वो मुलाक़ात मेरे लिए आख़री थी (भाग -6 )- अनु माथुर  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  :

अब तक आपने पढ़ा ..

आरती और आनंद अपने – अपने घर आ गए थे…समय कुछ आगे बढ़ गया था.. दिल में एक दूसरे की याद लिए वो दोनों भी 

ज़िंदगी को जीने की कोशिश में लगे हुए थे

अब आगे….

सुबह के आठ बजे थे…आनंद मुंबई आ गया था… Airport  पर वो खड़ा हुआ अपने मोबाइल में कुछ कर रहा था… तभी उसको किसी ने पुकारा

सर…. आनंद ने सामने  देखा

Good morning sir…मैं रोहित

Good morning आनंद ने कहा

चलें सर मैं आपको लेने आया हूँ.. आपका सामान?

ये रहा…. आनंद न अपने हाथ में दिखाते हुए कहा

मुझे दे दें सर..

अरे नही एक bag ही तो है… आप चले

Ok सर… रोहित ने कहा

आनंद रोहित के साथ cab तक आया और उसमें बैठ गया |

Cab में बैठे कर आनंद ने रोहित से कहा – आज sunday और कॉलेज  कल जाना है तो आप मुझे अभी इस location पर छोड़ दें |

रोहित ने cab वाले को location दिखायी और चलने को बोला |

आप यही रहते है रोहित ?

जी सर पनवेल में

आप पहली बार मुंबई आए हैं सर ?

नही… लेकिन  काफी time हो गया |

Ok सर

आप किसी के घर जा रहे है सर?

हाँ घर ही है

Ok सर

1 घंटे बाद बाद आनंद की cab एक बंगले के सामने आ कर रुकी…

Cab से उतर कर रोहित ने आनंद से कहा -सर आप call करके बता दीजियेगा.. मैं कल आपको लेने आ जाऊंगा… ये मेरा नंबर है |

ठीक है आनंद ने कहा |

आनंद ने डोरबेल बजायी…..

मधु ने दरवाज़ा खोला और मुस्कुरा कर बोला आनंद…

आनंद ने झुक कर झुककर पैर छुए  .. और बोला – कैसी है भाभी आप?

बिल्कुल ठीक …और तुम्हारे आने से तो और भी बढ़िया..

आनंद मुस्कुरा दिया..

आओ तुम्हारे भइया तो इंतज़ार ही कर रहे हैं तुम्हारा

शेखर भईया… आनंद ने अंदर जा कर पुकारा

आनंद…

वो अपनी जगह से उठे आनंद ने उनके पैर छुए तो शेखर ने उसे उठाकर गले से लगा लिया | कैसे हो आनंद… ?

अच्छा हूँ भइया कहकर दोनों बैठ गए

सफर कैसा रहा

बहुत थकाने वाला था ….

आनंद चाचा… दूसरी तरफ से आवाज़ आयी..

शशांक कैसे हो?  बढ़िया चाचा ….आप बताए… कह कर शशांक आनंद के गले से लग गया |

आनंद ने उसको अलग करते हुए कहा – अदिति कहाँ है?

हम यहाँ है चाचा  अदिति ने आते हुए कहा

आनंद ने उसे देखा और मुस्कुरा कर बोला

कैसी है हमारी छोटी सी वकील साहिबा ?

हम अच्छे है चाचा आप कैसे है  ?

देख लो तुम्हारे सामने है

अदिति ने आनंद को उपर से नीचे तक देखा और बोली —  handsome cheerfull  हमेशा की तरह आनंद ने उसे side se hug कर लिया |

चलें आए सब berakfast ready है -मधु ने कहा

सब table पर आ कर बैठ गए… अदिति और शशांक आनंद के आजु – बाजू … आ कर बैठ गए

मम्मी आज तो lunch पर चाचा के  पसंद का खाना बनेगा.. और sweet मे खीर

बिल्कुल ये भी कोई पूछने वाली बात है?

