एक कदम का फासला – गुरविन्दर टूटेजा

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कल बॉलकनी में खड़ी थी तो….

नज़ारा देख मन में उठे कई सवाल  थे….!!!

मॉल से निकले पैसे वालों के…

गुब्बारे वाले के साथ व्यवहार को देख हम बेहाल थे….!!!

बच्चे की जिद्द पर गुब्बारे वाले की तरफ इशारा करके पूछा….

कितने का गुब्बारा है…??

गुब्बारे वाला दौड़कर आगे आया और बोला….बीस रूपये का साहब !!!!

फिर साहब के तेवर अवाक कर गये….दस रूपये के गुब्बारे के बीस रूपये बता रहे हो बहुत भाव बढ़ा रहे हो….!!!!!


गुब्बारे वाले के जवाब ने बहुत बड़ी सच्चाई को बयाँ किया था……

साहब बस एक दरवाजे का ही तो  फासला है….अगर मैं दरवाजे के अन्दर होता तो आप जैसे कितने ही खुशी-खुशी इसी गुब्बारे के चौगुने भाव दे रहे होते…..!!!!

सोच रही थी कि सच तो है….

“जहाँ बोलना चाहिये वहाँ पानी जैसे पैसा बहाता है इंसान….

जहाँ ठोकर खाकर चंद खुशियाँ कमाता है वही पर भाव करके अपनी छोटी सोच बताता है इंसान..!!!!”

गुरविन्दर टूटेजा

उज्जैन (म.प्र.)

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