सुबह का भूला यदि शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते !! -स्वाति जैन : Moral stories in hindi

अरे , चाय बनी या नहीं अब तक ?? सुशीला जी गुस्से में चिल्लाई !!

रसोई में टिफिन बनाती बहू रीमा बोली बस मम्मी जी !! चाय बन गई हैं अभी लाई !!

जल्दबाजी में रीमा ने चाय कप- प्लेट में छानी और बाहर सुशीला जी के लिए ले जाने लगी कि उसके हाथ से चाय का कप छूट गया !! चाय नीचे गिर गई और कप-प्लेट फूट गए !!

सुशीला जी गुस्से में रसोई में आकर बोली फोड़ दिए कप -प्लेट महारानी ने !! जानती भी हैं कितने महंगे कप – प्लेट थे यह !!

तेरे मायके में तूने कभी देखे भी नहीं होंगे ऐसे महंगे कप -प्लेट !! तेरे बाप ने तो दहेज में कुछ नहीं दिया वैसे भी !! यहां जो भी बर्तन हैं वहीं इस्तेमाल करती हैं तु तो वर्ना बहुए कितना कुछ सामान लेकर आती हैं साथ में , खैर मैं भी किसको कह रही हुं बोलकर वह गुस्सा करते हुए अपने कमरे में चली गई !!

दरहसल सुशीला जी को बहु रीमा बिल्कुल भी पसंद नहीं थी क्योंकि वह दहेज में कुछ भी सामान लेकर नहीं आई थी !! उन्हें तो ऐसी बहू चाहिए थी जिसका बखान वे अपनी किट्टी फ्रेंडस के ग्रुप में कर सके , उनकी हमेशा अपनी बहू से तकरार ही रहती थी !!

सुशीला जी के दो बेटे करण और वरूण और एक बेटी रागिनी थी !!

सुशीला जी बेटे करण की शादी रीमा से कभी ना करवाती मगर संयोगवश एक दिन सुशीला जी के बड़े भाई रघुवीर जी जो कि रीमा के घर के बगल में ही रहते थे उनका घर आना हुआ और उन्होंने अपने बगल में रहने वाली रीमा और उसके घरवालों की खुब तारीफ की और करण के लिए वह रिश्ता सुझाया !!

जैसे ही उन्होंने रीमा की फोटो करण को बताई , करण खुश हो गया क्योंकि रीमा उसी की क्लास में पढ़ती थी और वह मन ही मन रीमा को बहुत पसंद करता था !! रीमा पढ़ने में होशियार और सुलझी हुई लड़की थी !!

रीमा के पिता बहुत पैसेवाले तो नही थे मगर बेटी को पढ़ा लिखाकर खुब होशियार बनाया था उन्होंने और संस्कार तो कूट कूटकर भरे थे रीमा में !!

बेटे की पसंद के सामने सुशीला जी ज्यादा कुछ बोल ना पाई और उन्हें इस रिश्ते के लिए स्वीकृति देनी पड़ी और रीमा इस घर की बहू बनकर आई !!

रीमा को अब तक सुशीला जी ने दिल से स्वीकार नहीं किया था उसका ही नतीजा था कि आज भी सुबह सुबह उन्होंने रीमा को इतना कुछ सुना दिया था !!

सुशीला जी के कड़वे शब्द करण भी सुन चुका था मगर करण अपनी मां को कुछ कहने आगे बढ़ ही रहा था कि रीमा ने करण को कुछ भी कहने से रोक लिया था क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उसकी वजह से मां – बेटे में कोई दरार आए !!

दूसरे दिन सुशीला जी की सारी फ्रेंडस किट्टी पर घर आई हुई थी !! रीमा ने उनके लिए ढेरो पकवान का प्रबंध किया था !!

सुशीला जी की सहेली कमिनी बोली सुशीला तेरी बहू तो बहुत सुंदर हैं और साथ साथ कितनी गुणवान भी हैं !!

सुशीला बोली , क्या करूं उसकी सुंदरता का ?? आचार डालूं क्या ?? तुम्हे क्या पता दहेज में कुछ नहीं लाई हैं महारानी !!