खीर बनेगी और हमें नही मिलेगी – शेखर ने  कहा

मिलेगी ना बिना चीनी की… आप चाय पी चुके है चीनी वाली  डॉक्टर ने मना किया है फिर भी बच्चों की तरह करते हैं आप..

बिना चीनी की खीर.. रहने दें आप हम नही  खायेंगे

ठीक है..

मधु ने कहा और नाश्ता करने लगी

आनंद थोड़ा रेस्ट करो तुम.. मिलते है lunch पर.

ठीक है भईया

शशांक  ने कहा….चलिए चाचा आपको रूम दिखा देते है आप फ्रेश हो जाइये फिर करते है बातें शशांक ने कहा और तीनो बातें करते हुए चले गए

मधु उन तीनो को जाते हुए देख रही थी

क्या हुआ – शेखर ने पूछा

आनंद के आने से आने से रौनक आ गयी घर में वरना तो सब अपने अपने में बहुत busy रहते है… शशांक और अदिति भी खुश लग रहे है

हाँ…. आनंद है ही ऐसा… जैसा नाम वैसा गुण…काश वो लड़की इसे छोड़ कर नहीं गयी होती |

सही कहा आपने सबको खुशियाँ बाँटता फिरता और खुद अंदर से बिल्कुल टूट गया है… बस काम ..काम …काम कहीं एक जगह रहना नही चाहता अब ये |

यहाँ कितने दिनों के लिए आया है?

अभी पूछा नहीं मैंने … मेरा बस चले तो मैं उसको रोक ही लूँ  – मधु ने कहा |

दोपहर में सबने lunch किया और शाम को आनंद, शशांक और अदिति घूमने निकल गए… आनंद के आने से सब खुश थे |

अगले दिन सब नाश्ते की table पर बैठे थे  अदिति आनंद के पास वाली chair पर बैठी थी… शशांक ने आते हुए कहा

मम्मी जल्दी करें… देर हो जायेगी मुझे

हाँ हो गया बस. बैठो तुम -मधु ने चाय लाते हुए कहा

आनंद ने कहा – शशांक आज शाम को चलते है मन्दिर… भाभी बता रहीं थी iscon का मन्दिर बहुत सुंदर बन गया है

नहीं चाचा आज तो 10 बजे से पहले मैं आ ही नही पाऊँगा.. एक case के सिलसिले में मुझे किसी से मिलने

जाना है | हम लोग weekend पर चलते हैं सब घूमने |

ठीक है… वैसे मैं भी weekdays में कहाँ फ्री हूँ |

तभी एक मीठी सी आवाज़ आयी…

Good morning.. सबको

श्रेया बेटा .. मधु ने कहा

आनंद ने घूम कर देखा black coat pant, white shirt कंधे तक कटे हुए बाल एक side मे bag लिए हुए श्रेया उन सबकी तरफ आ रही थी… आनंद की नज़र एक पल को उस पर ठहर गयी थी…

अदिति ने आनंद को कोहनी मारते हुए धीरे से कहा… चाचा अब आप भाई को देखना

क्यों?

बस देखना ..

आनंद ने शशांक की तरफ देखा…. शशांक एकटक श्रेया को देखे जा रहा था..

श्रेया ने अदिति की तरफ देख कर कहा – तुम्हारा नाश्ता हो गया हो तो चलें कॉलेज..

हाँ हो गया…इनसे मिलो ये आनंद चाचा है

नमस्ते श्रेया ने दोनों हाथ जोड़ कर कहा

आनंद ने अपनी आँखों को झपका कर कहा – नमस्ते

मैं आयी बस coat लेकर अदिति coat लेने चली गयी

श्रेया ने शशांक की तरफ देखा और बोली – आज शाम को आप फ्री है क्या शशांक जी?

शशांक ने उसे देखते हुए कहा हाँ

वो मुझे आपसे एक case के सिलसिले में help चाहिए थी… कुछ discuss करना था… आप फ्री है तो मैं आती हूँ 8 बजे तक आप आ जायेंगे ना?

