वो मुलाक़ात मेरे लिए आख़री थी (भाग -3 )- अनु माथुर  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  :

अब तक आपने पढ़ा

आरती का प्लास्टर कट चुका था.. उसका फैसला और आंनद का अपने दिल की बात उसे बताना…

अब आगे…

मैं आनंद के सीने से लगे हुए उसकी तेज़ चल रही धड़कनों को महसूस कर रही थी …..दिल मेरा मुझसे ही बगावत करने लगा और उसका साथ देते हुए उतना ही ज़ोर से धड़कने लगा था | मेरा हाथ उसकी shirt पर कस गया |

उसने फिर कहा मुझे पता है आप भी मुझसे उतनी ही मुहब्बत करती है जितनी मैं ……. दिखती है मुझे आपकी आँखों मे मेरे लिए वो चाहत … तो क्यों रोक रहीं है आप अपने को… मत करें ऐसा..

इतना कह कर उसने मुझे अपने से अलग किया… मेरी आँखों में आँसू थे आनंद ने मेरे चेहरे को उपर उठाया… मेरे बहते आँसूंओ तो पोंछा और मेरे माथे को चूम लिया…. कोई बात है तो मुझसे कहे ना आप… मैं साथ दूँगा आपका कभी पीछे नहीं हटूँगा वादा करता हूँ |

मैं चुप खड़ी उसकी बातों को सुन रही थी.. उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बेड पर बैठाया और खुद नीचे बैठ कर मेरे दोनो हाथों को अपने हाथ में लेकर बोला – आपको अगर ये लगता है कि मैं आपसे छोटा हूँ उम्र में इसलिए आप अपने को रोक रहीं है तो आप ये जान ले कि इन सब बातों से मुझे कोई फ़र्क नही पड़ता… और मैंने अपने घर वालों को बता दिया है उन्हें कोई एतराज़ नहीं है उसकी इस बात से मैंने हैरानी से उसे देखा |

आनंद ने फिर कहा मुझे कहीं ना कहीं ये बात समझ आ रही थी कि आप अपने को इसलिए ही रोक रहीं हैं तो आप निश्चिंत रहें ऐसा कुछ नहीं हैं |

अब बोलें करतीं हैं ना आप मुझसे प्यार… साथ देंगी मेरा …मैं आपको आपसे माँगने आया हूँ ….. ऐसा कह कर उसने अपना हाथ बढ़ाया ….मैंने कुछ रुक कर अपना हाथ उसके हाथ में रख दिया… वो मुस्कुरा कर खड़ा हुआ और मेरे पास आ कर बैठ गया मेरा हाथ उसके हाथ में था.,… मैंने उसकी तरफ देख कर कहा आनंद… उसने मेरे होठों पर अपनी उंगली को रखा और बोला श श श श कुछ नहीं कहें आप मुझे इस पल को जी लेने दें …. आपके साथ को महसूस करने दें ऐसा कह कर उसने अपने होंठों को मेरे होठों से छू दिया | मेरी आँखें अपने आप बंद हो गयी |

उसने फिर मुझे अपनी बाहों में भर लिया और बोला शुक्रिया मेरा साथ देने के लिए मेरी जिंदगी में आने के लिए कहते हुए वो मेरे सिर को सहला रहा था |

आनंद अपनी आँखों को पोंछता हुआ मुझसे अलग हुआ… और वही मुस्कुराहट लेकर बोला मैं आपके लिए कुछ

लाया था |

उसने अपनी पेंट की पॉकेट से कपड़े का एक छोटा सा पैकेट निकाल कर मेरे हाथ में रख दिया… खोलें इसे

मैंने वो पैकेट खोला तो उसमें एक गोल्ड की चेन थी और एक लॉकेट heart shape का उसमें double A बना हुआ था |

मैंने आनंद की तरफ देखा तो उसने मेरे हाथ से वो चेन ली और बोला  – ये आपके लिए सोचा था आपको propose करूँगा तब दूँगा… लेकिन इस तरह नहीं सोचा था

आप कहे तो पहना दूँ?

मैं घूम कर दूसरी तरफ खड़ी हो गयी आनंद ने वो चेन मेरे गले में पहना दी |

गिले शिकवे दूर हो चुके थे… लेकिन मेरा दिमाग़ अभी भी मेरे दिल से लड़ रहा था |

अब बाहर चलें अम्मा इंतज़ार कर रहीं होंगीं मैंने कहा

आनंद ने हम्म कहा और हम दोनों कमरे से बहार आ गए |

अम्मा ..मैंने बाहर आ कर आवाज़ लगायी

हाँ बिटिया कहते हुए वो कमरे से बहार आयी |

हम दोनों को साथ देख कर वो शायद सब समझ गयी थी |

आज खाने के लिए नही कहेंगी अम्मा आनंद ने पूछा

आज तो बिटिया ने खाना बनाने को मना कर दिया था और बोला था कि बाहर से मंगवा लेंगे |

ठीक है तो फिर बाहर से मंगवा लेते है |

आनंद ने खाना order किया और खा कर जाने को हुआ तो मैं दरवाज़े तक उसे छोड़ने गयी… जाते हुए वो रुका औरबोला – कल मिलते है कॉलेज में… मैंने मुस्कुराकर हाँ में सिर हिला दिया Good Night कह कर वो चला गया |

वापस अंदर आकर मैंने अम्मा से कहा – सामान रख लिया आपने अम्मा? हमें कल निकालना है |

सामान  …क्यों ? अब तो सब ठीक है अब क्यों जाना है ?