मेरी ही मत मारी गई थी कि मेरे कुंवर जैसे 

बेटे को भिखारन जैसी लड़की से शादी करवा दी मैंने !!

किट्टी में भी सुशीला जी ने जी भरके बुराई करी अपनी बहू की !!

बेटी रागिनी हमेशा अपनी मां को समझाती कि उसकी भाभी लाखो में एक हैं फिर भी सुशीला जी को कभी रीमा में अच्छी बहू नहीं दिखाई दी !!

थोड़े महिनों में सुशीला जी के छोटे बेटे वरुण ने अपने साथ काम करने वाली निशा को अपने लिए पसंद कर लिया चूंकि वरूण और निशा मुंबई में ही रहते थे तो आगे भी उन्होंने अपनी जॉब मुंबई में ही रहकर कंटिन्यू करने की सोची !!

वरूण और निशा के घरवाले भी इस शादी के लिए मान गए थे , निशा एक संपन्न मायके की बेटी थी यह देखक सुशील जी बहुत खुश हो गई , इतना अच्छा रिश्ता हाथ देखकर सुशीला जी ने पहले उन दोनों की सगाई कर वा दी !!

शार्द का मुर्हुत अभी छः महिने बाद का था !! फिलहाल तो वरूण और निशा पी.जी में रहते थे मगर अब शादी फिक्स हो चुकी थी तो दोनों ने एक घर किराए पर बुक कर लिया था और वहां घर गृहस्थी का सारा सामान इकट्ठा कर रहे थे !!

निशा ने गैस , चूल्हा , चकला , बेलन सब धीरे धीरे करके खरीदना शुरू कर दिया था !!

निशा बहुत खुश थी वरूण के साथ अपनी गृहस्थी बसाने को लेकर इसलिए वह एक एक सामान अपनी मर्जी का खरीद रही थी !!

निशा की पहले से ही ख्वाहिश थी कि वह मुंबई में ही रहे , वैसे भी उसे संयुक्त परिवार पसंद नहीं था और वह पहले से ही पति के साथ अकेले रहना चाहती थी !! वह खुश थी कि उसकी यह दिलो ख्वाहिश भी पूरी हो रही हैं !! 

जब यह बात सुशीला जी को पता चली कि निशा अपने घर के लिए एक एक करके सारा सामान खरीद रही हैं उन्हें बहुत खुशी हुई कि उनकी छोटी बहू संपन्न मायके की होने के साथ साथ अपनी कमाई का हिस्सा अपने घर में भी लगा रही हैं !!

एक बार अपने किट्टी ग्रुप में वे शान से बोली – भगवान सबकी सुनता हैं और उन्होंने मेरी भी सुन ली !!

बडी बहू तो भिखारी वाले घर से आ गई मगर छोटी बहू वह तो अभी से अपने लिए सारा सामान इकट्ठा कर रही हैं !!

उसके मायके वाले भी इतने संपन्न हैं कि दहेज में भी बेटी को तगड़ा माल देंगे !!

मेरे छोटे बेटे की किस्मत तो राजाओं वाली निकली !!

अब तो सुशीला जी ओर फुली नहीं समाती थी और बड़ी बहू रीमा को सुनाने का एक मौका भी नहीं छोड़ती थी !!

आज सुशीला जी ने जब देखा कि रीमा उसके मायके जा रही थी तो सुशीला जी बोली महारानी !! कहां चली बन ठनके ??

रसोई का काम कौन करेगा तुम्हारा बाप ??

रीमा बोली मम्मी जी बात बात पर मेरे मायके वालों का नाम बीच में मत लाईए , रसोई का सारा काम मैंने निपटा दिया है !! मेरे पापा की तबीयत बहुत खराब हो गई हैं तो उनसे ही मिलने जा रही हुं , शाम तक लौट आऊंगी !!

सुशीला जी बोली – गरीबों के घर में अब कहां खाने पीने अच्छा मिलता हैं , ऐसे में तबीयत खराब होना तो लाजमी हैं !!

