साॅरी मम्मी जी – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

बाप रे…. शादी के बाद कितनी फॉर्मेलिटीज निभानी पड़ती है ….मायके आने के बाद भी चैन नहीं…  समय-समय पर सासू माँ को फोन करो , हालचाल लो…. पतिदेव को तो गुड मॉर्निंग से लेकर गुड नाईट तक का खबर लेना देना ही होता है….

       चांदनी ने मोबाइल पर मैसेज भेजने के बाद मन ही मन बुदबुदाती हुई काम करने लगी….।

चांदनी ने मैसेज कर अभी फोन रखा ही था ….तब तक चांदनी के पति कौशल का वापिस मैसेज की जगह फोन आ गया ….चांदनी ने मुंह बनाते हुए पूछा क्या बात है कौशल ….??आज देर नहीं हो रही है ….ऑफिस जाने को ….?? सवेरे सवेरे मैसेज की जगह सीधे फोन ही घरघड़ा दिया….।

      अरे चांदनी ….चेक करो तुमने शायद मेरा मैसेज मम्मी को और मम्मी का मैसेज मुझे भेज दिया है ….देख लेना ….ऐसा कह कर कौशल ने फोन काट दिया….।

    ये सुनकर अब तो चांदनी का जैसे दिमाग ही हवा हो गया…. तुरंत फोन पर व्हाट्सएप चेक किया … मम्मी ने  देख भी लिया….राइट का निशान नीला देखकर चांदनी ने सिर पकड़ लिया… अरे यह मैंने जल्दी-जल्दी में क्या कर दिया….???

सब उल्टा का पुल्टा हो गया….!

     आज पहली बार मैंने कौशल से सासू माँ के बारे में कुछ कहा था…. मैं तो सिर्फ कुछ दिन और मायके में रहना चाहती थी ….तो मैंने कौशल को बड़े प्यार से लिख दिया था……

    मुझे कुछ दिन और यहां रहना है कौशल …..तुम मम्मी से कोई बहाना बना देना …..तुम संभाल लोगे ना …..?? और वैसे भी मम्मी जी को तो सिर्फ अपनी ही पड़ी रहती है …वो ये थोड़ी ना समझना चाहती है… कि मुझे क्या पसंद है ….. थोड़ा एकाकी पन स्वयं के लिए कुछ समय मुझे भी तो चाहिए होता है कौशल….हालांकि मम्मी जी मेरा बहुत ध्यान रखती है ….

…..पर कभी-कभी ज्यादा चिंता.. ज्यादा परवाह भी ना जंजीर मालूम पड़ता है जैसे मेरे इर्द-गिर्द ही उनका सारा समय बीतता है….।

    और कौशल से प्यार व्यार की बातें….. हे भगवान….. अब मम्मी जी को मुंह कैसे दिखाऊंगी….?? मैं भी ना …..सिर पकड़ चांदनी बैठी थी…. तभी अचानक उसके दिमाग में एक युक्ति सूझी ….अब जो हो गया वो हो गया …..

       यदि मामला बिगाड़ा मैंने है तो सुधारुंगी भी मैं ही …..! झट से चांदनी ने फोन उठाया और लगा दिया सासु माँ को फोन….।

       हेलो…. सॉरी मम्मी जी…. सॉरी… सॉरी ….बड़ा वाला सॉरी …..वो गलती से मैसेज ……चांदनी अपनी बात पूरी कर पाती ….बीच में ही सासु माँ सरिता ने कहा ….बेटा मैं मैसेज देखी पर पढ़ नहीं पाई ….जल्दी-जल्दी में.. सोची आराम से पढ़ कर जवाब दूंगी… क्या हो गया सब ठीक तो है …..??

थैंक्स गॉड……हाँ मम्मी….सब ठीक है… वो गलती से कौशल का मैसेज आपके व्हाट्सएप में चला गया था…. अच्छा…..अच्छा….गलती से ….तो ठीक है बेटा…. मैं बिना पढ़े ही डिलीट कर दूंगी ….अब बेटे बहू का मैसेज क्या पढ़ना…. हंसते हुए सरिता ने कहा… ।

सरिता के बनावटी हंसी के पीछे का दर्द वह स्वयं ही समझ रही थी…. अंदर से सरिता चांदनी का मैसेज पढ़ने के बाद थोड़ी विचलित जरूर थी…!

