कैसी सजा – रीटा मक्कड़

कितने चाव और लाड़ किये थे सबने बड़ी बहू के जब दुल्हन बन कर इस घर मे आई थी।  आसपास के लोग जब मुँह दिखाई पे आये तो उनके मुँह खुले और आंखे फ़टी की फटी रह गयी थी। कि इतनी सुंदर और गोरी चिट्टी दुल्हन कहां से ढूंढी सुरेश ने। बड़ी भाभी सास ससुर, देवर नंदों सबकी लाडली थी और वो भी सबको बहुत प्यार करती। सबके काम भाग भाग के करती। 

कुछ ही सालों में भाभी के घर दो सुंदर से खिलोने आ गए। एक बेटा और एक बेटी।

बेटा क्योंकि घर का पहला पोता और सबसे छोटा बच्चा था।खूब लाड़ प्यार में पला। उसकी हर बात हर मांग पूरी होती।समय अपनी गति से भागता जाता है।भईया की ज़िंदगी मे कितनी भी मुश्किलें और उतार चढ़ाव आये।भाभी हमेशां उनके साथ ढाल बन कर डटी रही।फिर भाभी के बच्चों की शादियों का समय भी आ गया।बिटिया तो शादी करके विदेश चली गयी ।

बेटे को अपने ही ऑफिस में काम करने वाली एक लड़की पसंद आ गयी। दोनो एक दूसरे को प्यार करते थे।बेटे ने बोला मुझे यही लड़की पसंद है और इसी से शादी करूंगा।

भाभी और भईया ने जब लड़की के परिवार वालों से मिलना चाहा तो पता चला कि वो बहुत गरीब घर की लड़की थी। उनकी बिरादरी भी अलग थी।लेकिन भईया भाभी ने बेटे की पसंद को देखते हुए हां कर दी और उनका बिना एक भी पैसा लगवाए सादे ढंग से मंदिर में शादी कर दी।  भाभी ने बहू को बहुत प्यार दिया।भाभी उसको कोई काम नही करने देती खुद ही लगी रहती। 

उस बहू को हर चीज ,हर सुख गहना, कपड़ा,घूमना अपनी उम्मीद से भी इतना ज्यादा मिला कि उसने सपने में भी नही सोचा होगा।

साल बाद ही भाभी की एक प्यारी सी पोती भी आ गयी।

लेकिन…कुछ समय बाद ही धीरे धीरे पता चला कि उस लड़की को उम्मीद से ज्यादा मिल गया तोउसका दिमाग कुछ ज्यादा ही खराब हो गया।धीरे धीरे वो अपना असली रूप और संस्कार दिखाने लगी। आज वो भईया ओर भाभी से इतनी बदतमीजी से बोलती है कि कोई मानेगा नही कि ये इतनी पढ़ी लिखी लड़की है। भाभी के किसी सुख दुख की उसको कोई परवाह नही,कोई सम्मान नही।भाभी से बात करो तो वो बात कम करती है,रोती ज्यादा है । अगर कोई कहे कि उनको अलग कर दो तो भाभी कहती है कि मेरे बेटे और पोती की ज़िंदगी बदतर हो जाएगी।

आज तक समझ नही आया कि सारी जिंदगी दूसरों के काम आने वाली और सबका सुख दुख अपना समझने वाली भाभी के साथ ये अन्याय क्यों हो रहा है और उसको कौन से कर्मो की सजा मिल रही है।

मौलिक रचना

रीटा मक्कड़

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