वो मुलाक़ात मेरे लिए आख़री थी (भाग – 2 )- अनु माथुर  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  :अब तक आपने पढ़ा आरती इंटर कॉलेज की वाइस प्रिंसिपल है ..पैर में फ्रैक्चर हो जाने की वजह से कैसे आनंद उसको डॉक्टर के पास ले जाता है..और उसका ख़याल रखता है

अब आगे…

15 दिन हो गए थे मेरा पैर अब कुछ ठीक था.. इस बीच अम्मा की बात आनंद से कुछ ज़्यादा ही होने लगी थी अम्मा को भी उसका इंतज़ार रहने लगा… और शायद मुझे भी ….. उसके आने की आहट से मेरा चेहरा खिल जाता था… कुछ नजदीकियां सी होने  लगी थी  ….. मेरे स्वभाव में कुछ तो अंतर आने लगा था… ये बात मैं महसूस कर रही थी ….कॉलेज के टीचर्स से अब मैं थोड़ा नर्मी से बात करने लगे थी |  आनंद ने इस बीच  मेरा बहुत ध्यान रखा वो समय – समय पर डॉक्टर से खुद ही बात कर लेता था |

ऐसे ही डेढ़ महीना हो गया आज मुझे प्लास्टर कटवाने जाना था हमने डॉक्टर को बोल कर sunday को appointment लिया था | आनंद ठीक समय पर मुझे लेने आ गया | डॉक्टर के यहाँ प्लास्टर कटवाकर और उनसे बात करके वो मुझे घर ले कर आ गया |

घर आए तो अम्मा ने मुझे पकड़ कर आहिस्ता से बैठाया |  आनंद ने अम्मा को बताया कि अब ये ठीक है |

अम्मा ने कहा आप बैठो हम चाय बना कर लाते है और आज तो छुट्टी है खाना खा कर जाना |

आनंद ने हँस कर कहा आपने कब मुझे खाना खाए बिना जाने दिया है… मैं हूँ अभी आप बना दें खाना… वैसे आप मेरी आदत बिगाड़ रही है अम्मा… अब तो मैम ठीक है और कोई बहाना भी नहीं है अब मैं रोज़ आया भी नहीं करूँगा | ये कह कर उसने मेरी तरफ देखा  |

उसकी इस  कि अब तो कोई बहाना भी नही है मेरा दिल एक धड़कन चूक गया   मैंने अपनी नज़रें नीची कर ली |

आनंद मेरे साथ ही वहीं बैठा रहा वो अपने फोन में कुछ कर रहा था | अचानक वो मेरे पास आया और फोन में देख कर बोला… आपका नंबर मिलेगा  ?

क्यों? मैंने पूछा

आनंद ने कहा – अब तो मैं आऊंगा नहीं यहाँ और कॉलेज में तो आपसे बात हो नही पाएगी… यूँ ही कभी मन किया तो… आपसे बात करने के लिए… इतना तो हक़ रखता हूँ ना मैं?

मैंने उसका फोन हाथ में लिया और अपना नंबर उसके फोन मे save कर दिया… उसने मुस्कुराकर नंबर dial किया तो मेरे फोन में रिंग हुयी |

उसने कहा मेरा नंबर आप तो मांगेगी नही और क्या पता मैं फोन करूँ और आप unknown समझ कर call pick ना करें… बस इसलिए …आप save कर लें मेरा नंबर | मैंने उसका नंबर save कर लिया |

दोपहर का खाना खा कर आनंद चला

गया | उसके जाने के बाद अम्मा ने मुझे हाथ पकड़ कर बिठाया और बोली | आनंद बाबू बहुत अच्छे है तुम्हारा बहुत ख़्याल रखा उन्होंने… हमको लगता है कि ये तुम्हारे लिए बिल्कुल सही है तुम….

अम्मा… क्या बोले जा रहीं आप  ?

देखो बिटिया इन बूढ़ी हो गयी आँखों को इतनी परख तो है ही | इतना कोई यूँ ही नहीं करता और देखा हमने आनंद बाबू की आँखों में तुम्हारे लिए …

अम्मा वो सिर्फ 24 साल का है और उसकी आदत है सबका ख़्याल रखना,,,सबसे हँस कर बात करना…

ये मेरे लिए है ऐसा कुछ नही है…

तो क्या हुआ अगर आनंद बाबू छोटे है तुमसे …

समझदारी का उम्र से कोई लेना – देना नही होता है… और इतने दिनों में हमें समझ आ गया कि आनंद बाबू बहुत अच्छे इंसान है तुम्हारा साथ देंगें तुम आगे तो बढ़ो.. और तुम ही तो  कहती हो ना कि ज़माना बदल रहा है… तो क्या फ़र्क पड़ता है |

अम्मा बस करें मुझे आपकी कोई बात नही  सुननी थक गयी हूँ मैं सोने जा रही हूँ |

अपने कमरे में आ कर मैं बेड पर बैठ कर सोचने लगी… मेरा दिल अम्मा की बातों को मान रहा था.. लेकिन दिमाग़ नही |

मैं कपड़े बदल कर सोने के लिए जा ही रही थी कि whats app पर आनंद का msg आया…. Hi   Reached home.