अम्मा आनंद को रोकने का मेरे पास और कोई तरीका नहीं था उसकी ज़िद के आगे मुझे झुकना पड़ा… वो कुछ और ना कर बैठे इसलिए |

बिटिया तुम भी तो उसे चाहती हो फिर ये सब किसलिए?

अम्मा सात साल बड़ी हूँ मैं आनंद से वो उम्र के ऐसे दौर से गुज़र रहा है जहाँ उसे कुछ समझ में नहीं आयेगा मैं कितना भी उसको समझा लूँ | रही चाहत की बात तो हाँ मैं करती हूँ मुहब्बत उससे… और करती रहूँगी… लेकिन मैं उसकी जिंदगी को सवालों के कटघरे में खड़ा नही करना चाहती… आज उसे समझ नही आ रहा है.. वो  लड़ जायेगा मेरे लिए इस समाज से… लेकिन फिर क्या होगा उसकी जिंदगी मेरे पर आ कर रुक जायेगी.. मैं जानती हूँ वो मुझे कभी नही छोड़ेगा….. चाहे उसके लिए उसे कुछ भी करना पड़े और मैं नही चाहती कि उसका भविषय मेरी वजह से ख़राब हो | इसलिए मेरा उस से दूर जाना ज़रूरी है | आप  सामान रख लें हम कल निकल रहे हैं |

अम्मा चुपचाप खड़ी उसकी बात सुन रही थी वो अपने कमरे में गयी और समान रखने लगी… आरती की बात शायद उन्हें

सही लगी थी |

अगले दिन मैं कॉलेज गयी टैक्सी को मैंने कॉलेज से थोड़ा आगे पार्क करने को बोला था….

Principal के ऑफिस में knock करके मैं अंदर गयी |

आरती आयें बैठे…मैं उनके सामने रखी हुई चेयर पर बैठ गयी

हाँ बताए क्या बात है आपने कल फोन पर नही बताया था

मैम ये मेरा resignation letter है

Principal ने आरती की तरफ देखा और कहा – मैं समझ सकती हूँ आपको…मुझे पता चला…लोग ऐसे ही होते है … एक बार फिर सोच लें आप |

सोच लिया मैम

मैं कुछ मदद कर सकती हूँ?

हाँ…. आप आनंद को कभी मत बताइयेगा कि मैं कहाँ जा रहीं हूँ | ये सिर्फ आपको पता है |

Principal मैम ने हाँ मे सर हिलाया

Thankyou मैम अब मैं चलती हूँ |

आरती… ये बोलते हुए वो मेरे पास आयी और मुझे गले से लगा कर मेरी पीठ सहला दी मैंने उन्हें एक tight hug दिया और बाहर आ गयी |

कॉलेज के गेट पर पहुँच कर वापस से घूम कर कॉलेज को देखा …. और रोड पर आकर तेज़ कदमों से टैक्सी की तरफ बढ़  गयी |

मैं टैक्सी तक पहुँचने ही वाली थी कि पीछे से एक  जाने पहचानी  आवाज़ आयी.. आरती

मैंने पीछे देखा कॉलेज के गेट के पास आनंद खड़ा था मैंने अपने कदमों को तेज़ किया और टैक्सी में जा कर बैठ गयी

आनंद दौड़ते हुए मेरे पीछे आ रहा था

चले मैम टैक्सी वाले ने पूछा

हाँ चलिए…

बिटिया आनंद बाबू..

मैंने टैक्सी के mirror में से देखा तो आनंद भागते हुए आ रहा था… टैक्सी ने स्पीड पकड़ ली थी… गाड़ी का शीशा बंद करते हुए मुझे आनंद की आवाज़ सुनाई दी

रूक जाओ आरती |

मेरी आँखों से आँसू बह निकले… मैंने अपने हाथ से आनंद की दी हुई चेन को कस के दबा लिया… माफ कर दें मुझे आनंद … आपकी अमानत लिए जा रही हूँ | आपको अकेला कर के जा रही हूँ |

आप से मेरी ये आख़री मुलाक़त है.. हो सके तो मुझे भूल

जाना |

टैक्सी दूर बहुत दूर हो गयी थी कॉलेज से आनंद अब mirror से नही दिख रहा था |

मेरी आँखों से आँसू बहे जा रहे थे अम्मा मेरा एक हाथ पकड़े हुए थी |

आशा करती हूँ कहानी का ये भाग आपको  पसंद आया होगा | फिर मिलूँगी अगले भाग के साथ |

दूसरे भाग का लिंक

वो मुलाक़ात मेरे लिए आख़री थी (भाग – 2 )- अनु माथुर  : Moral stories in hindi

चौथे भाग का लिंक 

वो मुलाक़ात मेरे लिए आख़री थी (भाग -4 )- अनु माथुर  : Moral stories in hindi

धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहानी

अनु माथुर

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