आँसू बन गये मोती – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

दो साल बीत गए ।तुम चली गई थी ।हमेशा के लिए ।ईश्वर को यही मंजूर था ।तब से मै लगातार आँसुओ के समंदर में डूबती इतराती रही ।जीने का कोई मतलब नजर नहीं आता था क्या करें?कैसे जिएं? जिंदगी एकदम नीरस हो गई थी ।न खाने का होश था न सोने की सुधि थी।कहीं आना … Read more

अनमोल उपहार – जया शर्मा प्रियंवदा : Moral Stories in Hindi

वर्मा जी की गिनती शहर के अमीर लोगों में हुआ करती थी वर्मा जी की बर्तन बनाने की फैक्ट्री थी, और वह अपना बिजनेस बढ़ाने के लिए अक्सर छोटे-मोटे आयोजन किया करते रहते। वर्मा जी के पिता जी ने शहर में काफी बड़ी हवेली बनवाई और मंदिर के साथ ही धर्मशाला भी जहाँ हर पूर्णिमा … Read more

“आंसू बन गए मोती ” – पूजा शर्मा : Moral Stories in Hindi

कहां-कहां नहीं ढूंढा पापा मैंने आपको? पिछले महीने से पागलों की तरह इधर से उधर ढूंढ रहा हूं आपको, उसने हाथ पकड़ कर अपने पापा को कुर्सी पर बैठाया और उनकी गोद में सर रखकर रोने लगा। जानकी दास जी उसके सर पर हाथ फेरते रहे। वे जानते थे जब तक उनका बेटा जी भर … Read more

चार शब्द… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

.…प्रिया मात्र पांच साल की थी… जब निखिल को जन्म देते हुए उसकी मां चल बसी… घर में चाची, बुआ, दादी सब थीं… पर मां की कमी तो फिर भी थी ही…  नन्हे निखिल को संभालने के लिए सभी प्रिया के पापा सौरभ जी से जिद करने लगे… सौरभ जी ने साफ मना कर दिया … Read more

स्नेह का बंधन – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

मत रो बिटिया मां चली गई तो क्या हुआ बाबू जी तो है ,हम है मायके आती रहना इतना कहकर शकुन्तला ने दोनों बेटियों को गले लगा लिया और दोनों के हाथों में दस ,दस का एक-एक नोट रख दिया।और खुद भी आंसू पोंछने लगी। बिटिया जो आया है संसार में वाको तो एक दिन … Read more

दोस्ती का मान – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 ” स्वाति बेटा…किसी के दिये उपहार को यूँ फेंककर अपमान नहीं किया करते।” बेटी द्वारा फेंके गये पर्स को फ़र्श से उठाकर उसे देती हुई कामिनी बोली।तब स्वाति उन्हें पर्स के पीछे लगे प्राइस टैग को दिखाते हुए तल्ख-स्वर में बोली,” इसका प्राइस तो देखिये…सिर्फ़ सौ रुपये…उँह! इससे ज्यादा कीमत की तो मेरे पास पेन … Read more

दगड़ाबाई चा गुत्ता! – कुसुम अशोक सुराणा : Moral Stories in Hindi

अमावस की रात में झींगुरों की झीं-झीं के बिच, सूखे पत्तों को रौंद कर एक आवाज़ रात की ख़ामोशी को चीरती हुई दगडाबाई के कानों में गर्म शीशे सी पहुँची और कुछ ही पलों बाद उसे ऐसे लगा मानों कोई उसका पल्लू खींच रहा हैं! ऊँची-ऊँची घास के बिच एक्का-दुक्का ढाबों के आसपास हाइवे से … Read more

दहेज – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

सुधीर, सुधीर कहाँ हो? चिल्लाते हुए सीमा अपने पति के पास पहुंची,जो अपने दोस्तों से गप्पे लड़ा रहा था। उसे दोस्तों के साथ देखकर गुस्साते हुए बोली “कब से तुम्हें बुला रही हूँ, सुनाई नहीं दे रहा, बहरे हो? लगता है मेरे पापा ठगे गए है।” यह सुनकर सुधीर सीमा को आँखे दिखाते हुए बोला … Read more

अनमोल उपहार – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

सीमा क्या आजकल तुम्हारे स्कूल में छुट्टियां चल रही हैं तुम रोज मम्मी के साथ आ रही हो स्कूल नहीं जाती क्या। यह सुन सीमा की आंखें डबडबा आईं और कुछ नहीं बोली। अरे बोल क्यों नहीं जाती क्या हुआ। सीमा जोर -जोर हिचकियां ले रोने लगी। रागीनी जी घबरा गईं ये क्या हुआ इसे … Read more

“भाभीजी का स्पेस स्टेशन” – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा : Moral Stories in Hindi

   आज के स्त्री विरोधी युग में सुनीता विलियम्स  ‘अंतरिक्ष परी’  जब से आसमान में अपना परचम लहरा कर वापस लौटी है  तब से खासकर भारत की महिलाओं के बीच क्रांति छा गई है। चारो तरफ महिलाओं के महिमा मंडन का डंका बज रहा है।  घर -घर में हर माँ बाप अपनी बेटियों को नसीहते दे … Read more

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