ग्रहों की शांति – डॉ पारुल अग्रवाल

ग्रहों की शांति

 

अरे आज फिर ऑफिस के लिए देर हो गई।फिर से बॉस से सुनना पड़ेगा, कितनी बार बोला है मां को कि घर से निकलते समय पीछे से ना टोका करें,पर इनको समझ में कहां आता है। अमर अपने आप से ही बड़बड़ाए जा रहा था।

ये अब आपको देर नहीं हो रही जो आप अपने आप से ही बातें करे जा रहे हो पत्नी रूपा ने पीछे से आकर बोला,हां अब तुम भी आकर मुझे ही लेक्चर दे दो, इस घर में किसी काम में कोई सुकून नहीं है, दो पल चैन से जीने नहीं देता कोई। किसी को कोई काम करने का तरीका ही नहीं है,घर से किसी काम को निकलो तो कोई ना कोई टोक देता है इसी वजह से घर में बरकत नहीं होती ऐसा बोलकर वो जाने लगता है, 

उसके चिल्लाने की आवाज सुनकर मां बाबूजी से कहती हैं की मैं तो सिर्फ सुबह एक बार अपने बेटे का चेहरा देखना चाहती थी , मुझे क्या पता था कि ये उसको भी टोकना समझेगा।

जैसे ही अमर ऑफिस में पहुंचा तभी बॉस ने उसको बुलाया और कहा कि ये   तुम्हारा रोज़ का देर से आने का नाटक अब नहीं चलेगा, अगर अब तुम कल से देर से आए तो अपनी नौकरी का आखिरी दिन समझना।

बॉस के चिल्लाने की आवाज़ बाहर तक आ रही थी। अमर दुखी होता हुआ बाहर आया, परेशान मत हो सब ठीक होगा,कल से टाइम पर आना  अमर के खास दोस्त रमन ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा। कुछ ठीक नहीं होगा,मेरी परेशानी का कोई अंदाजा नहीं लगा सकता, यहां तक कि मेरे घर वाले भी नहीं,लगता है मेरे घर पर किसी ने जादू-टोना करवा रखा है,इसलिए बरकत नहीं हो रही है,घर का खर्चा ठीक से नहीं चल रहा है उसने दुखी होते हुए रमन से कहा। रमन जानता था कि अमर बहुत अंधविश्वासी है, आज उसने उसकी परेशानी जड़ से दूर करने की सोची। वो ऑफिस के बाद उसको अपनी जान-पहचान के एक पंडित जी जो  कुंडली और हाथ देखते हैं,उनके पास लेकर गया। रमन ने फोन पर ही पंडित जी को सब बता दिया था। 


अमर ठहरा अंधविश्वासी, खुशी-खुशी जाने के लिए तैयार हो गया। पहले भी वो इस अंधविश्वास में काफी पैसा फूंक चुका था पर अब रमन उसको सही राह दिखाना चाहता था। 

पंडित जी वैसे तो जानते थे पर फिर भी उन्होंने अमर से पूछा कि घर पर कौन-कौन है बेटा और तुम्हे क्या परेशानी है पहले तुम अपने मुंह से बताओ फिर मैं तुम्हें उनका निवारण तुम्हारी हस्त रेखा के अनुसार बताऊंगा। 

अमर ने बताया की घर में मां बाबू जी ,मेरी बीवी और पंद्रह साल का बेटा है। पर घर वाले मेरी बात नहीं सुनते, मैं कहता हूं कि बृहस्पतिवार को सब पीले ही कपड़े पहने पर वो नहीं मानते, मैं कहता हूं कि बाहर जाते हुए पीठ पीछे से ना तौंके तो उन्हें तभी सब याद आएगा। मेरे बाहर निकलते ही उन्हें छींक आयेगी और तो और अगर मैं बेटे को बोलूंगा कि इस दिन सफेद वस्तु नहीं खानी है तो उसी दिन उसको दही और लस्सी पीनी होगी। अमर दुखी होते हुए बोला। पंडित जी ने कुछ-कुछ समझते हुए उससे पूछा अच्छा चलो एक बात बताओ कितनी बार मां-बाप के साथ बैठते हो और उनका हाल- चाल पूछते हो ,हाल-चाल क्या पूछना वो तो घर पर ही मेरे साथ रहते हैं, और  मुझे ऑफिस से जाने के बाद टाइम ही कहां मिलता है फिर मेरे को भी तो टीवी देखना होता है, अमर ने कहा, अच्छा चलो बेटे और बीवी के साथ कितना समय बिताते हो?पंडित जी ने फिर पूछा, अमर के पास कोई जवाब नहीं था। 


 पंडित जी ने कहा,तुम्हारी परेशानी मुझे समझ आ गई है, मैं तुम्हें कुछ उपाय बताता हूं ,मेरे इन उपाय को करोगे तो तुम्हारे बुरे ग्रह शांत हो जायेंगे फिर तुम्हारी बरकत शुरू हो जाएगी।आज से हर सुबह ऑफिस जाने से पहले माता पिता का आर्शीवाद लेकर जाओगे। ऑफिस से आने के बाद थोड़ी देर माता-पिता के साथ बैठोगे इससे उन्हें अपनी बात कहने के लिए तुम्हें टोकना नहीं पड़ेगा और तुम्हारे सूर्य और चंद्र ग्रह मजबूत होंगे क्योंकि सूर्य पिता का और चंद्र माता का कारक है। सुबह जल्दी समय से उठोगे और थोड़ा ध्यान लगाओगे और पौधे को पानी दोगे इससे तुम्हारा बुध अच्छा होगा, तुम्हारा मन प्रसन्न रहेगा और स्वास्थ्य लाभ होगा। पत्नी और बेटे से प्यार से बात करोगे, उन पर दूसरों के सामने गुस्सा नहीं करोगे ,उसकी घर के कामों में मदद करोगे इससे शुक्र और ब्रहस्पति ग्रह अच्छा होगा। घर पर बरकत होगी, आस-पास खुशी का वातावरण होगा। ऐसे उपाय तो मुझे आज तक किसी ने नहीं बताए फिर भी मैं कोशिश करूंगा,अमर ने कहा। 

अब घर आकर अमर काफी समय बाद पंडित जी के कहे अनुसार मां-बाबूजी के साथ बैठा, उसे काफी सुकून महसूस हुआ। उसने पत्नी और बेटे को भी टाइम देना शुरू किया। अब उसकी सोच भी सकारात्मक हो गई। 

उसने रमन को पंडित जी मिलवाने के लिए धन्यवाद दिया ।

दोस्तो अंधविश्वास, जादू टोना ये मन के वहम हैं जब तक हम अपने माता पिता और परिवार को समय नहीं देंगे तब तक हमारे ग्रह नहीं सुधर सकते। हमारा हर ग्रह हमारे आस पास के लोगों का प्रतिनिधत्व करता है, जब हम खुश और हमारा परिवार खुश तो ग्रह शांति अपनेआप हो जायेगी जब तक हम खुद सकारात्मक नहीं होंगे तब तक घर में बरकत नहीं होगी।

 

डॉ पारुल अग्रवाल

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