ये कैसी आस्था,,,,कैसा विश्वास –   सुषमा यादव

हम सबका किसी ना किसी पर बहुत ही आस्था और

विश्वास रहता है,,पर ये‌ आस्था किस पर,,

 

,, चलिए देखते हैं,,,

 

छोटी बेटी कोटा में पी एम टी, की कोचिंग करने गई थी, पहली प्रवेश परीक्षा में उसके अच्छे नंबर नहीं आ पाये थे,, तो स्वाभाविक था कि मनपसंद मेडिकल कॉलेज और विषय नहीं मिल रहा था, 

हम सबने समझाया कि कोई बात नहीं,चलो एक बार और कोशिश करो,,, उसने दोबारा कोचिंग शुरू कर दिया, मैं नौकरी करती थी, उसे छोड़कर वापस लौट आई ,

कुछ समय पश्चात पड़ोस में रहने वाली एक बिहार की बहन ने मुझे फोन किया,,, भाभी जी  ,, बेटी  बहुत मानसिक तनाव में रहती है,

लगता है कि वो अवसाद से घिर गई है, ना किसी से बोलती है,ना ही खाना खाती है,उसका टिफिन दरवाजे के बाहर ही रखा रहता है,

आप जल्दी से आ जाइए,,उसकी मकान मालकिन भी बोल रही है,,हम सबको बहुत चिंता हो रही है,,हम सब बहुत घबराये, ये बोले तुम फौरन जाओ,, मैं उसी दिन निकल पड़ी,, रास्ते भर सोचती रही, बड़ी फ़िक्र हो रही थी, मुझे देख कर बेटी आश्चर्य चकित रह गई और गले लग कर फूट फूटकर रोने लगी, मैंने उसे समझाया और कहा कि मैं आ गई हूं ना,, अब सब ठीक हो जायेगा, छोटे बच्चे जैसा संभाला,, वो पढ़ती तो मैं उसके मुंह में कौर डालती, क्यों कि वो खाना ही नहीं खाती, मुझे उसकी हमेशा ही चिंता लगी रहती,,उस पर बराबर नजर रहती,, मैंने भी अवैतनिक अवकाश ले लिया,, इसके पास मेरा रहना बहुत जरूरी है,, धीरे धीरे थोड़ा सामान्य होने लगी,,उसकी बिहार वाली आंटी और उनका परिवार तथा मकान मालिकिन का परिवार दोनों बहुत ही मानते थे,, हमारी अच्छी दोस्ती हो गई थी,,,

एक दिन मेरी गोद में लेटे, लेटे, बेटी बोली,, मम्मी, हमें शेरू चाहिए,, वो ‌ला दोगी तो हम‌ खूब पढ़ेंगे,, मैं हैरानी से उसका‌ मुंह देखने लगी, ये तो असंभव है बेटा,


तुम्हारे पापा इंदौर में है, और वो वहां इतनी दूर, वो यहां कैसे आ सकता है, कौन लेने जायेगा,, मुझे नहीं मालूम,बस मुझे शेरू चाहिए, बहुत कहा, सुना,पर ज़िद पर अड़ी रही,, फिर से चुप्पी साध ली,।  शेरू हमारा पालतू डाग था,

बहुत ही वफादार और समझदार,, मैंने इनसे बताया, ठीक है, मेरी बेटी को शेरू चाहिए तो मैं ले आता हूं, तुम उसे बता दो, फिर क्या था, बेटी जी चहकने लगी, सबसे बताया,मेरा शेरू आ रहा है, मकान मालिक भड़के,, हमारे घर कोई कुत्ता नहीं आ सकता, मैंने और वो मेरी दोस्त ने समझाया कि वो आपके घर नहीं जायेगा,, बांध कर रखेंगे, क्या करूं, बेटी के भविष्य का सवाल है,,, ठीक है, कहकर चले गए,,ये शेरू को गाड़ी करके कोटा ले आये,, शेरू को देखते ही उसमें जैसे ऊर्जा का संचरण हो गया,सब बोले कि ये तो गज़ब हो गया, पहले ही बता देती,अब तो शेरू सबका पसंदीदा बन गया था,, ऊपर छत पर बेटी उसको सामने बिठाती और उसे पढ़ पढ़ कर ऐसे सुनाती , जैसे कोई व्यक्ति बैठा हो,, और वो भी दुम हिलाते, आंखें झपकाते ऐसा चुपचाप, सुनता बैठा रहता, जैसे सब समझ रहा है,, पढ़ाई की रफ्तार तेजी से बढ़ रही थी,,सब खुश हो कर देखते और दोनों को कुछ ना कुछ खाने को देते रहते, जहां पहले सब शेरू के नाम से ही चिढ़ रहे थे, अब सब उसके साथ खेलने लगे और उसे सुबह सुबह घुमाने ले जाते,, उसके आने से रौनक आ गई थी,, वो भी बेटी के आगे पीछे साये की तरह चलता रहता,,बस बेटी उसे दिन रात जब भी पढ़ती , सामने बिठाकर उसे सब सुनाती रहती,,वो बेचारा ऊंघता तो डांट पड़ती,हम पढ़ते पढ़ते मरे जा रहे हैं, और तुम्हें नींद आ रही है,, और वो बेचारा भूं  भूं करके ऐसे जताता,, नहीं, मैं सो नहीं रहा हूं, आंखें बंद कर सब सुन रहा हूं,, इस तरह हंसते खेलते उनकी परीक्षा की घड़ी आ गई,,अब सब शेरू को संभालते और हम बिटिया को लेकर जगह, जगह, जहां परीक्षा केंद्र होते, परीक्षा दिलाने ले जाते, वापस आकर वो सब हाल शेरू को सुनाती, पेपर कैसा गया, क्या बना, क्या नहीं बना,सब कुछ,, और वो भी सब दुम हिलाते सुनता रहता, ये सब देखकर सब लोग चुपचाप हंसते रहते,,

