तुम छात्र संघ की नेता बनोगी लड़ाई अन्याय की,,, – मंजू तिवारी 

प्रीति क्या हुआ कल तुम  स्कूल नहीं आई प्रीति बोली कुछ नहीं बंदना कल जब मैं स्कूल से घर गई तभी से मेरे सिर में बहुत जोर से दर्द हो रहा था

 मेरी तबीयत स्कूल में भी ठीक नहीं थी घर जाकर मेरे सिर में बहुत जोर से दर्द हुआ इसलिए मैं अगले दिन स्कूल नहीं आ पाई

प्रीति तेरे सिर में इतनी जोर से दर्द क्यों हुआ

सर ने सिर में बहुत जोर से क्वेश्चन आंसर पूछने पर ना आने पर मारा था इसलिए,,,

बंदना बोली हां प्रीति यह तो है सर ने बहुत जोर से तेरे सिर में थप्पड़ से मारा था,,, सर को ऐसा नहीं करना चाहिए था ,,,किसी के सिर में ज्यादा चोट आ जाए तो सुना है कि पागल भी हो सकते हैं। और दिमाग के दौरे भी पढ़ सकते हैं सर को ऐसा नहीं करना चाहिए था

कोई बात नहीं बंदना हुआ सो हुआ प्रीति बोली,,,

ऐसे कैसे कोई बात नहीं  सर की प्रिंसिपल से शिकायत जरूर करेंगे,,,,,, वैसे तो सर हमेशा डंडों से जोर-जोर से हाथों पर मारते थे सर्दी के मौसम में जब हाथों की उंगलियों में जोर से लग जाती डंडे से तो उन्हें अपनी बगल में दबाकर गर्माहट देते थोड़ा सा दर्द कम हो जाता था सर्दियों में सुबह-सुबह हाथ डंडों से लाल हो जाते थे इस डर से सदैव सारे छात्र-छात्राएं अपना काम कंप्लीट रखते और याद भी रखते जिससे कहीं मार खाने का नंबर ना आ जाए वह भी क्या दौर था



ना जाने सर ने उस दिन क्यों सिर पर थप्पड़ से मारा जिससे इतनी जोर से लग गई

वंदना ने सारे क्लास में सभी से कहा सर ने यह ठीक नहीं किया है इन सर की शिकायत तो प्रिंसिपल सर से करेंगे,,, स्कूल में पत्र लेखन सिखाया गया था इस तरह से एक शिकायत पत्र लिखा कुछ बच्चे क्लास के तैयार भी हो रहे थे कुछ डर रहे थे वंदना ने सबसे कहा गलत है तो गलत है उसे कहने में कैसा डर,,, सभी को यही कहा तो सब साथ देने के लिए तैयार हो गए एक-दो को छोड़कर उस प्रार्थना पत्र पर सभी छात्र-छात्राओं ने नाम लिखे गए जिससे प्रिंसिपल सर को लगे कि सारी क्लास एक है। और अपनी बात विधिवत तरीके से लिखी प्रिंसिपल सर का ऑफिस क्लास रूम के सामने ही था तो उनकी टेबल पर पेपर बेट से दबा कर रख दिया गया जैसे ही प्रिंसिपल सर ने उस लेटर को देखा और पढ़ा सारे क्लास के बच्चों को खड़ा कर लिया और पूछा क्या हुआ था

बंदना प्रीति साधना अंजू पूजा क्लास में 5 लड़कियां बाकी सारे लड़के थे,,,,,

वंदना ने बिना डरे अपनी बात रख दी सर किसी के भी सिर में नहीं मारना चाहिए सिर में चोट लगने से कुछ भी हो सकता है और इसको पूरे दिन दर्द हुआ और यह स्कूल भी नहीं आई

क्योंकि यह सारे बच्चे कक्षा 7 थे प्रिंसिपल सर को इस तरह से बच्चों ने शिकायत पत्र लिखा इस बात के लिए कहीं ना कहीं उन्हें बहुत आश्चर्य और अचंभा हो रहा था

प्रिंसिपल सर ने सारे बच्चों को सुना और उन सर से भी बात की जिन सर ने थप्पड़ मारा था

 वह सर भी  बहुत अच्छा पढ़ाते थे बड़े मन से सारे बच्चों को पढ़ाते थे समझ में अभी खूब आता था लेकिन यहां बात गलत और सही की बदना के मन में चल रही थी उन्होंने ऐसा क्यों किया



जब सारी बात खत्म हो गई तब प्रिंसिपल सर बोले यह तो एक प्राइवेट छोटा सा स्कूल है आने वाले समय में तुम कॉलेज जाओगी तब तुम जरूर छात्र संघ की नेता बनोगी,,,, प्रिंसिपल सर को 7 क्लास में पढ़ने वाले छोटे-छोटे बच्चों के कारनामे तथा बंदना का उग्र रूप देखकर अचंभित थे,,, उस समय प्राइवेट स्कूल में छात्रों की अपेक्षा छात्राओं की संख्या कम होती थी और बंदना मुखर होकर बिना डरे विरोध कर रही थी,,,

शायद यह प्रिंसिपल सर की भविष्यवाणी कहीं ना कहीं सच ही प्रतीत हो रही है । बंदना कभी भी अन्याय के सामने नहीं झुकी जहां कहीं भी गलत होता है उसका बिना डरे विरोध करती हैं

 कई बार उसे एक छात्र संघ के नेता की तरह मार्गदर्शन या लीड करने का मौका भी मिलता है तो उसको वह बखूबी निभाती है।

अन्याय के विरोध में लड़ने का बीज बंदना के अंदर अंकुर बनकर बचपन में ही अंकुरित हो चुका था जो आज शायद एक वृक्ष बन चुका है।,,,,,,

 

यह कहानी बहुत ही छोटी सी है लेकिन यह बताने के लिए पर्याप्त है कि किस प्रकार बच्चों को बचपन से ही सही गलत न्याय और अन्याय की जानकारी होनी चाहिए जिससे कभी भी अपने साथ अन्याय हो रहा हो उसके विरुद्ध आवाज उठा सकें

वंदना को भी यह न्याय और अन्याय की शिक्षा अपने घर से ही जरूर मिली होगी तभी मुखर होकर बोल पाई और अपनी बुद्धि से उसे जो ठीक लगा उसने  किया

इस कहानी के माध्यम से मैंने यह बताने का प्रयास किया है बच्चों को सही गलत न्याय अन्याय की शिक्षा माता-पिता से ही शुरू होती है बच्चों को अन्याय के विरुद्ध खड़ा होना सिखाएं और यदि उनके साथ अन्याय हो तो उसका पुरजोर विरोध करें और ना किसी के साथ अन्याय होने दें हमेशा बच्चों को बताएं गलत को गलत सही को सही कहने में कोई बुराई नहीं होती  ना ही हमें डरना चाहिए,,, न्याय अन्याय का विरोध बेटियों को जरूर सिखाना चाहिए क्योंकि घर से लेकर बाहर तक उन्हें अन्याय के खिलाफ लड़ना पड़ता है।

और बेटों के लिए भी यह शिक्षा जरूरी है क्योंकि अब उनके साथ भी अन्याय ना हो ना वह किसी और के साथ  अन्याय करें यह संस्कार की शिक्षा है अपने बेटे बेटियों को जरूर दें,,,,

मंजू तिवारी गुड़गांव

#अन्याय

 

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