धुँधला होता रंग – सरला मेहता

अभी अभी पद्मा राजेंद्र की दिल की कलम से लिखा आलेख पढ़ा,,, *क्या आप भी ?* और सच इस पान प्रकरण ने कई यादें ताज़ा कर दी। यूँ देखा जाए यह शनै शनै विलुप्त प्रजाति की श्रेणी में भी आ सकता है। मुखवास के नए साधनों की कमी नहीं है। कई तरह के पान मसालों … Read more

और तूफान थम गया – नीरजा कृष्णा

उनके घर में आज बहुत खुशी का माहौल था। उनके छोटे भाई आमोद का विवाह था। माता पिता की अकाल मृत्यु के पश्चात वो और उनके सह्रदय पति विशाल जी ने छोटे से आमोद को गले से लगा लिया था…अब वोही दोनों उसके माँ बाप बन गए थे….उन्होनें उसे दिल से अपनाया था। उसके प्रति … Read more

बड़ी बहन भी मां ही होती है,,,-सुषमा यादव

दोनों बहनों में पांच वर्ष का अंतर है,, जहां छोटी बहन गोरी,गोल मटोल, चंचल, मस्त अल्हड़, खूब बातूनी और खिलखिला कर हंसने वाली, साथ ही शैतान भी बहुत थी,,, वहीं पर, बड़ी बहन का रंग थोड़ा दबा हुआ सा,, शांत, गंभीर, प्रकृति वाली,,, बस ख़ामोश भरी निगाहों से सबको ताकती रहती पर बोलती कुछ नहीं,,जब … Read more

स्नेह बंधन – डा.मधु आंधीवाल

आज आप मेरे साथ नहीं हैं पर आपका ममत्व भरा सानिध्य में कभी नहीं भूल पाती हूँ । आज मैं भी उम्र के ढलान पर हूँ पर जब पुरानी यादों में पहुंच जाती हूँ तो लगता है कि अभी भी तुम्हारी  छुटकी बन गयी । आप बड़ी बहन कम और एक मां का दायित्व निभाती … Read more

ढोल – अनुज सारस्वत

“भैया देखो ऐसा है बैंड का हमें ना पता लेकिन ढोल जरूर होना चाहिए।हमारे भैया की शादी में।वरना हम दूसरा इवेंट वाला कर लेंगें” सेठ ने बाल खुजाते हुए इवेंट मैनेजमेंट वाले को कहा।इवेंट मैनेजर आश्वासन देकर चला गया। वह एक बस्ती में पहुंचा वहां जाकर एक झुग्गी में आवाज लगाई  “मोनू.. मोनू..” एक 20 … Read more

आधुनिकता – अनुपमा

बहुत बैचैनी से ऋतु इधर से उधर घूम रही थी , कनखियों से पापा की ओर देखने का प्रयास कर रही थी , शोभा ने ऋतु के इस व्यवहार को नोटिस तो किया पर कुछ कहा नहीं , पापा के ऑफिस जाते ही ऋतु जल्दी से तैयार हो गई और बाहर जाने लगी , शोभा … Read more

कर्ज़- विनय कुमार मिश्रा

“माँ! गाँव की बड़की माई शायद अब अलग खाना बनाने लगी हैं, बीमार भी रहने लगी हैं, सूरज है यहां अपने गांव का, वही बता रहा था” बेटे ने ऑफिस से आते,एक खबर की तरह बड़े ही आराम से कहा था कल, पर मेरे दिल में एक हलचल सी मच गई, उनसे मिलने की “अरुण! … Read more

सहेली बनी भाभी-नीरजा नामदेव

चारु और इरा बहुत ही अच्छी सहेली  थी। बचपन से दोनों साथ खेलती ,साथ ही स्कूल जाती । ऐसा करते करते दोनों कॉलेज  पहुंच गईं। दोनों हमेशा ही साथ रहती ।चारु बहुत ही समझदार और शांत स्वभाव की थी। इरा  चंचल  थी।उसे बहुत जल्दी गुस्सा आ जाता था। जब भी इरा गुस्सा करती चारु हमेशा … Read more

छल –   किरन केशरे

“आज लड़के वाले रूपल को देखने आने वाले थे”, उसकी पढाई पूरी हो चुकी थी ,पढ़ी लिखी रूपल मध्यम वर्ग की आकर्षक नैन नक्श वाली प्यारी सी लड़की थी । लड़के वाले भी मध्यम वर्ग से थे , ओर लड़का भी स्मार्ट और मल्टीनेशनल में इंजीनियर । “साथ ही शादी के बाद अपनी कंपनी के … Read more

सांवला समझूं काला समझूं- अंजु ओझा

संगत से गुण आवत है संगत गुण जावत है समझी ललित बहुरिया ! काहे तू कलपती है कि हमारा पोता तनिक काला है या समझो साँवला है तो क्या हुआ वो तुम्हारा पति है , तुम पर अपना सब कुछ न्यौछावर करता है । कृष्ण, राम व शिव भी काले हैं उन्हें तो हम पूजते … Read more

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