लो आ गई उनकी याद – के कामेश्वरी

पदमा और वेंकट दोनों ही बैंक में काम करते थे । वहीं से उनकी प्रेम कहानी शुरू हुई थी । दोनों एक ही ब्रांच में काम करते थे । बड़ों की रज़ामंदी से दोनों का विवाह बड़े ही धूमधाम से हो गया । अपनी ज़िंदगी में वे दोनों बहुत खुश थे । एक साथ ऑफिस जाना एक साथ वापस आना यह सिलसिला चलता रहा । वेंकट भी पदमा की हर ज़रूरत पूरी करता था । घर और बाहर के कामों में भी उसकी मदद कर देता था ।  ऐसा कहें कि दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे थे । उन दोनों के दो प्यारे से बच्चे हुए । लड़का गौतम  और लड़की सीमा । दोनों बच्चे बहुत सुंदर और पढ़ने में होशियार निकले । पढ़ाई ख़त्म करके दोनों नौकरी करने लगे । माता-पिता की पसंद का मान रखते हुए दोनों ने उनके पसंद के रिश्तों को ही अपनाया था । सीमा के पति लक्ष्य और गौतम की पत्नी ममता दोनों ही बहुत अच्छे थे ।  गौतम और सीमा दोनों ही कंपनियों की तरफ़ से अमेरिका पहुँच गए । दोनों ने घर भी पास ही दो घंटों की दूरी पर ले लिया ।

पदमा और वेंकट ऑफिस से छुट्टियाँ लेकर अमेरिका घूम कर आ गए । उन्होंने रिटायर होने के बाद छह महीने वहीं अपने बच्चों के साथ बिताया और वापस आ गए । यहाँ इंडिया में भी  वे अपने रिटायर मेंट लाइफ़ को अच्छे से बिता रहे थे ।

एक दिन सुबह सुबह सीमा का फ़ोन आया कि वह माँ बनने वाली है फिर क्या पदमा के ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा । पदमा और वेंकट वैसे भी रिटायर हो गए थे इसलिए अमेरिका के लिए रवाना हो गए थे । वहीं रहते रहते उन्हें तीन साल हो गए ग्रीन कार्ड भी मिल गया था । अब बच्चे दोनों वहीं हैं तो वे भी वहीं के हो गए । सीमा की बेटी अकीरा अठारह महीने की हो गई थी ।उसे घुमाने ले जाना खाना खिलाना सब काम पदमा और वेंकट ही करते थे । कहते हैं कि असल से सूद प्यारा होता है वैसे ही अकीरा इन दोनों के लिए खिलौना बन गई थी । अभी अभी दोनों वॉक करके घर पहुँचे देखा गौतम अपनी पत्नी ममता के साथ मिलने आया हुआ है ।


उन्होंने पूछा क्या बात है गौतम वीकेंड के पहले ही तुम दोनों के दर्शन हो गए हैं । गौतम ने कहा माँ आप लोगों को ख़ुशी की ख़बर देना था । उसने बताया कि ममता माँ बनने वाली है । हम बहुत खुश हो गए । नाना नानी तो बन गए थे अब दादा दादी के बनने की बारी है । ममता और सीमा दोनों ही नौकरी करती हैं । इसीलिए हम अकीरा को देखने यहाँ बेटी के घर में ही रुक गए थे ।

एक वीकेंड गौतम आकर कहने लगा कि माँ ममता को नवाँ महीना लग गया है और कल ही उसकी माँ का फ़ोन आया है कि

उनका वीज़ा रिजेक्ट हो गया है । आपको मदद करनी ही पड़ेगी हम दोनों ने कहा हम ज़रूर आएँगे क्योंकि हम ज़रूरत के समय काम नहीं आए तो कैसे बोलो । गौतम खुश हो गया फिर मिलूँगा माँ कहकर चला गया ।

मैंने और वेंकट ने बहुत सोच विचार किया कि अकीरा को अभी से डे केयर नहीं भेज सकते हैं तो उसकी देखभाल करना भी ज़रूरी है और ममता उसको भी हमारी ज़रूरत है क्या करें सोच रहे थे कि वेंकट ने कहा पदमा बच्चों को हमारी ज़रूरत है तो हमें ही कुछ करना पड़ेगा । हम एक काम करते हैं । मैं यहीं अकीरा के लिए रुक जाऊँगा ।तुम गौतम के घर जाकर उनकी मदद करो । हम दोनों ने अपने मन से यह फ़ैसला लिया था । इसे सुनकर बच्चे भी खुश हो गए थे । मैं बहुत सारी हिदायतें देकर गौतम के साथ उसके घर चली गई । डॉक्टर की देखरेख में ममता को सही समय पर लड़का हुआ जिसका नाम उन्होंने अक्षय रखा । मैं अक्षय की देखभाल करने में व्यस्त हो गई । वीकेंड पर सीमा सपरिवार यहाँ आ जाती थी या हम वहाँ चले जाते थे । ज़िंदगी गुजर रही थी ।


