स्नेहिल बन्धन – पूजा मनोज अग्रवाल

जय एक मल्टीनेशनल कंपनी में जूनियर मैनेजर के पद पर काम करता था, और उसकी पत्नी सुमन भी एक बैंक में मैनेजर थी । दोनों के विवाह को 4 साल हो गए थे , उनका एक 2 साल का बेटा था ध्रुव  । सुमन और जय जब ऑफिस के लिए निकलते तो अपने  बेटे ध्रुव को पड़ोस वाली आशा आंटी के यहां छोड़ देते । आशा जी के पति का एक साल पहले कोरोना से निधन हो चुका था । उनके दो बेटे थे, बड़ा बेटा शिवमं जो अपनी पत्नी के साथ अमेरिका मे रहता था ,और दूसरा बेटा राजन कुछ ही दिन मे अपनी जॉब के चलते लंदन शिफ्ट होने वाला था ।

आशा जी दिन भर घर मे अकेली ही रह्ती थी , तो वह ध्रुव को खुशी-खुशी अपने पास रख लिया करती थी , उसकी अठखेलियां देख कर उनका समय आसानी से कट जाता , और नन्हें ध्रुव को भी दादी का सा प्रेम और सानिध्य प्राप्त हो जाता था । 

सुमन और  जय भी ध्रुव को आशा आंटी के पास छोड़कर निश्चिंत हो जाते । हर सुबह  दोनों एक साथ ही अपने ऑफिस के लिए निकल जाते । सुमन का ऑफ़िस जय के ऑफ़िस के रास्ते मे ही पड़ता था,  तो जय उसे वहां ड्रॉप कर दिया करता था ।

ऑफ़िस के रास्ते मे दोनों की गाड़ी एक रेड लाइट पर आ कर रुकती , तो आसपास के गरीब ,भीख मांगने वाले बच्चे दौड़कर गाड़ी के शीशे पर आ  झूलते । दरअसल  जय उन्हे  रोज बिस्किट्स और फ्रूटी  दिया करता था ,, इसी तरह रोज बच्चों से मिलते जुलते   ,जय और सुमन की उनसे अच्छी खासी मित्रता हो गई । उन्हीं बच्चों में एक था, रोशन जो सबसे अगल था ,उसका भोला भाला मासूम चेहरा अनायास ही सबका ध्यान अपनी और आकर्षित करता,,,पर तब तक ,,,जब तक लोगो को उसके किन्नर होने की बात पता ना चलती  । लोग उसे बड़ी हीन भावना से देखते ,,जय को यह बात बहुत चुभती थी ।


एक बार जय ने देखा कि कुछ लोग रोशन को बुरी तरह पीट रहे हैं , उसने रोशन को छुड़वा कर उसकी मरहम पट्टी कराई और उसे अपने साथ घर ले आया ।  रोशन को उन्होने अपने घर काम पर रख लिया । अब रोशन सुमन और जय के घर काम करने लगा वह ध्रुव की देखभाल करता घर का खाना बनाता । सुमन और जय ,  रोशन जैसा नेक इन्सान पा कर बहुत खुश थे । रोशन को भी एक बेहतरीन परिवार मिल गया था ।

     

      शनिवार का दिन था , सुमन एक दिन के लिये ध्रुव को लेकर अपनी माँ के यहाँ गई थी । अगले दिन सुबह रोशन जय के लिए कॉफ़ी लेकर गया तो कमरे में जाकर उसने देखा कि ,, जय भैया तो पंखे पर झूल रहें हैं , यह देखकर उसकी चीख निकल गई ,, कॉफ़ी की ट्रे हाथों से छूट कर जमीन पर गिर पड़ी । इतने में  सुमन भी घर पर पहुंच गई  । जय का शव देखकर उस पर वज्रपात सा हुआ वह बेसुध हो कर गिर गई ,,,उसका हृदय कपकपाने लगा । सुमन कण्ठावरूद्ध स्वर मे सिर्फ  ” जय वापस आ जाओ,,,” की रट्ट लगाये हुए थी । जय के बिना सुमन अकेली पड़ गई और अवसाद ग्रस्त रहने लगी  । 

   जय की मौत की घटना को 3 माह बीत गये । सबूत ना मिलने के अभाव मे आत्महत्या का केस कहकर पुलिस ने भी ज्यादा छानबीन नहीं की, और जय की केस फ़ाईल बंद कर दी  । रोशन सुमन को दीदी मानता था , वह उसका और ध्रुव का पूरा खयाल रखता,  उन्हे खुश रखने की हर सम्भव कोशिश किया करता ।