सरिता ने चांदनी का मैसेज तो पढ़ लिया था पर उसने चांदनी को बिल्कुल आभास नहीं होने दिया कि उसने मैसेज पढ़ लिया है…. क्योंकि सरिता विवेकपूर्ण निर्णय लेते हुए …नहीं चाहती थी कि.. चांदनी को आत्मग्लानि हो…. वो सोची… चांदनी इन सब चीजों से अनभिज्ञ रहे तो बेहतर होगा…।

आखिर चांदनी अब मेरी बहू है …जो भी है जैसी भी है वो मेरी है …यदि मैंने चांदनी को अपनाया है तो उसकी अच्छाई बुराई समेत …पुरी की पूरी चांदनी को अपनाया है…… ना कि सिर्फ अच्छाई  ही अच्छाई को…  आखिर हमारे रिश्ते के.. बंधन अटूट है…  और फिर क्या हो गया… यदि चांदनी ने अपने मन की बातें अपने पति से ही तो की आखिर वो उसका जीवन साथी है भाई… दोनों के रिश्ते भी तो अटूट बंधन के हैं..!

पर कहीं ना कहीं सरिता के मन में ये विचार भी बार-बार आ रहे थे …..मेरा ध्यान देना.. उसकी परवाह करना भी चांदनी को पसंद नहीं है…. और चांदनी ने ही मुझसे कह दिया होता…. मम्मी मैं कुछ दिन और मायके में रुकना चाहती हूं तो क्या मैं मना करती…?? कौशल को बीच में लाने की क्या जरूरत थी…??

चांदनी माँ बनने वाली है… और मायके में माँ के ना रहने से शायद उसकी उतनी देखरेख नहीं हो पाएगी जितना मैं कर सकूंगी… पर मेरी ये सोच को भी चांदनी ने अन्यथा लिया…. इन्ही बातों के ऊहापोह में फंसी सरिता …दुखी हो रही थी…. इसी बीच एक बार फिर स्वयं ही उसके मन में विचार आया…..

अरे उसने जो भी कहा है….अपने पति से ही तो कहा है…. और थोड़ा बहुत तो…. हम भी तो अपनी सास की कुछ ना कुछ कमियां निकालते ही थे …..और फिर कौशल की माँ हूँ मैं …. कुछ ज्यादा या गलत कौशल थोड़ी बर्दाश्त करेगा मेरे खिलाफ बातें…. सकारात्मक सोच रखने वाली सरिता ने खुद से खुद की नाराजगी दूर कर ली….।

और सोचने लगी वो तो अच्छा हुआ मैंने जताया नहीं कि मैंने मैसेज पढ़ लिया है….। वरना बेचारी बहू आत्मगलानि में ही डूब जाती… और सरिता मन ही मन मुस्कुराने लगी…

        शाम को कौशल घर आया… बड़े ही सहज ढंग से बोला… मम्मी चांदनी को कुछ दिन और रहने दे उसके मायके में…. क्या है ना आज उसकी तबीयत ठीक नहीं लग रही थी… कौशल ने बहाना बनाकर ..मम्मी से….चांदनी को मायके में कुछ दिन और रहने की इजाजत मांगनी चाही…!

देख बेटा… तुझे अच्छे से झूठ बोलना भी नहीं आता …मेरी चांदनी से बात हुई है और उसकी तबीयत बिल्कुल ठीक है …वो कुछ दिन और वहाँ रहना चाहती है… तो ठीक है… मैंने उसे बोल दिया है….! कौशल शरमाते हुए मुस्कुराकर मोबाइल में चांदनी का मैसेज पढ़ने लगा…. जिसमें लिखा था …

     ” तुम्हें झूठ बोलकर मम्मी से इजाजत मांगने की अब जरूरत नहीं है ….मैंने सॉरी बोल कर मायके में कुछ दिन और रहने की अनुमति ले ली है ” ….।

सरिता के विवेकपूर्ण निर्णय ने दो दिलों में दरार आने से बचा लिया… और चांदनी भी आत्मग्लानि से बच गई ….हालांकि चांदनी को भी आभास हो गया था कि… मम्मी जी ने मैसेज पढ़ लिया होगा……पर मेरी खातिर….कितनी विवेक व चतुराई से मेरे लिए उन्होंने ऐसा किया….।

मम्मी जी की दूरदर्शिता और चतुराई ने मेरे दिल में उनके लिए और सम्मान बढ़ा दिया… चाँदनी मन ही मन खुश होती हुई सारे तनाव से मुक्त हुई….।

  आखिर कुछ रिश्ते कुछ बंधन अटूट होते हैं … परिवार के प्रत्येक पक्षों द्वारा समझदारी से उसकी खूबसूरती हमें बनाए रखनी होंगी..!

सच में साथियों …बहू बेटी वाले घर में कुछ मामलों में छोटी मोटी बातों को अनदेखा या अनसुना करना ही रिश्तों की माधुर्यता के लिए हितकर होता है…।

अपने विचार पर आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा….।

( स्वरचित मौलिक एवं सर्वाधिकार  सुरक्षित अप्रकाशित रचना )

साप्ताहिक विषय

 #अटूट बंधन

संध्या त्रिपाठी

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