पिया की पाती – अनुपमा

#बैरी_पिया

अनुज और बच्चे सभी बहुत उत्साहित है आज मम्मी पापा जी की 50 वीं शादी की सालगिरह जो है , अनुज ने एक छोटी सी पार्टी रखी है , बड़ी दीदी , छोटी दीदी , भैया जी व कुछ करीबी लोगो को बुलाया गया है ।

बच्चे तो इतने उत्साहित है की उन्होंने उस पार्टी मैं ही दादी और दादा जी की फिर से शादी करवाने का और केक कटवाने का पूरा इंतजाम किया है , और अनुज तो हद ही करते है उन्होंने मम्मी पापा जी के लिए होटल मैं रूम तक बुक किया हुआ है । मम्मी जी तो बिलकुल भी सहज नहीं थी , पर बच्चों की जिद और खुशी के लिए वो भी कुछ ज्यादा कह नही पाई । और पिता जी वो तो बिलकुल बच्चों मैं शामिल हो गए और बच्चे ही बन गए है , अनुज ने पापा को ग्रूमिंग करवाने भेजा है तो हम भी अपनी सासु मां को क्यों पीछे रखे सो हम भी मम्मी जी को लेकर पार्लर पहुंच गए और उनका मेक ओवर करवा दिया ।


सबकुछ बहुत सही तरीके से हो रहा था 

पार्टी मैं बच्चों ने बहुत शोर मचाया और अपने दादा दादी की एनिवर्सरी को उनकी शादी जैसा ही बना दिया , पापा जी ने मम्मी जी को सभी के सामने प्रपोज किया जो शायद पहली बार ही था उनके लिए भी , अंगूठी पहनाई और वरमाला भी डाली ।

पापा जी ने मम्मी जी के लिए बहुत सुंदर कविता लिखी जो उन्होंने सबके सामने उन्हे पढ़ कर सुनाई ।

सारा कार्यकर्म निपट जाने पर अनुज मम्मी पापा जी को होटल छोड़ आए ।

पापा जी ने मम्मी से सबसे पहले अपना गिफ्ट मांगा तो मम्मी जी ने एक कागज उन्हे पकड़ा दिया ।

पापा जी बड़े आश्चर्य से मम्मी जी को देख रहे थे पर पापा जी ने वो कागज खोल कर देखा था तो उसमे मम्मी जी ने एक पत्र लिखा था उनके लिए जो की कुछ इस तरह था ।

पिया की पाती 

अनुज के पापा जिस रात हम सर्व प्रथम मिले थे वो जैसे भी बीती हो ,आज की रात मुझे सिर्फ आपको एक बार फिर समझ के बितानी है , बहुत सोई हूं आपके साथ पर,ढेर सारी बातों के साथ देर तक जाग कर ये रात मुझे बितानी है । काम ,घर इन सब की जिम्मेदारी के बीच पता ही नही चला की आप क्या चाहते हो ,क्या करना था , क्या बनना था , आज वो सब जान पाऊं मुझे  ऐसे ये रात बितानी है , चूंकि आपका और मेरा प्रेम विवाह नही हुआ था फिर भी क्या मैं आपकी प्रेमिका बन पाई या आपके जीवन को प्रेम से भर पाई ?  

आपने कभी कुछ मांगा नही , अपने लिए कभी कुछ किया नहीं , छोटे भाइयों की जिम्मेदारी ,छोटी बहनों की जिम्मेदारी निभाते निभाते खुद की गृहस्थी बढ़ गई और आप कभी उन जिम्मेदारियों से निकल नही पाए खुद के लिए दो पल का समय ,आज फुर्सत से बैठ कर उन पलों को महसूस करते हुए मुझे ये रात बितानी है । आपको घूमना बहुत पसंद था पर कभी भी व्यापार छोड़ कर आप चार दिन को घर की बरातों मैं भी जा नही पाए तो अब आप जहां चाहे वहां आपके सफर की हमसफर बन कर ये रात मुझे बितानी है । 

वैसे एक बात कहूं मुझे पता तो है की आपको क्या खाना पसंद है और आपकी क्या क्या आदतें है पर जो मैं नही जान पाई और आप घर के बड़े होने के नाते कभी कर नही पाए वो भूली ख्वाइशें आपके साथ पूरी करनी है । पहले एक शिकायत थी मुझे आपसे की आपके खर्राटों से मैं सो नहीं पाती थी अक्सर पर अब तो हालत ये बिन आपके खर्राटों के मैं सो भी नही पाती हूं ।

जानती तो हूं की लिखते भी थे आप पर कभी समय नही दे पाए तो आज मुझे सुनना है वो हर बात जो कागज पर उतर नही पाई।

जीवन के पचास साल आपकी पत्नी होने का फर्ज निभाया मैने पर अब आपकी सखी बनना चाहती हूं।

ज़िया आपने और मैने अपना जीवन अब तक सबके अनुसार पर अब कुछ पल/ समय  मुझे सिर्फ आपके साथ बिताना है । पता नही कितना वक्त हो तुम्हारे और मेरे पास पर जो भी है जितना भी है , बस अपनी जिंदगी अपनी समझ कर बिताना है ,दिया है मैने अब तक हमेशा आपका साथ तो क्या आप अब मेरा साथ देंगे जिससे हम सिर्फ मैं और तुम बन कर जी सके ।

आपकी सखी

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