महत्व – कंचन श्रीवास्तव

****   माना काम का विशेष महत्व है जीवन में पर ये तब और बढ़ जाता है जब मन का हो। वैसे तो संतुष्टि शब्द है ही नहीं जीवन में क्योंकि अनंत इच्छाओं के मकड़जाल में फंसा है आदमी।अब इन्हें ही ले लो पचास पूरा करते करते जाने कितनी नौकरियां बदले,जाने क्या है कि कहीं … Read more

सामान्य समझ – तरन्नुम तन्हा

नई नई शादी होकर घर में आई थी मैं। ‘एम ए बी एड है बहू मेरी’, मेरे ससुर साहब तो सबसे मेरी तारीफ़ करते, लेकिन घर में मेरी सासुमाँ हर समय बुराई ही करतीं, ‘इसे ये नहीं आता, इसे वो नहीं आता’। ससुर जी चुप रह जाते, और मैं खुद को समझाती, ‘अगली बार और … Read more

रेनकोट- विनय कुमार मिश्रा

“मम्मी! मेरा रेनकोट देखा है क्या आपने?” “पता नहीं बेटा.. वैसे भी तू तो कल रेनकोट में भी थोड़ा भीग गया था, वो फट गया है कहीं से” “हाँ माँ फट तो गया है पर फिर भी उससे बहुत सेफ रहता हूँ। अच्छा ये रोहन कहाँ है?” “अब समझी, वही शायद तेरा रेनकोट पहनकर तेरी … Read more

अभिनेत्री – नीरजा कृष्णा

अपनी वैनिटी वैन में मेकअप करवा रही सुनैना मंद मंद मुस्कुरा रही थी। वहीं शूटिंग कर रहे सुपरस्टार रवि भूषण  और वो दोनों आज डेट पर जा रहे थे। वो बहुत खुश थी…देश के सबसे बड़े सुपरस्टार का दिल उस पर आ गया था और वो उससे शादी करना चाह रहे थे। इसके लिए वो … Read more

भाभी का घर – नीरजा कृष्णा

भैया भाभी ने बहुत मेहनत और अरमानों सें छोटा सा बंगला बनवाया है… बाबूजी और अम्मा तो तरसते ही रह गए… बहुत इच्छा थी बेटे बहू के प्यारे से नीड़ को देखने की…वो चाह कर भी उनकी इच्छा पूरी नही कर पाए…उन दोनों की बीमारी… छोटी बहन के विवाह की जिम्मेदारी… अपने  दो बेटे और … Read more

दिल की व्यथा – डा. मधु आंधीवाल

कल तक खूब रंगो की बहार थी । आज फिर वही सन्नाटा । सब अपने फ्लैटों में बन्द । रेखा सोच रही थी । वह अपने गांव की होली का त्यौहार एक हफ्ता पहले और एक हफ्ता बाद तक बच्चों की तो लाटरी निकल आती थी पर इन बड़े शहरों में त्यौहार कम मनते हैं … Read more

एक कदम का फासला – गुरविन्दर टूटेजा

********************* कल बॉलकनी में खड़ी थी तो…. नज़ारा देख मन में उठे कई सवाल  थे….!!! मॉल से निकले पैसे वालों के… गुब्बारे वाले के साथ व्यवहार को देख हम बेहाल थे….!!! बच्चे की जिद्द पर गुब्बारे वाले की तरफ इशारा करके पूछा…. कितने का गुब्बारा है…?? गुब्बारे वाला दौड़कर आगे आया और बोला….बीस रूपये का … Read more

बादल के मन की व्यथा – मीनू जाएसवाल

हम सब बादलों को देखकर कितने खुश हो जाते हैं जैसे मन में हरियाली सी छा गई हो,खुशी से मन झूमने लगता है और हम चाहते हैं कि बादल यही बरस जाए ,तो तन और मन दोनों खुश हो जाएं अच्छा लगता है उनको देखना उनकी अलग-अलग आकृतियां बनाना और ना जाने कैसी कैसी फीलिंग … Read more

इंसानियत का फ़र्ज़ – रेणु गुप्ता

“मम्मा, मैंने आपसे कल भी कहा था, मैं ऐनी आंटी और उनकी बेटियों को इस हालत में छोड़कर इंडिया नहीं लौटूंगी। फिर आप मुझे यहां से निकालने के लिए इंडियन ऐंबेसी से बार-बार बातें क्यों कर रही हैं? यहाँ अंकल के बिना आंटी की हालत बहुत खराब है। वह बहुत कमजोर दिल की हैं। हर … Read more

माएके का ज़ख्म – अनुपमा

मां बार बार फोन कर रही थी इतने सालों से देखा नही तुझे मालती और बच्चों को , आ जा इस बार फिर पता नही मुलाकात हो या न हो । मालती हां मां आती हूं जल्दी ही ये कह कर फोन रख देती थी ।  ये सिलसिला पिछले दस सालों से चल रहा था … Read more

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