जिस दिन आल इंडिया मेडिकल प्रवेश परीक्षा थी,मैं उसे लेकर परीक्षा दिलाने ले गई थी,उस दिन ये बोले,,जब बेटू परीक्षा देकर बाहर आयेगी तो उसका हाथ कस कर पकड़े रहना,सारे रास्ते छोड़ना नहीं,, क्यों क्या हुआ,,

अरे,वो क्या है कि फिजिक्स का पेपर बहुत ही कठिन आया है, इंदौर, भोपाल में बच्चे, बाहर आकर बता रहे हैं,सब बहुत नर्वस हैं,, मुझे बहुत डर लग रहा है,बेटू , कुछ कर ना ले,, मैं बहुत घबरा गई,, और लपक कर गेट के पास पहुंच कर इंतज़ार करने लगी, जैसे आई, मैंने कस कर हाथ पकड़ लिया, और जल्दी से आकर रिक्शा में बैठ गई, उसके पीछे से साड़ी को लपेट कर अपने हाथ से उसके हाथ के साथ ही उसको भी कस कर पकड़ लिया, वो इधर उधर देख कर हैरानी से बोली,, ये क्या कर रही हैं, मैंने कहा, नहीं, थोड़ा सा थक गई हूं, तो मैं गिर ना जाऊं, इसलिए,, उसने भी मुझे कमर से पकड़ रखा,, मैं चुपचाप कनखियों से उसका चेहरा देख रही थी, कुछ पूछने की हिम्मत नहीं हो रही थी,,


बस उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी, मैंने कहा, कोई बात नहीं, बेटा, पेपर बहुत कठिन आया था,, तो क्या कर सकते हो, मायूस ना होना,अभी और भी परीक्षाएं बाकी है, है ना, पर मम्मी, आपको ऐसा क्यों लगा,मेरा पेपर तो बहुत बढ़िया गया है,,पर तुम्हारे पापा तो कह रहे हैं कि सब जगह के बच्चे बहुत निऱाश हैं,, और मैंने धीरे से उसका हाथ छोड़ दिया,, बताऊं, मां, पेपर तो सच में बहुत कठिन आया था,, मैं पढ़ते, पढ़ते थक गई थी,, लेटे लेटे नींद सी आने लगी,इतने में शेरू आया और मुझे भौंक कर उठाने लगा,, मैंने सोचा,इसे शायद बाहर जाना है,

पर ये गया ही नहीं, और आकर मेरे पास बैठ गया , फिर मेरी भी नींद उड़ गई और आपसे काफी पीकर मैं देर रात तक पढ़ती रही, और मम्मी आप को बताऊं,जो मैंने रात में पढ़ा, उसमें से सब फंस गया, वरना आज मेरा भी वही हाल होता, मैं इसलिए चुप चाप शेरू के बारे में ही सोच रही थी, वो मेरे लिए कितना लकी है ना मां,, हां बेटा, उसके प्रति तुम्हारी आस्था के क्या कहने,, और उसी साल मेरी बेटी ने आल इंडिया में, एम्स में,म, प्र,   उ, प्र,, में बहुत ही बेहतरीन प्रदर्शन किया, बड़े, बड़े मेडिकल कॉलेज छोड़ कर अंत में एम्स मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया,, और इसका श्रेय वो शेरू को देती है,, ये मेरी पढ़ाई का सच्चा साथी है,,

 

,,हम भगवान पर, मनुष्य पर आस्था और विश्वास तथा श्रद्धा रखते हैं,,पर उसका एक बेजुबान वफादार जानवर पर इतना विश्वास, श्रद्धा और आस्था रखना, वाकई काबिले तारीफ़ है,,

आज शेरू हमारे बीच नहीं हैं,,पर 

उसे हम सब कभी नहीं भुल सकते,,,

 

सुषमा यादव,, प्रतापगढ़,, उ प्र 

स्वरचित, मौलिक अप्रकाशित 

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