काश! बेटी की बातों में ना आती – तृप्ति उप्रेती

 “चाय बना दूं”? सुरभि जी ने पास बैठे दिनकर जी से पूछा। “इच्छा तो नहीं है। तुम पियोगी तो थोड़ी मैं भी पी लूंगा”। दिनकर जी अखबार समेटते हुए बोले। सुरभि घुटनों पर हाथ रखकर धीरे-धीरे उठी और रसोई में जाकर चाय बनाने लगी। सर्दियां शुरू हो चली थी। ऐसे में उनके जोड़ों का दर्द … Read more

पिया की पाती – अनुपमा

#बैरी_पिया अनुज और बच्चे सभी बहुत उत्साहित है आज मम्मी पापा जी की 50 वीं शादी की सालगिरह जो है , अनुज ने एक छोटी सी पार्टी रखी है , बड़ी दीदी , छोटी दीदी , भैया जी व कुछ करीबी लोगो को बुलाया गया है । बच्चे तो इतने उत्साहित है की उन्होंने उस … Read more

रंग शरबतों का – Anamika Pravin

सुरैया ने जैसे तैसे खुद को भीगने से बचाने के लिए पास के कैफे में एंटर किया । बचते बचते भी साड़ी नीचे से गीली हो ही गई । नज़र उठा कर देखा तो पूरा कैफ़े खचाखच भरा पड़ा था । ” ओहो ! एक भी टेबल खाली नहीं है , क्या पूरे शहर में … Read more

हम तो हैं ही सर्वगुण संपन्न – पूजा मनोज अग्रवाल

 बात उन दिनों की जब हम M.A द्वितीय वर्ष की परीक्षा की तैयारी कर रहे थे।हमारी बड़ी बहन का विवाह हुए करीब डेढ़ वर्ष बीत चुका था, तो हमारी मां को हमारे भी विवाह की चिंता सताने लगी ….।         मां ने पिताजी से कहकर पंडित जी को घर बुलवाया ,और हमारा जन्म दिन  व समय … Read more

एक नया इतिहास – वीणा

सुबह से ही रिमझिम बारिश हो रही थी।मौसम खुशनुमा हो गया था।प्रिया बालकनी में बैठ धीरे धीरे चाय के घूँट भर रही थी , पर उसका मन द्रुत गति से अतीत की गलियों में विचर रहा था ।                   उसे याद आने लगा वह दिन ,जब एक हादसे ने उसकी खूबसूरत , हसीन सी जिंदगी को … Read more

अनमेल शादी – मुकुन्द लाल

 जब शाम में पंकज काॅलेज से डेरा आया और रात का खाना तैयार करने के लिए ज्योंही किचन में जाने लगा, त्यों ही झट से रूपा ने उसकी बांँह पकड़ ली यह कहते हुए, ” आराम कीजिए, मैं खाना बना लूंँगी…”    ” नहीं!”    “तकलीफ न करो!… मैं नहीं चाहता कि मेरे कारण दिक्कतें उठाओ।”    “मेरी … Read more

आया सावन – नीलिमा सिंघल

#बैरी_पिया सावन की बदरी झमाझम बरस रही थी और सोम्या बड़ी बेताबी से रोहन अपने पति की प्रतीक्षा कर रही थी, आज उसे बरबस ही विवाह का पहला सावन याद आ रहा था, कितना कुछ बदल गया था इन 5 सालों में, 15 दिन पहले रोहन टूर पर गुजरात गया था और वादा करके गया … Read more

वो झूला – सरला मेहता

राधिका अपने बेटे को  झुलाते हुए अतीत में खो जाती है। पार्क,झूला व शाम, सब वही। बस कृष्णम के स्थान पर बेटा दिव्यम। इसी झूले पर एक हुए और बिछड़े भी। बस यही एक सहारा बचा ज़िन्दगी में। कैसे भुलाए उन लम्हों को। सहकर्मी कृष्णम के साथ उसकी सुहानी शामें यहीं बीतती थी। दोनों घण्टों … Read more

यादें – उमा वर्मा

आज मई की चौबीस तारीख है ।मेरे पति की बीसवीं बरसी।लगता है अभी कल ही की बात है ।समय कितना जल्दी बीत गया है ।वह दिन भुलाएँ तो कैसे? सुबह के आठ ही बजे थे पर उस दिन का सूरज मेरे लिए डूब चुका था ।सुबह उठे तो मैंने उन्हें  सहारा देकर  मुंह धुलाया।बाथरूम ले … Read more

नियति -तरन्नुम तन्हा

मैं कला प्रदर्शनी में देख तो वह पेंटिंग रही थी, लेकिन मेरा ज़ेहन मेरी बेटी की ओर ही था। वैसे मैंने अब तक शादी तो नहीं की है, लेकिन ग्यारह वर्ष की बेटी है मेरी, चित्रांशी, जो कमाल के चित्र बनाती है। वह नौ वर्ष की थी जब मुझे चाँदनी-चौक में एक औरत के साथ … Read more

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