एक तरफ वहां मुंबई में देखो तो मेरे छोटे बेटे और बहू मिलकर शादी के खर्चो में हाथ बंटा रहे हैं , कमाऊ बहू मिली हैं वह भी संपन्न परिवार की !!

रसोई का घर का सारा सामान खरीद लिया हैं दोनों ने मिलकर और दूसरी तरफ बड़ी बहू हैं जो कुछ लेकर तो नहीं आई मगर मेरे बेटे की कमाई उसके मायके वालों पर जरूर  उड़ाकर आएगी !!

रीमा की आंखों में पानी आ गया और वह बोली मम्मी जी !! बहुत हो गया आपका !!

मेरे पापा मम्मी गरीब जरूर हैं मगर बहुत स्वाभिमानी हैं !!

अपनी बेटी का एक रुपया लेना पसंद नहीं करते वे लोग !!

सुशीला जी बोली बड़ी आई मुझसे जबान चलाने वाली , तु तो यही कहेगी ना !! तुम मियां बीवी मुझे थोड़ी बताओगे कि तुम्हारे मायके वालों पर तुम लोग कितना खर्चा करते हो !!

रीमा आंसुओं का सैलाब लिए अपने मायके जाने चल पड़ी और रास्ते भर सोचती रही कि यह थोड़े से संपन्न परिवार के लोग अपने लड़को को गरीब घर की लड़की से ब्याहते ही क्यों हैं जब बात बात पर इन्हें ताना ही मारना हैं और रही बात घर के सामान दहेज में लाने की तो निशा अपनी नई गृहस्थी मुंबई में जमाने जा रही हैं तो उसे वहां नया सामान लेना ही पड़ेगा ना !!

इस बात का ताना सासू मां बार बार मुझे क्यो सुना रही हैं ??

रीमा की सहन शक्ति भी धीरे धीरे खत्म होती जा रही थी !! उसे अपने देवर देवरानी से कोई शिकायत ना थी !!

शिकायत थी तो सासू मां से जो हर बार बड़ी बहू और छोटी बहू में बराबरी कर रही थी !!

आज तक रीमा सासू मां के ताने सुनते आई थी मगर कभी सामने जवाब नहीं देती थी क्योंकि उसके पति करण बहुत अच्छे इंसान थे , उन्हीं की वजह से वह खुद भी चुप रहती थी और करण को भी चुप रहने कहती !!

वह बात का बतंगड़ बनाकर घर में लड़ाई झगड़ा नहीं चाहती थी मगर छोटे बेटे की सगाई के बाद तो जैसे कि सासू मां के पर ही निकल आए थे !!

जो सासू मां पहले उसका अपमान उनकी सहेलियों के किट्टी ग्रुप तक ही करती थी वहीं अपमान अब उन्होंने रिश्तेदारों , अगल बगल वालों और यहां तक कि देवरानी निशा के मायके वालों के सामने तक करना शुरू कर दिया था !!

हर बात में अब सासू मां ने बड़ी बहू और छोटी बहू में तुलना शुरू कर दी थी !!

कुछ ही दिनों में देवर वरूण की शादी थी इसलिए रीमा ने इन सब बातों पर मिट्टी डालना ही ठीक समझा और वह शादी की तैयारियों में जुट गई !!

थोड़े समय बाद घर में सारे रिश्तेदार , सासू मां का किट्टी पार्टी वाला सहेलियों का ग्रुप सभी लोग शादी वाले घर में रहने आ चुके थे !! रीमा भी शादी की तैयारियों में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही थी !!

सासू मां के सारे तानों को भूलकर रीमा देवर देवरानी के लिए बहुत खुश थी लेकिन वह नहीं जानती थी कि उसकी यह खुशी थोड़े समय की मेहमान हैं !!

आज संगीत का कार्यक्रम था जिसमें रीमा बहुत जंच रही थी !!

रीमा की चाची सास ने जैसे ही रीमा की तारीफ की , रीमा की सास सुशीला जी बोली देवरानी निशा के मायके से आई हुई साडी पहनी है रीमा ने !!

