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भाभी का घर – नीरजा कृष्णा

भैया भाभी ने बहुत मेहनत और अरमानों सें छोटा सा बंगला बनवाया है… बाबूजी और अम्मा तो तरसते ही रह गए… बहुत इच्छा थी बेटे बहू के प्यारे से नीड़ को देखने की…वो चाह कर भी उनकी इच्छा पूरी नही कर पाए…उन दोनों की बीमारी… छोटी बहन के विवाह की जिम्मेदारी… अपने  दो बेटे और उनकी पढ़ाई लिखाई…. सबके बोझ तले भाई भाभी पिस रहे थे…कभी उफ्फ़ तक नहीं की…आज गृहप्रवेश का न्योता है… मधु सपरिवार भाई भाभी की खुशी में सम्मिलित हो रही है।

शाम की पार्टी के बाद सब बैठक में गपशप में मस्त थे…सामने अम्मा बाबूजी की भव्य तस्वीरों की तरफ़ देखते हुए भैया बहुत भावविह्वल हो गए,”आज दोनों होते तो रौनक ही कुछ और होती… अम्मा को तो नए घर का बहुत चाव था…पर उनकी जिंदगी में उनका सपना पूरा नही हो पाया” कहते हुए वो आँसू पोंछने लगे।

मधु के पति राहुल ने बढ़ कर उनको सहारा दिया,”कोई बात नही भाईसाहब! हर काम के लिए समय तय रहता है… ऊपर से वो दोनों देख कर कितने प्रसन्न हो रहे होंगे…क्यों मधु?”


पर वो कुछ सोच रही थी…कोई उत्तर नही दे पाई… भाभी पूछ बैठी,”मधु, कुछ अनमनी सी लग रही हो…क्या बात है… कुछ कमी रह गई क्या… और हाँ अम्मा बाबूजी की ये तस्वींरें कैसी लगी…तुम्हारे भैया ने बहुत शौक से बनवाई हैं।”

उसकी आँखें गीली हो गई.. भाभी से चिपट कर बोली,” आप दोनों का स्नेह अनमोल है भाभी! माँ नही हैं पर आपने मेरे लिए मायके में कोई कमी नही छोड़ी…अम्मा से बढ़ कर प्यार दुलार दिया पर …पर।”कहते हुए चुप हो गई।

“क्या बात है लाडो रानी…तुम तो हमारी ही बिटिया हो ।”

“वोही तो भाभीमाँ…ये घर आपका भी तो है ना…खाली भैया का तो नही है।”

वहाँ बैठे सब लोग चौंके…आज मधु को ये क्या सनक चढ़ गई है… बहुत पूछने पर बोली,”यहाँ उन माता पिता की तस्वीरें क्यों नही हैं जिन्होने भाभी जैसी बेटी को जन्म दिया और इतने बढ़िया संस्कार दिए। घर तो भाभी का भी है..यहाँ उनके माता पिता को सम्मान क्यों नही?”

नीरजा कृष्णा

पटना

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