हाँ… मैं फ्री हूँ…. आप आ सकती हो

ठीक है तो मैं आती हूँ 8 बजे तक

Ok.. शशांक ने कहा

श्रेया कुछ ले लो…

नही aunty Ji मैंने किया breakkfast

मधु ने फिर कहा – तुम weekend में फ्री हो तो चलो हमारे साथ हमनें घूमने का प्रोग्राम बनाया है |

हाँ फ्री तो हूँ… अरे नही aunty Ji… वो मेरी बुआ आ रहीं है … तो

अदिति ने पीछे से आते हुए कहा – तूने बताया नहीं मुझे.. बुआ आ रहीं है तेरी

उनका आने का confirm ही अभी हुआ है यहाँ आते – आते उनका फोन आया |

अच्छा…..तो  उनको भी ले चलेंगे अदिति ने कहा वो तो पहली बार आ रहीं है ना?

हाँ…..वो भी मेरी धमकी देने पर कि नही आयी तो मैं नहीं आने वाली इस बार 7 साल से वो बरेली से बाहर गयी ही नहीं |

चलो अच्छी बात है तुम्हारी बुआ आ रही है.. उनको ले कर आना हम भी मिल लेंगे उनसे  मधु ने कहा

जी ज़रूर

चलो अब…अदिति ने आते हुए कहा गाड़ी की चाबी ली और सबको bye बोल कर चली गयी |

शशांक श्रेया को जाते हुए मुस्कुरा कर देख रहा था

आनंद को शरारत सूझी तो उसने शशांक से कहा – कितने बजे कह गयी है श्रेया आने को

शशांक ने वैसे ही दरवाज़े की तरफ देखते हुए बोला – आठ.. और रुक गया

क्या चाचा…

आनंद ज़ोर से हँस दिया |

शशांक उठा और जाने लगा तो आनंद ने कहा… सब पता चल गया हमें

शशांक मुस्कुरा कर अपना bag ले कर चला गया |

मधु ने नाश्ता करते हुए आनंद से कहा – 5 साल से जानते है हम श्रेया को….बहुत प्यारी बच्ची है … संस्कारी और पढ़ने में भी अच्छी है…

तो देर किस बात की है भाभी… बात करें आप दोनों की शादी की |

नहीं अभी शशांक ready नहीं है …और श्रेया का भी last year है…उसके अपने भी सपने होंगे….और हमें तो ये भी नही पता कि श्रेया के मन में क्या है ? शशांक को पसंद है श्रेया… हमको भी कोई problem नही है… लेकिन शशांक उस से खुद बात करना चाहता है | तुम देखना बात करके|

ह्म्म ठीक है…..चलो अब मैं भी चलता हूँ… मिलते है शाम को |कह कर आनंद निकल गया |

उधर गाड़ी में श्रेया ने अदिति से पूछा – तेरे चाचा तो शुभम है ना… जो अभी singapur में है.. तो ये?

अदिति ने गाड़ी चलाते हुए कहा – ये आनंद चाचा है.. इनसे हमारा blood realation नहीं है… इनके पापा और मेरे दादाजी एक ही गाँव के थे .. और पड़ोसी थे… जैसा कि गाँव में होता है…. सबसे मिलना जुलना  दादाजी और चाचा के पापा अच्छे दोस्त बन गए…

साथ में बड़े हुए …और दोस्ती गहरी हो गयी फिर दोनों की शादी हुई तो दादी और चाचा की मम्मी ने भी इस दोस्ती के रिश्ते को अपना लिया |  फिर पापा हुए लेकिन चाचा की मम्मी को कोई baby नहीं था पुराने ज़माने में ये सब बातें बहुत एहमियत रखती थी |