अब इतनी महंगी साडी इसके नसीब में कहा हैं भाई ?? तुम भी इतरा लो कि इतनी संपन्न मायके की देवरानी मिली हैं इसलिए तुम्हे ऐसी साड़ी पहनने का अवसर मिल पाया तब रीमा भी तपाक से बोली क्यों मम्मी जी ?? आपको ऐसा क्यों लगता हैं कि आपके बेटे में इतनी हिम्मत नहीं कि मुझे ऐसी महंगी साड़ी पहना सके ?! क्या मैं आज से पहले इतनी सस्ती साडियां पहनती हैं और वह सब साडियां तो आपने ही मेरे लिए खरीदी थी मम्मी जी !! क्या आप अपनी ही लाई हुई साडियों की बुराई कर रही हैं ??

मम्मी जी मुझे तो अब तक यही लगता था कि आपने वह सब साडियां महंगी खरीदी हैं मगर …..

सुशीला जी की देवरानी के सामने उनका ही अपमान कर दिया था आज रीमा ने !!

सुशीला जी बोली – बड़ी बहू तुम जलती हो अपनी देवरानी से इसलिए तो मुझे यह सब बातें सुना रही हो !!

रीमा इस बात का जवाब देने ही वाली थी कि रीमा को कुछ रिश्तेदारों ने डांस करने खींच लिया और बात अधूरी ही रह गई !!

रीमा सभी के साथ डांस तो कर रही थी मगर आज उसका मन अशांत हो गया था क्योंकि हर बात में छोटी बहू और उसके मायके वालों की तारीफ कर उसकी सास उसे और उसके मायके वालों को पल पल नीचा दिखा रही थी !! वह समझ चुकी थी कि छोटी बहू के आने के बाद उसकी जिंदगी बहुत कठिन हो जाएगी !!

दूसरे दिन सुबह सुबह रीमा ने रसोई में महाराज से कहकर सभी के लिए नाश्ते में समोसे और चाय का प्रबंध करवाया था !!

रीमा सभी को चाय- नाश्ता परोस रही थी और भाग भागकर सुबह के दूसरे काम भी निपटा रही थी !!

सभी लोग समोसे की बहुत तारीफ कर रहे थे और साथ साथ रीमा की भी !!

उतने में सुशीला जी की ननद बोली रीमा समोसे तो बहुत करारे बने हैं जरा ओर ले आना !!

रीमा तुरंत रसोई में गई और बहुत सारे समोसे ले आई और सभी को मनुहार करने लगी !!

रीमा की बुआ सास उसकी बलाईया लेते हुए बोली तेरे जैसी बहू सबको मिले रीमा !!

यह देख सुशीला जी को बहुत जलन हो गई और वे बोली अरे !! रीमा को छोड़ो , अब तो मेरी छोटी बहू की तारीफ करने के दिन आ गए हैं !! उसने तो मुंबई में चम्मच से लेकर ए.सी तक सारा सामान खरीद लिया हैं वहां !!

छोटी बहू तो कमाती भी हैं और रीमा ने तो आज तक चवन्नी तक नहीं कमाई !!

आज रीमा को सासू मां की यह बात बहुत चुभ गई !! रीमा ने आज तक अपनी ससुराल की सारी जिम्मेदारियां बखुबी निभाई थी !!

सास – ससुर की चाहे बीमारी में सेवा हो , चाहे रिश्तेदारो में कोई रिति रिवाज रखना हो !!

जहां रीमा एक तरफ पति की आंखो का तारा थी वहीं दूसरी ओर देवर देवरानी भी उसे बहुत सम्मान देते थे !!

ननंद रागिनी भी हमेशा अपनी भाभी रीमा की ही तरफदारी करती थी !!

आज सारे रिश्तेदारो में हुआ अपना यह अपमान रीमा सहन ना कर पाई , उसे लगा जैसे अगर वह आज ना बोली तो शायद जिंदगी भर ओर झुकती ही चली जाएगी , आज बात आत्मसम्मान की थी !! रीमा बोली मम्मी जी मुझे कौन सी अलग गृहस्थी बसानी थी जो मैं चम्मच – कटोरी अलग लेकर आती !! मुझे तो आपके साथ ही रहना था और आपके यहां रसोई का सारा सामान पहले से था और अगर आपको अब भी लगता हैं कि मुझे यह सारा सामान लेकर आना चाहिए था तो अभी मंगवा देती हुं सारा सामान और अपनी गृहस्थी अलग कर देती हुं !!’ मुझे गृहस्थी अलग करने की इजाजत देंगी ना आप ??

