अब समझौता नहीं – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

 क्या हुआ बहू ..?? आज तूने चाय नहीं बनाई री …?? सुबह से मेरे  पेट में हलचल हो रही है … पर तू है कि उठ ही नहीं रही बिस्तर से… माना कि इतवार है .. हर बार ही थोड़ा देर से जगाती है तू… लेकिन ये  तो सोच घर में बड़े- बुजुर्ग हैं उनके … Read more

शहाबो की बारात – हेमलता श्रीवास्तव  : Moral stories in hindi

मेरा विवाह संभ्रांत परिवार में हुआ था और खेती-बाडी भी थी, विवाह के कुछ दिनों बाद जब  सासूमां के साथ उनके गांव गई तो आदतन  मुझे हर जगह डर लग जाता था पर नई होने के कारण किसी से कुछ कह न पाती।  एक दिन पति से पूछ ही लिया आपको डर नही लगता लाइट … Read more

नयी दिशा – डा० विजय लक्ष्मी : Moral stories in hindi

बारिश की बूँदें खिड़की से टकरा रही थीं, और कैफे के भीतर आकाश चुपचाप मेजें साफ कर रहा था। कभी जो हाथ ब्रश से सपनों के रंग भरते थे, आज वही हाथ झूठी प्लेटें समेट रहे थे। भीड़ के शोर में भी उसका मन अजीब सी खामोशी में डूबा बुझा सा था। “क्या यही मेरी … Read more

अब और नहीं – सुधा शर्मा : Moral Stories in Hindi

 करुणा खुद को विकट मानसिकता से निकालने  का प्रयास कर रही थी । क्या आसान था यह? किसी बात की भी हद होती है ।  कितना कितना सहन किया था ।होश  संभालने  से लेकर आज तक ।क्या उसकी तकलीफें कभी खत्म नहीं होगी ।   चारों तरफ देखो लडकियों  कितनी सहज जिंदगी जी रही है … Read more

अब समझौता नहीं – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

रात के खाने के बाद सब लोग  अपने-अपने कमरों में जा चुके थे। घर की दीवारों पर पसरी खामोशी ने जैसे अंजलि के भीतर के तूफान को और उकसा दिया था। वह छत पर चली आई। सिर के ऊपर आकाश, बिखरी हुई चाँदनी,v और एक ऐसा अकेलापन… जो उसकी आत्मा की परछाई जैसा था। अंजलि … Read more

संशय – डॉ ऋतु अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

         “सुनो जी! मुझे लगता है कि पारुल के मायके से जो तीज-त्योहार पर सामान आता है न, वह स्वयं अपने माई को रुपए भेज देती है और उसका भाई आकर सारे नेग पूरे कर जाता है।”कविता ने अपने मन का संशय अपने पति प्रदीप के समक्ष ज़ाहिर करते हुए कहा।          “छोड़ो भी यार! जब बहू … Read more

रिश्तों के सही मायने – डॉ.बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

   जब किसी की अच्छाई पर बात करनी हो तो शायद ही कोई बोलता हो, सभी खामोश रहते हैं। लेकिन किसी की बुराई करनी हो तो गूँगें भी बोल पड़ते हैं। इसके बावजूद भी बुराई कितनी भी बड़ी हो वह हमेशा अच्छाई के सामने छोटी ही होती है। और जहां तक विश्वास की बात है…. विश्वास … Read more

ये घर तेरा भी है – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

“कल दही भल्ले, गाजर का हलवा , राजमाह , मिक्स वैज राईस बनेगें और हां धनिया पुदीने की इमली वाली चटनी के साथ साथ बच्चों के लिए वाईट सोस का पास्ता भी और कुल्फी बाजार से मंगवा लेगें”। “ और हां मीठे पीले चावल भी” बंसत पंचमी है, शिल्पा को जैसे एकदम से याद हो … Read more

अपने मन की सुनो – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

ड्राॅइंग रूम के सोफ़े पर बैठकर श्रुति टेलीविज़न पर कार्टून शो देख रही थी।फिर वो रिमोट से चैनल बदलकर न्यूज़ देखने लगी।एक रिपोर्टर बोल रही थी,” आतंकवादियों ने धर्म पूछकर हिन्दू पर्यटकों पर गोलियाँ बरसा दीं..।उसने तुरन्त टीवी बंद कर दिया और पास बैठे अपने पिता से बोली,” पापा..कल स्कूल में मेरी एक सहेली कह … Read more

बीस साल बाद – परमा दत्त झा : Moral Stories in Hindi

आज दस दिन बाद जब वे कमरे पर आये तो चौंक गए।कारण मंत्री रघुवीर ने बीस हजार रूपए भेजे थे। साथ में पत्र भी था उसमें फोन नंबर भी दिया था। फोन करते ही प्रणाम किया और बोला -सर आपने पहचाना। अरे बेटा रघु ,तुमने पैसे क्यों भेजे? सर यह तो आपके उपकार के बदले … Read more

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