वक्त का क्या भरोसा – रश्मि प्रकाश

मनीष गर्मी की छुट्टियों में अपने परिवार के साथ शिमला घूमने गया था।  शिमला से जब वापस दिल्ली लौट रहे थे अचानक उनकी कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई।  इस दुर्घटना में मनीष की मौके पर ही मौत हो गई।  लेकिन उसकी पत्नी राधा और दोनों बच्चों को  मामूली चोटें आई थी। राधा ने  इस मुश्किल घड़ी में अपने आप को संभाला  और अपने ससुर जी को फोन  कर सारा वाकया बताया।

 राधा के ससुर महेश जी  और देवर अगले 5 घंटे में दुर्घटना वाली जगह पर पहुंच चुके थे। घर पर  मनीष के मृत शरीर  को लाया गया. अपने बेटे के मृत शरीर को देख मधु जी फफक फफक कर रोना शुरू कर दी थी।  यह दुखद खबर सुन पड़ोसी और  रिश्तेदार भी आ चुके थे। 

जवान बेटे के जाने का दुख उपर से बहु और बच्चों के करूण रुदन से सब का हृदय छलनी हुआ जा रहा था।”चालीस साल की उम्र कोई जाने की होती है? “कह कर मधु  जी रोये जा रही थी। होनी को कोई टाल नही सकता।


तेरहवीं के अगले दिन महेश और रिश्तेदार सब एक साथ बैठकर सुबह-सुबह चाय पी रहे थे।  तभी मनीष के मामा ने कहा, “कैसे आप संभालेगे  खुद को ,बहू और बच्चों को? किसी ने पूछा -कुछ तो सेविंग होगी? बेटा अच्छी नौकरी करता था कुछ तो होगा, पालिसी,बैक बैलेंस?

 महेश  जी बुझे मन से बोले ,” कौन जानता था इतनी जल्दी बेटा साथ छोड़ देगा, मुझे तो कुछ भी नही मालूम शायद बहू जानती होगी।”

 उन्होंने बहु को बुलाया और पूछा , राधा,  मनीष ने कुछ सेविंग करा रखी है? कोई पालिसी हो उसकी?”

राधा रोती हुई बोली,” हमें कुछ पता नही पापाजी , मनीष बहुत बार बोलते तुमको पता होना चाहिये मैंने क्या क्या कर रखा है तुम सब के लिये। कभी मैं ना रहू तो,तुमको कोई परेशानी ना हो। पर पापाजी मैं उनको चुप करवा देती थी “ऐसा नही होगा, आपसे पहले मुझे ना कुछ हो जाये।और देखिये ना कैसे हम सब को छोड़ के चले गये। कुछ जमा पूँजी तो होगी पर मुझे इन सब की कोई जानकारी नही है।पता नही अब क्या होगा।”

महेश   जी के साले  बहुत समझदार व सुलझे हुए व्यक्ति थे। उन्होंने कहा ,” कोई बात नही बहु हम लोग पता करवाते है।आप लोग चिन्ता मत करो।वैसे बहु ये बातें आप सब महिलाओं को पता होनी चाहिये। वक़्त का क्या भरोसा।मनीष के सारे काग़ज़ात जहाँ रहते वो तो राधा को पता होगे हम सब पता कर लेंगे। आप चिन्ता न करे। बहुत भाग दौड़ करने के बाद मनीष के बैंक अकाउंट, लोन , पालिसी की जानकारी मिल पायी। राधा को हर जगह जाकर सब कुछ पता करना पड़ा

क्योंकि नामांकित में उसका नाम था। बहुत प्रयास के बाद भी सारी जानकारी राधा हासिल नही कर पा रही थी जितना हो सका मनीष के मामा जी ने राधा की पूरी मदद की।मनीष ने अपने  माँ बाबूजी , पत्नी और बच्चों के लिये उतना कर दिया था जिससे उस जमा पूँजी, पालिसी के पैसों से जीवन निर्वाह के साथ बच्चों का भविष्य भी सुरक्षित हो सके।


 अगर राधा वक़्त रहते इन सब की जानकारी रखती तो उसको इतनी परेशानियों का सामना नही करना पड़ता। हम सब को इस बात की पूरी जानकारी होनी चाहिये, कोई नही जानता आने वाला कल हमारा कैसा होगा? इसलिये पति पत्नी दोनों को आपस मे एक दूसरे से अपनी सेविंग साझा करनी चाहिये।

मैं आप सब महिलाओं से ये पूछना चाहती हूँ, कितनी महिलायें आज भी अपने पति के उपर निर्भर है? क्या आप को इन बातों की जानकारी है? हम सभी समझदार महिला और अगर बच्चे भी समझदार हो रहे हो तो सबको पता होना चाहिये की उनके नाम से कोई पालिसी है तो क्या है? कोई लोन तो नही? किसी से लेनदारी- देनदारी तो नही?ये सब पता होने से मुश्किल परिस्थितियों मे हमारा भविष्य सुरझित हो सकता है।

आप को ये राधा और सलाह कैसी लगी? अपने विचार कमेंट बाक्समें ज़रूर दे।

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 धन्यवाद

रश्मि प्रकाश

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