मेरे माता पिता की औकात मुझे ए.सी देने की नहीं थी मगर उन्होंने मुझे इतना जरूर पढ़ाया लिखाया कि मैं अपने पैरो पर खडी हो पाऊं !!

शादी के बाद जब मैंने नौकरी करने की इच्छा जताई थी तब तो आपने मुझे रोक लिया था कि घर के काम कौन करेगा ?? हमारी सेवा कौन करेगा ??

मैं भी चाहती तो आज भी नौकरी करके कमा सकती हुं, बोलिए क्या आप देंगी मुझे नौकरी करने की इजाजत ??

रीमा की बुआ सास बोली – बिल्कुल सही कहा तुमने बड़ी बहू !!

सुशीला तुझे इतनी अच्छी बहू मिली मगर तूने इसकी कदर नहीं जानी !!

बार बार यह कहकर कि तेरी बड़ी बहू दहेज में कुछ नहीं लाई और छोटी बहू अपना सारा सामान खुद खरीद रही हैं , तु अपने ही घर की इज्जत घटा रही हैं !!

तेरे दोनों बेटे इतने कमाऊ है , तेरे खुद के पास जैसे कमी हो वैसे तू दुनिया को दिखा रही हैं और तो और इंसान के गुण और स्वभाव मायने रखते है उसकी संपन्नता नही समझी !!

अपनी गृहस्थी अलग बसाना बहुत आसान हैं मगर संयुक्त परिवार में रहकर सास ससुर देवर ननंद सबका ध्यान रखना कठिन जो रीमा अब तक निभा रही हैं मगर तुझे यह सब अब तक समझ नहीं आया इसलिए तूने इतनी प्यारी बच्ची को इतने ताने सुनाए !!

रागिनी बोली मम्मी !! मैंने भी आपको कितनी बार यही समझाना चाहा मगर आप नहीं समझी !!

बड़ी बहू अपनी जगह है छोटी बहू अपनी जगह !! दोनों में तुलना कर तुम अपना ही घर बर्बाद कर रही हो और अपना ही बुढ़ापा अपने हाथों से खराब कर रही हो !!

सुशीला की किट्टी ग्रुप की सहेली बोली – हम भी हमेशा तुझसे यही कहते थे सुशीला !!

अपने विरुद्ध इतने सारे लोगों को देखकर आज सुशीलसुशीला जी की अकल ठिकाने आ गई और वह अपनी बहू रीमा से माफी मांगते हुए बोली – बहु !! शायद मेरी आंखों पर लालच की पट्टी बंधी हुई थी जो तुम सब ने मिलकर आज उतार दी है !!

काश मैंने तेरी पहले ही कदर कर ली होती तो मेरा घर कब का स्वर्ग बन गया होता !!

रीमा की बुआ सास बोली कोई बात नहीं सुशीला !!

सुबह का भूला अगर शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते !!

इतने वर्षो बाद आज सास बहू की तकरार खत्म हुई थी !!

दोस्तों , अक्सर घरों में देखा जाता हैं कि ससुराल वाले दो बहुओं में हमेशा तुलना करते है इससे एक ही घर में रिश्तो में फूट पड़ती हैं और सास – ससुर ऐसा करके अपना ही बुढ़ापा खराब करते हैं , दोनों बहुए अपनी अपनी जगह अलग हैं , दोनों का व्यवहार, स्वभाव , विशेषताएं सब अलग हैं इसलिए दोनों में तुलना कर  रिश्तो में फुट ना डाले !!

इस कहानी को लेकर आपकी क्या राय है कमेंट बॉक्स में जरूर बताइएगा !!

धन्यवाद !!

स्वाति जैन

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