मैंने एक नज़र msg को देखा… फोन को side table पर उल्टा कर के रखा और आँखें बंद करके लेट गयी | मेरी आँखों के सामने आनंद के साथ बिताए पल video की तरह चल रहे थे | फिर पता नही कब मुझे नींद आ गयी |

अगले दिन कॉलेज में सारा स्टाफ मेरी तबियत पूछने आया सबको पता था मेरा प्लास्टर कटने वाला है | आनंद सबसे पीछे दरवाज़े से लग कर खड़ा हुआ था और मुझे देखे जा रहा था | तभी अतुल सर ने आनंद से कहा तुम इतना पीछे क्यों खड़े हो मैम की तबियत नही पूछोगे?

अरे सर आनंद सर को क्या ज़रूरत है.. वो तो मैम को रोज़ ही लेकर आते थे और जाते भी साथ में थे  – ये  रश्मि मैम थी

रश्मि की बात सुनकर सारा स्टाफ बस मुस्कुरा दिया …अतुल सर बोले चले सब अपने अपने क्लास में और आरती मैम आज principal मैम आ रही है |

तो आप देख लेना |

जी कह कर मैं अपने कामों में लगे गयी..

दोपहर के वक़्त मेरे कदम washroom जाते हुए रुक गए अंदर से रश्मि मैम की आवाज़ मुझे सुनाई दी

देखा आज कैसे आनंद सर मैम को देख रहे थे अरे मुझे तो पहले से ही पता था कुछ तो चल रहा है इन दोनों के बीच में

एक दूसरी आवाज़ सुनाई दी… हम्म उस दिन जब हम लोग antaakshadi खेल रहे थे teachers day के दिन और आरती मैम ने गाना गया था

अजीब दास्तां है ये …. उसके बाद जब आनंद सर ने गाया   … होंठों से छू लो तुम

ना उम्र की सीमा हो वाला stanza वो मैम को देख कर गा रहे थे |

वैसे हमें क्या… उनकी personal life है वो कुछ भी करें | बस students के लिए लगता है… Teachers उनके लिए उनके idol होते है…

वैसे आरती मैम बहुत अच्छी है उन्होंने कॉलेज को बहुत अच्छे से संभाला है…

मैं अंदर जाने लगी तो मेरी आहट से आवाज़ आना बंद हो गयी | रश्मि मैम के साथ सारिका मैम थी | मुझे देख कर उन्होंने सर झुकाया और बाहर चली गयी |

मैं वापस अपने रूम में आ कर बैठी ही थी कि peon ने आकर बताया कि principal मैम आ गई है और आपको बुला रही है |

Ok बोल कर मैं principal मैम के office में जाने तो सामने से आनंद आता हुआ दिखाई दिया मेरे दिल की धड़कन अचानक बहुत तेज़ हो गयी  मैंने नजरें नीची की और ऑफिस की तरफ बढ़ गयी |

दरवाज़े को knock करके मैं अंदर गयी और मैम को गुड मोर्निंग बोला  वहीं पर अतुल सर भी बैठे हुए थे

गुड मोर्निंग आरती कैसी हो?

मैं ठीक हूँ मैम आप बताए

आपको fracture हुआ था अतुल सर ने बताया अब ठीक है?

जी… हुआ था… अब ठीक है |

आपने मेरे ना होने पर कॉलेज को बहुत अच्छे से संभाला.. थैंक्स

ये तो मेरा काम था और फर्ज़ भी इसमें थैंक्स की कोई बात नहीं है |

Principal मैम ने मुस्कुरा कर कहा

Ok… तो अभी आप लोग जाए और कोई बात है तो करते है इत्मिनान से |

जी कह कर अतुल सर और मैं दोनो ही उठकर बाहर आ गए |

आज हर नज़र मुझे अपनी तरफ सवालों के घेरे में लिए दिख रही थी ऐसा लग रहा था जैसे हर कोई मेरे बारे में ही बात कर रहा है….शाम को छुट्टी होते ही peon को बोल कर मैं घर आ गयी | अपने रूम में जाकर मैंने resignation letter लिखा मुझे पता था अब मुझे क्या करना है |

अगले दिन मैंने कॉलेज से छुट्टी ले ली

अम्मा ने घडी में देख कर पूछा बिटिया  कॉलेज नही जा रही हो

नहीं अम्मा हम यहाँ से जा रहे है…

जा रहे है क्यों और कहाँ?