एक दिन रोशन ने पड़ोस वाली आशा आंटी के छोटे बेटे राजन  को चोरी छिपे सुमन दीदी को घूरते हुए देखा ,, उसे राजन के अनुचित व असभ्य व्यवहार को देख कर कुछ शंका हुई ,,,, उस दिन से रोशन ने राजन पर नजर रखनी शुरु कर दी ।


  

   कुछ दिन बाद रोशन ध्रुव को आशा आंटी के पास छोड़ने के बहाने से उनके घर गया । उसने राजन का फोन चुपचाप उठा लिया और घर वापस आ गया  ,,, तभी राजन के फ़ोन पर एक कॉल आया ।

रोशन ने निडरता से कॉल पिक लिया ,,?,उधर से आवाज आई ,” हेलो  “,,,

रोशन ने फोन पर रुमाल लगा कर धीमे से  स्वर मे बोला,” हेलो ” ,,,,

  रोशन की आवाज सुनते ही सामने वाले व्यक्ति  ने जोर-जोर से चीखना शुरु कर दिया,” तुम मुझे 5 लाख देते हो या मैं पुलिस के पास जाऊं,,,,” रोशन के होश फाख्ता हो गये। उसके दिल की धड़कन बढ़ गई थी,,,पर वह चुप रहकर उसकी पूरी बात सुनने लगा ।

    उधर से आवाज़ आई ,” जय को मार कर हमने तेरा काम कर दिया है , अगर आज शाम तक तूने  5 लाख रुपए नही दिये तो सुमन को तेरी सारी रिकॉर्डिंग भेज दूंगा,,, ”  यह कह कर उसने फोन काट दिया । रोशन सन्न रह गया ,, उसे सब समझ मे आ रहा था,,, ओह्ह्ह तो जय भैया ने आत्महत्या नही की, उनका मर्डर हुआ है  ,,,यह सोच सोच कर उसका हृदय छलनी छलनी हो गया,,, जय भैया की स्मृतियाँ उसके दिमाग मे दौड़ गई।

सुमन दीदी ऑफिस से घर आने ही वाली थी  , उसने आव देखा ना ताव ध्रुव को गोद मे लिया और नजदीकी पुलिस स्टेशन जा पहुंचा । रास्ते से ही उसने सुमन दीदी को फोन मिला कर सारी बात बता दी। कुछ ही देरी मे वह  पुलिस स्टेशन पहुंच गया,,,जय की मौत की सारी बाबत पुलिस को कह सुनाई , और सबूत के तौर पर पुलिस के सामने राजन  का फोन पेश कर दिया । पुलिस ने भी  शिकायत पर तुरंत कार्यवाही करते हुए राजन को उसके घर से गिरफ्तार कर लिया । चार डण्डे क्या पड़े , राजन ने अपना अपराध कबूल लिया । जय को मौत के घाट उतारने का पूरा घटना क्रम ,सुपारी किलर का नाम , हुलिया सभी कुछ उगल दिया। पुलिस द्वारा जल्दी ही सभी मुजरिमो की धरपकड़ कर ली गई ।

  


आशा जी को यह जान बड़ा हृदयाघात लगा ,, वे जानना चाहती थी ,,,, आखिर राजन ने  ऐसा क्यों किया ,,,,? उनके पालन पोषण  में ऐसी क्या कमी रह गई थी, जो राजन इस कदर गिर गया था ,,,।  दरअसल राजन सुमन को मन ही मन चाहने लगा था , इसलिए उसने जय का मर्डर करवा कर उस घटना को आत्महत्या का जामा पहना दिया था।

शायद उसे लग रहा था ,,ऐसा करके थोड़े ही समय के बाद वह  सुमन से शादी कर लेगा, और उसे लेकर लंदन शिफ्ट हो जाएगा । पर उसे नहीं पता था,रोशन की समझदारी उसे जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा देगी।

 जिस रोशन को किन्नर समझकर लोग हमेशा उसका मानभंग किया करते थे ,आज हर जगह उसी किन्नर की वाहवाही के चर्चे थे,, उसकी वजह से सुमन के पति की हत्या की गुत्थी  सुलझ पाना मुमकिन हुआ था । जय के हत्यारे को सजा मिलने से जय वापस तो नही आ सकता था पर  सुमन के अन्तर्मन मे चल रहे  द्वंद से उसे कुछ हद तक राहत जरूर मिल गई थी,,, ।

   सुमन ने रोशन से अपने स्नेहिल संबंध कभी खत्म ना करने का वायदा लिया । और खुद भी यह फैसला किया कि वह राजन के किये कि सजा आशा आंटी को नही भुगतेगी देगी  ,,ध्रुव को दादी के आंचल की छांव से कभी दूर ना करेगी ।

समाप्त 

स्वरचित मौलिक 

पूजा मनोज अग्रवाल

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