यादें न जाए बीते दिनों की -के कामेश्वरी

सन् १९८० की बात है। जब मैं कॉलेज में पढ़ती थी। जैसे ही मैं कॉलेज से घर पहुँची। मैंने देखा माँ मुस्कुरा रही है और कुछ इशारा कर रही थी। पहले तो मुझे समझ नहीं आया फिर मुझे लगा कि बेडरूम की तरफ़ इशारा कर रही थी। मैं झट से बेडरूम की तरफ़ भागी और … Read more

धूप छावँ …. ज़िंदगी की !! – अल्पना श्रीवास्तव

उस साल प्रिया की शादी को दो साल हो गए थे । पर क्या इन दो सालों में प्रिया पंकज को जान पाई थी ? शायद नहीं … कभी -कभी लगता था ,यूँही ज़िंदगी बीत जाएगी ।”एक तो ज़बरदस्ती की शादी उस पर ऐसा बेरुख़ी भरा पंकज का व्यवहार “ शायद पंकज ने भी बेमन … Read more

एक नई शुरुआत – अंतरा

आरती को बचपन से ही कला का बहुत शौक था। हालांकि उसने कहीं भी कोई कोर्स नहीं किया था फिर भी वह किसी   की भी शक्ल हूबहू कागज पर उतार देती थी …शायद भगवान का दिया वरदान था उसके हाथों में …लेकिन कला एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर ना तो मां-बाप कभी कोई … Read more

ससुराल में बहु का आखिरी दिन – प्रीती वर्मा

सुबह सुबह डोरबेल बजी। मैने दरवाजा खोला तो हैरान रह गई।सामने अपने पसंदीदा वाहन पर , मुख पर वही चिरपरिचित मुस्कान सजाए, साक्षात यमराज जी खड़े थे।    मन तो डर गया,अब मन तो डरना ही था, वो यमराज जो ठहरे।उनकी जगह कोई और देवता या भगवान होते, तो मैं खुशी से झूम उठती।लेकिन यमराज जी … Read more

जैसी करनी वैसी भरनी – के कामेश्वरी

अन्नपूर्णा अपने कमरे में पलंग पर पड़ी हुई थी । उसे लकवा हो गया था । कल तक पूरे घर पर राज करने वाली आज पलंग पर बेबस पड़ी हुई थी । कल तक उसके एक इशारे पर नाचने वाली बहुएँ ,बेटे आज उस पर ध्यान भी नहीं दे रहे हैं । जब अन्नपूर्णा शादी … Read more

पैसे वाले समझदार लोग –  सविता गोयल 

” थोड़ा जल्दी करो बहु। सुषमा अपने बेटे बहु के साथ आने ही वाली हैं। सारा सामान करीने से रखना। और हाँ गैस्ट रूम में वो नयी वाली चादर और ब्लैंकेट रख देना।,,अनिता की दादी सास उसे काम पर काम बताए जा रही थी।         अनिता सारे काम कर तो रही थी लेकिन उसे बहुत अटपटा … Read more

“मायके की रानी” हूं मैं!! – मीनू झा 

ईश्वर भी जाने क्यों हम औरतों को ही ऐसे ऐसे मोड़ पर ला खड़ा करता है कि हमारे आगे इतने आडे तिरछे रास्ते होते हैं कि उनकी भूल भुलैया में उलझ हम मंजिल की राह ही बिसरा बैठते हैं…आज उसी मोड़ पर तो खड़ी है वो और बिल्कुल समझ नहीं आ रहा कि क्या करें…किससे … Read more

मैं कौन हूं,,???  – सुषमा यादव

मेरा आज भगवान से एक प्रश्न है,, बताइए कि,, मैं कौन हूं,, धूप में सुलगती, जलती एक संघर्षशील स्त्री जो थोड़ी सी छांव पाने के लिए तरसती रही हरदम,, क्या आपने मुझे किसी परीक्षा का इम्तिहान लेने भेजा है,या इस धरती पर इसीलिए भेजा है कि मैं एक एक करके सबको गंगा जी पहुंचाऊं,सबका दाहसंस्कार … Read more

जिंदगी की जंग – संगीता अग्रवाल 

” अरे कमला काकी तुम यहां कैसे ?” चेताली हैरानी से बोली।

” हां बहुरिया मुझे पता लगा तुम्हारी काम वाली काम छोड़ गई तो सोचा पूछ लूं कि मैं वापिस से आ जाऊं !” कमला काकी बोली।

” पर काकी आप इस उम्र में फिर से काम करने आई हैं सब ठीक तो है ना ?” चेताली बोली।

” हां बहुरिया !” ये कहकर कमला काकी जमीन पर बैठ गई उनकी आंखों में आंसू थे जो चेताली से छिपे नही।

” काकी आप रो रही हो ?” चेताली हैरानी से बोली।

” नही बहुरिया वो क्या है ना की बाहर धूल उड़ रही शायद कोई तिनका गिर गया हो….आप मुझे काम बता दीजिए फिर मुझे घर भी जल्दी जाना है !” कमला काकी उठते हुए बोली।

” रुको कमला काकी बैठो वापिस और मुझे बताओ बात क्या है आखिर ?” चेताली कमला काकी को वापिस बैठाती हुई खुद भी जमीन पर ही बैठ गई।

 

कमला काकी चेताली के यहां कई साल से नौकरी करती थीं। जब चेताली दुल्हन बन इस घर में आई उससे पहले से उम्र में काफी बड़ी होने के कारण चेताली के पति, देवर ननद सब उन्हें काकी बोलते थे चेताली भी काकी ही बोलने लगी। काकी एक किस्म से घर की सदस्य ही थी चेताली की सास की विश्वासपात्र थी वो उनकी मृत्यु के बाद भी काकी चेताली के यहां काम करती रही।

कमला काकी अपने परिवार के बारे में ज्यादा नहीं बताती थी पर हां इतना पता था उनका बस एक बेटा है पति की मृत्यु बेटे के बचपन में ही हो गई थी। आज से चार साल पहले कमला काकी ने ये कहकर नौकरी छोड़ दी थी कि उनके बेटे को दूसरे शहर अच्छी नौकरी मिल गई और वो अपने बेटे बहु पोते पोती के साथ वही जा रही हैं। चेताली को ये सुनकर काकी के जाने का दुख तो हुआ था पर उनके बेटे की तरक्की देख खुशी भी हुई थी कि चलो काकी को अब घर घर काम नही करना पड़ेगा। पर आज ऐसा क्या हुआ जो काकी को वापिस उसी शहर में और अपने उसी काम पर लौटना पड़ा।




” वो बहुरिया…!” काकी कुछ बोलते हुए सकपका रही थी।

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बहू तुम्हारा इस्तेमाल कर रही है!! – कनार शर्मा

मम्मी जी मेरा लंच तैयार है जल्दी दे दीजिए…नंदनी अपनी बेटी मुन्नी गोद में लिए चूमते हुए बोली..!! ले बेटा एक बड़ा लंच, एक छोटा स्नेक्स का डिब्बा जब भूख लगे खा लेना और गर्म पानी की बोतल। मम्मी जी आज मुन्नी को फीड कराते कराते देर हो गई मैंने उसकी दूध की बोतल भर … Read more

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