क्यों मत पूछे आप कहाँ तो हम बरेली जा रहे है मामा के पास वापस.. मामा मामी दोनो बहुत दिनों से बुला रहे है इसलिए |

आप अपना जो भी सामान है रख लें हम कल 11 बजे तक निकल जायेंगे |

लेकिन बिटिया… आनंद बाबू को

अम्मा… आप please कुछ ना कहें और ना ही आप किसी को बतायेंगी कि हम कहाँ जा रहे है |

मैं अपना सामान रखने जा रही हूँ आप भी रख लें… और खाना बाहर से मंगा लेंगे |

ठीक है – अम्मा कह कर चली गयी |

उधर कॉलेज में आनंद ने peon से पूछा -आरती मैम है ऑफिस में … तो peon ने बताया वो आज छुट्टी पर है | आनंद को थोड़ा आश्चर्य हुआ | उसने आरती को msg किया कि तबियत तो ठीक है आपकी…और वो अपने क्लास लेने चला गया.. लेकिन आज उसे कुछ बेचैनी सी हो रही थी उसका मन पढ़ाने में लग नही रहा था | आरती ने उसका msg शाम तक भी नही देखा था |

कॉलेज की छुट्टी होते ही वो आरती के घर गया | डोरबेल बजायी तो अम्मा ने दरवाज़ा खोला तो आनंद ने पूछा – मैम कहाँ है? तबियत तो ठीक है उनकी ?

हाँ तबियत तो ठीक है

फिर क्या हुआ है?

पता नही – अम्मा ने कहा

मैं मिल सकता हूँ..

हाँ…जाए मिल लें वो अपने कमरे में ही है

रूम के बाहर से आनंद ने knock किया

अम्मा क्या हुआ मैंने पूछा

मैं हूँ आनंद… क्या मैं अंदर आ सकता हूँ |

आनंद की आवाज़ सुनकर मेरा दिल फिर ज़ोर से धड़का | मैंने दरवाज़ा खोला

आनंद ने अंदर आ कर दरवाज़ा बंद किया |

ये क्या कर रहें आप आनंद ?

वो तो आपको बताना है कि आप ये क्या कर रहीं है?

और ये क्या सामान क्यों pack कर रहीं है? आना पड़ा मुझे क्योंकि आपने मेरे एक भी msg का जवाब नही दिया जान सकता हूँ क्यों? और कहाँ जा रही है आप ?

ये कहते हुए वो मेरी तरफ आ रहा था और मैं पीछे की तरफ जा रही थी |

आनंद…..

हाँ.. बोले ना आप मैं सुनने ही तो आया हूँ |

आपसे मतलब मैं कहाँ जा रहीं हूँ और क्यों ? मुझे आपसे कुछ बताने की ज़रूरत नहीं है  ?

आरती…. आनंद ज़ोर से बोला

पहली बार आनंद ने मेरा नाम लिया मैं हैरानी से उसकी तरफ देख रही थी |

बस बहुत हुआ आज जो मैं इतने दिनों से महसूस कर रहा हूँ वो बताने जा रहा हूँ  और मुझे पता है आप भी वही महसूस करती हो

चुप हो जाए आनंद आप और जाए यहाँ से

नहीं – आज नहीं… मैं अपनी बात कहे बिना जाऊँगा नहीं |

ऐसा कह कर उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा मैं उसके सीने से जा लगी |

कुछ सुनाई दिया उसने पूछा?

सुनो मेरे दिल की धड़कन को जो आपके पास आने से कितनी बढ़ जाती है …. करो आप महसूस ……मैं आपसे प्यार करता हूँ………ये कब हुआ कैसे हुआ मुझे नही पता लेकिन ये सच है… पहले मुझे भी लगा कि ये सिर्फ आकर्षण है… लेकिन नही ये मुहब्बत है जो मुझे आपसे हुयी है… आपके आस – पास रहने से मुझे खुशी मिलती है… सब कुछ अच्छा लगता है.. आपसे बात करने में दिल को सुकून मिलता है | आपके साथ रहना मुझे अच्छा लगता है | आपसे दूर होता हूँ तो एक बेचैनी सी होती है |

मैं आनंद के सीने से लगी हुयी उसकी धड़कनो को महसूस कर रही थी… मैं शांत थी एक अजीब सा सुकून मुझे उसकी बाहों में मिल रहा था |

आशा करती हूँ कहानी का ये भाग आपको पसंद आया होगा |आगे की कहानी के साथ जल्दी ही मिलूँगी |

पहले भाग का लिंक

वो मुलाक़ात मेरे लिए आख़री थी – अनु माथुर  : Moral stories in hindi

तीसरे भाग का लिंक 

वो मुलाक़ात मेरे लिए आख़री थी (भाग -3 )- अनु माथुर  : Moral stories in hindi

 

धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहानी

अनु माथुर

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