
अभिनेत्री – नीरजा कृष्णा
- Betiyan Team
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- on Jun 09, 2022
अपनी वैनिटी वैन में मेकअप करवा रही सुनैना मंद मंद मुस्कुरा रही थी। वहीं शूटिंग कर रहे सुपरस्टार रवि भूषण और वो दोनों आज डेट पर जा रहे थे।
वो बहुत खुश थी…देश के सबसे बड़े सुपरस्टार का दिल उस पर आ गया था और वो उससे शादी करना चाह रहे थे। इसके लिए वो अपनी पत्नी और बच्ची को भी छोड़ने को तैयार थे। एकाएक उसे अपने माता पिता की नाराज़गी का भी ख्याल आया। आज ही तो मम्मी कह रही थीं,”सुनैना, मुझे तेरा उस शादीशुदा रवि से मिलना कतई पसंद नहीं है। तेरे लिए लड़कों की कोई कमी नहीं है। क्यों बासी फूल से अपना गुलदस्ता सजाना चाह रही है?”
वो बुरी तरह चिढ़ गई थी,”वो तुम्हें बासी फूल लग रहे हैं…अरे उनकी एक निगाह के लिए पूरे हिंदुस्तान की लड़कियाँ तरसती हैं और वो सब छोड़ कर मुझसे विवाह करना चाहते हैं।”
वो पलटवार करते हुए बोल पड़ी,”किसी का घर जला कर तू अपने घर का दिया जलाना चाहती है। ये ठीक नहीं है।”
वो भी तो बहस पर उतर आई थी,”आपकी सोच वोही पुरानी परंपरागत मिडिल क्लास वाली ही है। जरा ऊपर उठ कर देखो और सोचो। तुम अपकमिंग स्टार की माँ हो।”
उन्होंने और कुछ बोलना बेकार समझ कर मौन धारण कर लिया था। तभी बाहर कुछ सनसनी सी मची।वो धरातल पर आ गई थी। रवि जी की पत्नी और बिटिया आए हुए थे। वो एकटक उन दोनों की ओर देखती रह गई थी। दोनों कितनी सुंदर, मासूम और पवित्र लग रही थी। उसे माँ की बात याद आ गई और वो स्वयं को धिक्कारने लगी…हाय हाय…मैं इस प्यारी महिला का घर बरबाद करने जा रही थी…इस मासूम बच्ची के सिर से पिता का साया छीन रही थी…जो व्यक्ति इतनी सुंदर पत्नी और बच्ची को छोड़ सकता है ,वो उसे भी छोड़ सकता है”
सोचते हुए वो तन कर बैठ गई और धीरे से निकल गई। थोड़ी देर में सुपरस्टार रवि का फोन आ गया,”अरे यार, यहाँ तुम्हारा वेट कर रहा हूँ। कहाँ गायब हो गई हो, किसी तरह मोहिनी और मिनी को वापिस भेजा है।”
उसने तल्खी से जवाब दिया,”आप अपनी उस मोहिनी के नहीं हो सके,मेरे क्या होंगे।”
वो चिल्लाते हुए पूछने लगा,”क्या मतलब है तुम्हारा? वो मुझसे प्यार का नाटक कर रही थीं?”
वो शांत स्वर में बोली,”ज्यादा चिल्लाने की कोई जरूरत नहीं है। मैं तो ऐसे ही एक्टिंग कर रही थी। आखिर एक सफल अभिनेत्री हूँ।”
उधर से भद्दी गालियों के साथ फोन काट दिया गया। पर उसके चेहरे पर शान्ति थी। मासूम मिनी का चेहरा उसकी आँखों के आगे घूम गया था।
नीरजा कृष्णा
पटना
मौलिक रचना