हुए कहा – नही अम्मा मन नही है मेरा…दो घूँट पानी पिया मैंने और अपने को ठीक करके बैठ गयी |

अम्मा ने टैक्सी वाले को वापस से चलने के लिए बोल दिया |

आधे घंटे बाद टैक्सी मेरे घर के सामने खड़ी थी . .. अम्मा ने उतर कर घर की डोरबेल बजायी अंदर से दरवाज़ा खुला और एक प्यारी से लड़की दौड़ते हुए मेरी तरफ आयी और मेरे गले लग गयी… उसने मेरे गले लगे हुए ही बोला — बुआ आप आ गयी… मैंने बहुत miss किया आपको…ये श्रेया थी मेरे भईया की बेटी…अंदर से एक और आवाज़ आयी… अंदर तो आने दो बुआ को ये आरती की भाभी थी रेखा .. अम्मा आप यहीं रुके ये आ रहे है बस हाँ ठीक है दुल्हन.. आओ आरती समान आपके भईया रखवा लेंगे… मैं श्रेया के साथ अंदर गयी सामने से भईया आते दिखाई दिए… आ गयी आरती.. कैसा रहा सफर… ?

अरे क्या आप भी पहले बैठने तो दें उसको.. और सामान निकलवाये गाड़ी से अम्मा बाहर ही है |

अरे जा रहे है भाई  आरती के भईया अरविंद जी ने कहा

पूछ ही तो रहा था मैं कि सफर कैसा रहा नही पूछाता तो कहती बहन आयी और ये पूछ भी नही रहे ….

क्या कहा आपने

कुछ भी तो नही

तो फिर जल्दी जाए अम्मा बाहर खड़ी हैं |

आ गयी आरती

जी मामाजी… कैसा रहा सफर उन्होंने पूछा

ठीक था…

अम्मा आप कैसी है ?

अच्छे है बिटवा

बहुरिया नही दिख रही

हम यहाँ है अम्मा कैसी है आप … और आरती तुम?

हम ठीक है बहुरिया…. हम भी ठीक है मामी

कमला…. कहाँ है ? अम्मा ने पूछा

कमला दीदी को हमने भेजा है बुआ की मनपसंद कचौरी लेने बस आती होगी – श्रेया बोली

ओहो बुआ आपके बहाने हमें भी खाने को मिलेगी

ओह देखो ज़रा जैसे इनको हम कुछ खाने नही देते है – रेखा बोली

बस करें आप दोनों – मैंने कहा

श्रेया आप  जाए tution श्रेया की दादी ने कहा

अरे अब क्या ज़रूरत है दादी.. बुआ पढ़ा देंगी ना मुझे..क्यों बुआ आप पढ़ा देंगी ना मुझे ?

हाँ हमारी गुडिया रानी हम पढ़ा देंगे आपको

नहीं… आरती इतने दिनों बाद आयी है थोड़ा rest तो करने दो फिर पढ़ा देंगी तुम्हें

Ok.. तो आज की ये अदालत यहीं समाप्त होती है… लेकिन एक हफ्ते के बाद आपको इसी  अदालत में हाज़री लगाने का हुक़ुम देती है |

आरती हँस दी – ये क्या है गुडिया

कुछ नहीं आरती तुम्हारी भतीजी को lawyer बनना है तो बस… बाहर से सामान लाते हुए अरविंद ने कहा

हाँ तो हम बनेंगे lawyer देख लीजियेगा पापा |

हाँ बिल्कुल… हमें तो देखना ही है.. पहले आप  12th पास करें CLAT का exam दें उसमें पास हो तब कहना |

श्रेया बोली – हम कसम खाते है कि हम 12th पास करेंगे और जैसा कि आपने कहा CLAT का exam भी देंगे और Lawyer बन कर दिखायेंगे |

सब ज़ोर से हँ दिए और आरती भी

अम्मा आरती को ऐसे हँसता देख कर खुश थी |

तभी आरती दीदी आप आ गयी सबने उधर देखा कमला हाथों में दो पैकेट लिए खड़ी थी

आ गई कमला दीदी लाओ हमें दो ये.. और जल्दी से पैकेट में से एक काचौरी निकाल कर उसमें से ज़रा सा तोड़ कर खा कर बोली  वाह कमला दीदी आपने तो जिंदगी बना दी

चलो हम चले.. मिलते है ब्रेक के बाद कहते हुए बाहर चली गयी

आरती ने रेखा की तरफ देखा और बोली – भाभी श्रेया  कितनी बातें करने लगी है फोन पर तो कभी ऐसे नही करती थी

अरे आरती पूछो मत ये लड़की सारा घर सर पर उठाए रखती है और देखा ना तुमने Lawyer बनने का भूत सवार हो गया है

थोड़ी बहुत तुमसे मिलती है ये लेकिन समझदारी बिल्कुल भी नही है |

हो जायेगी भाभी अभी बच्ची है

इतनी देर में कमला सबके लिए चाय बना कर ले आयी

कमला अम्मा के गाँव से आयी थी कोई दूर की रिश्तेदार थी  वो यहीं रहती थी … और घर का काम करती थी |

चलो अब चाय पियो और rest करो..

रेखा ने कहा  – कमला .. आरती का समान उसके कमरे में पहुँचा दो | अम्मा का भी ले जाओ |

उधर आनंद लगातार बजती हुई फोन की आवाज़ से उठ गया … उसने फोन हाथ में लिया और देखा तो उसके बड़े भाई का मनोज का फोन था

उसने call pick किया और बोला

हैलो

आनंद कहाँ हो तुम… सुबह से शाम हो गयी देखो ज़रा अपने फोन को कितने फोन किए… शेखर भईया का भी फोन आया था.. वो तो बहुत परेशान हो रहे थे कि तुम फोन pick नही कर रहे हो … ये सब मनोज एक ही सांस में बोल गए

भईया…..

