आधुनिकता – अनुपमा

बहुत बैचैनी से ऋतु इधर से उधर घूम रही थी , कनखियों से पापा की ओर देखने का प्रयास कर रही थी , शोभा ने ऋतु के इस व्यवहार को नोटिस तो किया पर कुछ कहा नहीं , पापा के ऑफिस जाते ही ऋतु जल्दी से तैयार हो गई और बाहर जाने लगी , शोभा ने पूछा तो चिढ़ कर बोली ओ ओह मम्मी अपनी सहेली के पास जा रही हूं और कहां जाऊंगी और कहते हुए घर से बाहर निकल गई ,शोभा आवाज देती रह गई और ऋतु फुर्ती से गायब हो गई ।

शोभा ने सौरभ को बुलाया और ऋतु के अजीब व्यवहार के बारे मैं उससे बात की , सौरभ समझदार था ,बाहर की दुनिया उसने देख रखी थी , आजकल क्या हो रहा है , चार साल से अकेला रह रहा था नौकरी कर रहा था दूसरे शहर मैं ,कुछ दिन के लिए घर आया था ऋतु अभी सिर्फ दसवीं मैं थी छोटी होने के कारण ज्यादा लाड प्यार ने बिगाड़ दिया था ,हर बात मैं जिद्द करती थी ।

शाम को जब ऋतु घर वापिस आई मां ने पूछा भी की कहां थी पर ऋतु अपने कमरे मैं जा कर सो गई ये कह कर की थक गई है ।

सौरभ उसके कमरे मैं जाकर उसका फोन लेकर आ जाता है और अपने लैपटॉप से उसे सिंक कर देता है साथ ही उसका फोन चेक करने पर सौरभ देख कर दंग रह जाता है की ऋतु तो सोशल मीडिया पर भद्दे गानों मैं और बहुत ही कम कपड़ों के साथ उसमे भी बटन खोल कर या स्कर्ट ऊपर करके रील्स बना कर अपलोड करती है और लोगो के बहुत ही भद्दे टिप्प्णी से उसका कमेंट सेक्शन भरा हुआ है ,ये सब देख कर सौरभ चिंतित हो जाता है ।



जानता है की समझाने से ऋतु को कोई फर्क नहीं पड़ेगा , मारपीट का भी कोई फायदा नही होगा ,सौरभ सारी बातें शोभा से बता कर कुछ प्लान बनाता है और अपने दोस्तों को फोन करके बताता है और सारी तैयारी करने को कह देता है ।

अगले दिन फिर से ऋतु रोज की तरह अपनी सहेलियों के यहां जा रही है ,कह कर घर से निकलती है और शहर के प्रसिद्ध गार्डन मैं रील बनाने को पहुंच जाती है अपने कुछ दोस्तो और सहेलियों के साथ जो उसकी इन सबमें मदद करते थे ।

ऋतु कपड़े बदल कर जब गार्डन मैं आती है और शूट कर ही रही होती है तभी वहां एक लड़कों का ग्रुप आ जाता है और गंदे गंदे कमेंट्स करने लगते है , परेशान करने लगते है , रीलस मैं तो बहुत देख लिया रानी अब सचमुच का नाच कर दिखाओ ,आओ हमारी गोदी मैं बैठ कर नाचो रानी , लाओ हम मदद कर दे बटन खोलने मैं तुम्हारी , थोड़ा पास आ कर नाचो रानी । ऋतु ये सब देख कर बहुत घबरा जाती है और डर सहम कर रोने लगती है , जब सोशल मीडिया पर ऐसे कोई लिखता है तो हम इन कमेंट्स को इग्नोर कर देते है लेकिन जब सामने ये सब हो रहा होता है तब कैसा महसूस हो रहा होता है आज ऋतु को समझ आ रहा था।



ये सब हो ही रहा होता है तभी जाने कहां से एक बुजुर्ग दंपति वहां आ जाते है और सबकुछ देख लेते है वो आकर ऋतु को संभालते है और इन लड़कों को हिदायत देते है ऐसा न करने की ओर ऋतु को भी कहते है बेटा ये सब करने की क्या वजह है ,सोशल मीडिया के लिए नाचना ,क्या शोभा देता है तुम्हे और अगर ये सब तुम्हे सही लगता है तो घर मैं मां बाप भाई बहन के सामने क्यों नही करते हो ? छुपकर कर रही हो तो इसका मतलब है की कुछ गलत कर रही हो ।

अगर किसी चीज के लिए तुम्हे झूठ बोलना पढ़ रहा है या छुपाना पढ़ रहा तो वो गलत है ,सही काम करते वक्त आपको न ही तो झूठ की जरूरत होती है और न ही छुपाने की  ,पहले के समाज मैं इस तरह के काम के लिए एक निश्चित जगह होती थी शहर मैं और  संभ्रात परिवार का वहां जाना मना होता था अब क्या कहे आजकल की बच्चों को , बच्चों को तो छोड़ो मम्मियों को भाभियों को , जिसे देखी वो नाच रहा है सोशल मीडिया पर और कहो तो कह देते है हमारी जिंदगी हमारे नियम , वूमेन एमपावरमेंट और न जाने क्या क्या ।

इसे कहते हो आजादी , इसे कहते हो मॉर्डन होना ,सोचो तुम लोगो की वजह से इन मुद्दों पर जो सच मैं लड़ रहे है या जिन्हे जरूरत है वो कितना सहन करते होगे ।

ऋतु का रो रो कर बुरा हाल हो गया था अभी नासमझ ही तो थी वो , पर समझाने के साथ साथ बुजुर्ग दंपति ने ऋतु को सांत्वना भी दी और उसके घर तक उसे छोड़ने आए 

ऋतु को समझ आ गया था की रियल और रील लाइफ मैं बहुत अंतर होता है और उसने कसम खाई की वो ये सब दोबारा नहीं करेगी।

उधर सौरभ ने अपने दोस्तों को फोन लगा कर शुक्रिया बोला और उन बुजुर्ग दंपति के बारे मैं पूछा । दोस्तों ने बताया की जब हम प्लान बना रहे थे तो उन लोगो ने हमारी बातें सुनकर हमारे प्लान मैं शामिल होने की इच्छा जताई थी क्योंकि उनकी पोती भी इस सोशल मीडिया का शिकार बन चुकी थी और आजकल बच्चे घर वालों की बात सुनते ही कहां है उन्हे सोशल मीडिया के चक्कर मैं घरवाले दुश्मन सरीखे दिखने लगते है ,सौरभ ने समझदारी और दोस्तों के साथ से अपनी बहन को बचा लिया । आज की पीढ़ी अगर नासमझ है तो होशियार भी है ये साबित कर दिया था भाई बहन ने ।

 

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