दोस्तों आप सोच रहे होंगे यह तो ठीक है ।आगे क्या? अब असली कहानी पढ़िए । बात यह है कि पदमा और वेंकट कभी भी एक दूसरे से अलग नहीं रहे थे । एक ही ऑफिस में थे साथ जाना साथ आना फिर क्या पर आज बच्चों के ख़ातिर वे अलग अलग रह रहे हैं । सुबह की चाय से लेकर रात को सोने तक दोनों साथ रहते थे । पदमा अपने मायके भी वेंकट को छोड़ कर नहीं जाती थी । अब यहाँ वीकेंड पर मिलते थे परंतु बात करने के लिए एक शब्द भी मुँह से नहीं निकलता था । दोनों एक-दूसरे को देखते ही रह जाते थे । अपनी मर्ज़ी से यह निर्णय लिया था तो किसी से कुछ कह भी नहीं सकते थे । गौतम को अपनी कंपनी के काम के सिलसिले में इंडिया जाना था ।उसने सबको बता दिया कि पंद्रह दिनों में काम ख़त्म करके वापस लौट आएगा । कहने के मुताबिक़ वह इंडिया चला गया । पंद्रह दिनों के बाद वह आया । सीमा का परिवार भी गौतम से मिलने आ गया । पदमा खाना बनाने में व्यस्त थी ।वहीं पर वेंकट भी आ गया और दोनों मिलकर काम करने लगे ।

सीमा ने आवाज़ दी ।माँ पिताजी आप दोनों भी यहीं आ जाइए । गौतम ने इंडिया की बहुत सारी बातें बताई । इस थोड़े से समय में ही वह सबसे मिलकर आ गया था । सीमा ने कहा माँ आप दोनों के लिए हमारे पास एक सरप्राइज़ है ।

गौतम चिल्ला रहा था कि सीमा अभी नहीं बाद में बताएँगे पर उसने सुना नहीं और कहा हम दोनों नया घर ख़रीद रहे हैं । मैं और वेंकट खुश हो गए थे । मैंने कहा जहाँ तुम लोगों ने घर लिया है वहाँ से गौतम को ऑफिस के लिएदूर तो नहीं होगा ना ।

सीमा ने कहा नहीं माँ गौतम का ऑफिस ज़्यादा दूर नहीं है । सीमा और गौतम अपने अपने घरों में शिफ़्ट हो गए । जब हम दोनों ने देखा तो हमारे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा क्योंकि दोनों पड़ोसी थे ।



मैंने कहा — अरे वाहह क्या बात है ? तुम दोनों ने तो कमाल कर दिया है । गौतम ने सबकी उपस्थिति में बताया माँ यह कमाल हम दोनों का नहीं है मौसी का है । जब मैं इंडिया गया था तो मौसी से मिलने भी गया था बातों बातों में जब उन्हें पता चला कि आप दोनों अलग अलग रहते हैं ।उन्होंने मुझसे कहा गौतम तुम्हारे माता-पिता को कभी भी मैंने अलग अलग रहते नहीं देखा है । तुम लोगों ने उन्हें इस उम्र में अलग कर दिया है ।यह बहुत गलत है । मैंने कहा उन्होंने अपनी मर्ज़ी से यह निर्णय लिया है मौसी हमने तो उनसे कहा ही नहीं है । मौसी ने कहा माता-पिता अपने बच्चों को दुखी नहीं देख सकते हैं गौतम ।इसलिए उन्होंने तुम लोगों के लिए दिल पर पत्थर रख कर यह निर्णय लिया होगा ।उन दोनों को मिलाने का काम भी तुम्हें ही करना पड़ेगा । मैंने जब इन सबको बता दिया तो हम चारों ने मिलकर यह फ़ैसला लिया कि घर नज़दीक होंगे तो आप कभी अलग नहीं होंगे बस हमने पास पास घर ख़रीद लिया ।

ममता ने कहा – मम्मी जी मैंने एक नैनी का इंतज़ाम भी कर दिया है तो वह बच्चों को देख लेगी आप दोनों बातें करते हुए उसे मॉनिटर कर सकते हैं । वेंकट भी बहुत खुश हो गए । एक दिन नहाकर मैं आइने के पास बाल बनाते हुए गा रही थी कि लो आ गई उनकी याद वो नहीं आए । पीछे से वेंकट आए और उन्होंने कहा अब मैं तुम्हारे साथ ही रहता हूँ पदमा इस गाने को भूल जाओ । दोनों हँसने लगे । उन्हें हँसते हुए खुश देख कर बच्चों को भी अच्छा लगा । गौतम ने मौसी को फ़ोन करके बता दिया और उन्हें धन्यवाद कहा कि आपके कारण हम जान सके हैं और हमारे माता-पिता खुश हैं ।

दोस्तों अपने माता-पिता के बिन कहे उनके मन की बात बच्चे समझ ही नहीं पाते हैं । पर कोई बात नहीं है गौतम और सीमा ने किसी की बात सुनी और उसे अमल में लेकर आए ताकि माता-पिता खुश रह सकें यही बहुत बड़ी दौलत है ।

के कामेश्वरी

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