बेटे का फर्ज़ – पूजा मनोज अग्रवाल

मोहिनी के पति फौज में थे ,,,विवाह के मात्र तीसरे वर्ष में ही वे मोहिनी और उनके बेटे हर्ष को छोड़कर इस दुनिया से अलविदा कह गए । मोहिनी की जिंदगी की असल परीक्षा तो अब प्रारंभ होने वाली थी ,,,,पति के जाते ही उनकी  जिंदगी का नया नारकीय अध्याय शुरु हुआ । सास ननंद … Read more

 ये कैसी आस्था,,,,कैसा विश्वास –   सुषमा यादव

हम सबका किसी ना किसी पर बहुत ही आस्था और विश्वास रहता है,,पर ये‌ आस्था किस पर,,   ,, चलिए देखते हैं,,,   छोटी बेटी कोटा में पी एम टी, की कोचिंग करने गई थी, पहली प्रवेश परीक्षा में उसके अच्छे नंबर नहीं आ पाये थे,, तो स्वाभाविक था कि मनपसंद मेडिकल कॉलेज और विषय … Read more

स्वावलंबी – अनामिका मिश्रा

रौशनी अपने पति और एक बेटी के साथ शहर में रहती थी। पति की शहर में नौकरी थी। रौशनी और उसके पति विवेक का घर,गांव में भी था, गांव में उसके माता पिता और एक छोटी बहन रहती थी, जिसकी अभी शादी नहीं हुई थी। विवेक ऑफिस जाते वक्त,रौशनी से कह रहा था, “रौशनी, कल … Read more

स्तर – नीलम सौरभ

अपने सुयोग्य बेटे संकेत के रिश्ते के लिए लड़की और उसका घर-बार देख कर घर वापस आने के बाद से ही कल्याणी कुछ अनमनी सी थीं। उनका मस्तिष्क स्वीकृति-अस्वीकृति की दुविधा में हिचकोले खा रहा था। बेटे के हावभाव से न जाने क्यों उन्हें आभास हो रहा था कि उसे इस बार वाली लड़की मेधा … Read more

दहलीज के भीतर – कंचन श्रीवास्तव

*************** रोज की किच किच लड़ाई झगड़े से तंग आकर रेखा ने आज घर छोड़ने का फैसला कर ही लिया,फिर क्या था कुछ भी साथ न लिया बस तन पर जो कपड़े पहने थे वहीं शायद रवि के कमाई के थे।यहां तक की कान नाक और पैर में पहनी पायल को भी उतार के ड्रेसिंग … Read more

..दो स्त्रियाँ….दिव्या शर्मा

“देख मालती, उदय के जाने के बाद कोई तो होना चाहिए जो उसका बिजनेस संभाल ले!” जेठानी ने मालती को समझाते हुए कहा।मालती की नजर दीवार पर टंगी बेटे की फोटू पर चली गयी।दर्द आँखों में आँसू बनकर बह गया। “हुँ” गर्दन हिला कर बस इतना ही कह पाई। “इस दुख को तो कम नहीं … Read more

मायका –  अरुण कुमार अविनाश

नैना देवी बहुत बीमार थी। डॉक्टर ने अत्यधिक देखभाल की ज़रूरत बतायी थी। इलाज लंबा चलने वाला था – जिसमें उचित दवाइयों के साथ-साथ समुचित परहेज़ भी तजवीज़ की गई थी। स्थिति ये थी कि या तो महीनों अस्पताल में भर्ती रहतीं या घर में अस्पताल जैसा माहौल बना दिया जाता। आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं … Read more

तेरी मुहब्बत ने… – विनोद सिन्हा “सुदामा”

मैं उसे जब भी देखता ,जब भी मिलता था तो यह सोचकर मिलता कि या तो आज सब कुछ कह दूँगा या फिर सब कुछ खत्म कर दूँगा.. फिर सोचता आखिर खत्म क्या करूँ… मेरे दिल मे बसी उसकी बेपनाह मुहब्बत या उसके दिल में बसी  मेरे लिए बेहिंता नफरत.. “दिव्या” मेरे मुहल्ले की भोली … Read more

खिलखिलाती जिंदगी – भगवती सक्सेना गौड़

आज पार्क में शाम को अपनी सखी मालिनी को देखकर मन प्रसन्न हुआ। सोसाइटी में वो है पांच वर्षों से, पर छह महीने यहां पर और आधे वर्ष छोटे बेटे के घर मे रहती है। मुझे अंदाज़ था आज तो सब सखियों की मस्त महफ़िल जमेगी, कोई कोई शख्स अपने साथ अपने चारों ओर पॉजिटिव … Read more

लो आ गई उनकी याद – के कामेश्वरी

पदमा और वेंकट दोनों ही बैंक में काम करते थे । वहीं से उनकी प्रेम कहानी शुरू हुई थी । दोनों एक ही ब्रांच में काम करते थे । बड़ों की रज़ामंदी से दोनों का विवाह बड़े ही धूमधाम से हो गया । अपनी ज़िंदगी में वे दोनों बहुत खुश थे । एक साथ ऑफिस … Read more

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