क्या हुआ है आनंद… तुम्हारी तबियत तो ठीक है ?

भईया… वो मुझे छोड़ कर चली गयीं

एक पल को मनोज चुप हो गए फिर बोले – क्या हुआ.. हम लोग तो सब तैयार थे.. उसके घर वाले

पता नही भईया कल तक सब ठीक था.. आज अचानक वो बिना कुछ भी बताए चलीं गयी |

आनंद तुम वापस आ जाओ…

मैं देखता हूँ

कुछ नहीं देखना है आनंद तुम वापस आ जाओ

समान pack करो अपना … और कुछ ऐसा  वैसा सोचना भी मत  आओ  तुम  हम देखते है क्या करना है |

हम्म कह कर आनंद ने फोन रख दिया

मनोज ने सारी बात सुमन और अपनी माँ को भी बता दी |

अगले दिन आनंद ने अपना resignation letter principal मैम को दिया और वहाँ से निकल गया |

शाम तक आनंद अपने घर पहुँच गया… आनंद के छोटा से परिवार में उसकी माँ  ,भईया, भाभी और उनकी एक बेटी कनिका थी |

रात के वक़्त मनोज और सुमन उसके कमरे मे आए और पूछा

क्या हुआ आनंद ?

मनोज ने उसका हाथ अपने हाथों में लेते हुए कहा

चिंता मत कर हम ढूँढ लेंगे…

कहाँ से ढूँढ लेंगे भईया…. कहीं कोई ज़रिया नही है…. किसी भी social media पर उनका account नही है…फोन उनका बंद है

तुमने कॉलेज में पता किया….

हाँ सब किया…. Principal मैम ने बताया ही नही….. और किसी से मैंने पूछना ठीक नही समझा |

हम्म मनोज ने कहा

आप जाए भईया रात काफी हो गयी है

सुमन ने कहा – आनंद दिल छोटा नही करें आप मिल जायेगी.. नाम तो बताया नहीं आपने

इस बात पर आनंद चुप हो गया

बताए नाम क्या है उनका ?

भाभी रहने दे जो आया ही नही जिंदगी में उनका नाम बता कर क्या फायदा |

ठीक है जब आपका मन हो बता देना |

आप सो जाए सुबह बात करते हैं |

दोनों जाने लगे तो आनंद ने पीछे से पुकारा भइया

हम्म कह कर मनोज उसकी तरफ घूमे आनंद ने दौड़ कर उन्हें गले से लगा लिया… आँसू उसकी आँखों से बह निकले | सुमन ने देखा तो वो धीरे से कमरे से बाहर निकल गयी |

आरती और आनंद अपने अपने घर वापस आ गए थे | दिल में दर्द दोनों के था | आनंद के सवालों का जवाब सिर्फ आरती के पास था |

रेखा ने आरती की आँखों में खालीपन को देख लिया था …..उसके  पूछने पर अम्मा ने सारी बातें बता दी जो भी हुआ | किसी ने भी आरती से कुछ नही कहा | उसने बस कभी वापस ना  पढाने का फैसला किया …..शायद उसे डर था कि कहीं कहीं किसी मोड़ पर वो आनंद से ना टकरा जाए |

आरती ने अपने मामा और भइया के साथ उनकी paint की shop में  accounts का काम देखना शुरू कर दिया और साथ में वो श्रेया को भी पढ़ा देती थी |

वो आनंद को भूलने की कोशिश में कामों में लगी रहती… लेकिन उसकी कोशिश बेकार थी जब भी वो अपने गले मे आनंद की दी हुयी चेन देखती आनंद की यादें उसके सामने वीडियो की तरह चलने लगती थी |

आनंद ने manegment किया था उसने फिर से पढाई शुरू की और phd करने का मन बना लिया उसकी एक वजह और भी थी वो अपने को busy रखना चाहता था… आरती की यादों से दूर रहना चाहता था… लेकिन यादें तो यादें होती है जब तक आनंद busy रहता वो सब कुछ भूल जाता… लेकिन जब भी वो अकेला होता आरती की यादें उसे बेचैन कर देती थी |

ऐसे ही समय गुज़रता गया…. आरती अब shop का पूरा काम अरविंद के साथ मिल कर देखने लगी थी  ….श्रेया ने जो कहा कर दिखाया था… उसे  मुंबई में law कॉलेज में addmission मिल गया था |

आनंद ने phd complete की और वो बहुत अच्छा प्रोफेसर बन गया था | बहुत से कॉलेजस् से उसको आ कर लेक्चर देने के लिए बुलाते थे |

7 साल बाद..

मुंबई …

मुंबई airport पर ब्लू कॉलर का suit पहने हुए  आँखों में चश्मा एक हाथ में bag और दूसरे हाथ में mobile पर  कुछ  देखता हुआ आ रहा था |

तभी किसी ने पुकार सर….

ये आनंद था |

चौथे भाग का लिंक

वो मुलाक़ात मेरे लिए आख़री थी (भाग -4 )- अनु माथुर  : Moral stories in hindi

आशा करती हूँ कहानी का ये भाग आपको पसंद आया होगा | फिर मिलूँगी अगले भाग के साथ |

भाग 6 का लिंक 

वो मुलाक़ात मेरे लिए आख़री थी (भाग -6 )- अनु माथुर  : Moral stories in hindi

धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहानी

अनु माथुर

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