पापा जब 8 साल के थे तब शुभम चाचा हुए और तभी आनंद चाचा के बड़े भाई मनोज चाचा….फिर आनंद चाचा पाँच साल बाद हुए | दादाजी की दोस्ती और गहरी होती चली गयी | पापा सबसे बड़े थे और उन्होंने तीनो चाचा को अपने भाई की तरह रखा |

आनंद चाचा से तीनों बहुत प्यार करते है … अब तो लगता ही नहीं कि हम सब अलग है…एक ही परिवार लगता है मेरे दादा, दादी और चाचा के पापा अब नहीं है …. लेकिन रिश्ता अभी भी है …और ऐसे ही चल रहा है |

Intresting…. आजकल ऐसे रिश्ते कहाँ मिलते है?

वैसे क्या करते ये ?

प्रोफेसर हैं ..

अच्छा

चल कॉलेज आ गया |

रात को आनंद ने शशांक के कमरे में knock किया.. मैं आ जाऊँ ?

शशांक ने अंदर से ही कहा – हाँ चाचा बिल्कुल आए आप

आनंद अंदर आया तो उसके पीछे अदिति भी उसके साथ आ गयी …

आनंद शशांक  को कॉफी दे कर सामने रखी हुयी chair par बैठ गया | अदिति भी उसके बेड पर कॉफी ले कर बैठ गयी…

तो अब बताये शशांक ?

क्या बताऊँ ?

अरे ये कुछ नहीं बतायेंगे… मैं बताती हूँ आपको

अदिति ने कॉफी के cup को side टेबल पर रख और अपनी गोदी में pillow ले कर बैठ गयी और बोली – श्रेया से मेरी पहचान कॉलेज के  orentation wale पहले दिन ही हुयी थी … पता नही लेकिन वो मुझे अच्छी  लगी.. तब वो अपने mummy, पापा के साथ आयी थी .. बस हमारी दोस्ती हो गयी…. भाईया तब 4th year थे… कॉलेज कम ही आते थे…

CR के selection के दिन seniors भी आए थे तब  भाई ने उसे देखा…. क्या speech दी थी श्रेया ने ..सारा depatment उसकी तारीफ कर रहा था.. सब उसको जानने लगे… पढ़ने में वो अच्छी है… और बस तभी से भाई को वो पसंद आ गयी |

लेकिन ये अभी तक अपने दिल की बात उसे बोल नहीं पाए …

शशांक बस मुस्कुरा रहा था…

ऐसे तो बात नहीं बढ़ेगी… बोलना तो पड़ेगा ना – आनंद ने कहा

पता नही वो मुझे पसंद करती भी है या नही ?

करती है…. मुझे पता है… और चाचा वो लड़की हो कर थोड़ी बोलेगी… मैं आपको पसंद करती हूँ… क्या भाई आप भी ना

चुप करो तुम

आनंद ने हँसते हुए कहा – तो चलते है बाहर कहीं ले कर इन दोनों को… करते है माहौल तैयार कुछ romantic सा… जहाँ ये हो और श्रेया और इनके दिल की बात हो |

चलो अदिति सोचते है कुछ…

Good night शशांक……कह कर वो दोनों उसके रूम से बाहर निकल गए |

एक हफ्ते बाद…

श्रेया airport पर  आरती के आने का wait कर  रही थी…. दूर से उसे आरती आती हुयी दिखाई दी… उसने अपना हाथ हिलाया …आरती ने उसे देखा और मुस्कुरा कर उसकी तरफ आने लगी… श्रेया ने आरती के आते ही बुआ i miss you कह कर उसे  गले से लगा लिया .|

आशा करती हूँ कहानी का ये भाग आपको पसंद आया होगा.. फिर मिलूँगी अगले भाग के साथ |

पाँचवे भाग का लिंक

वो मुलाक़ात मेरे लिए आख़री थी (भाग -5 )- अनु माथुर  : Moral stories in hindi

भाग 7 का लिंक 

वो मुलाक़ात मेरे लिए आख़री थी (भाग -7 )- अनु माथुर  : Moral stories in hindi

धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहानी

अनु माथुर

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