दहेज एक व्यवसाय – गोविन्द गुप्ता

सेठ धन्नी सिंह शहर के नामी गिरामी सेठ थे,

चार लड़के थे सभी धीरे धीरे विवाह योग्य होते जा रहे थे एक एक वर्ष का अंतर था तो अभी वरावर के लगते थे,दो व्यवसाय में हाँथ बंटाते थे,छोटे बाले दोनो कॉलेज में पढ़ रहे थे तो वाहर ही रहते थे

परिवार सुखी था,

एक दिन एक सज्जन से दिखने बाले व्यक्ति आये और बड़े बेटे के लिये अपनी बेटी के रिश्ते का प्रस्ताव रख्खा ,

सेठ जी ने परिचय लिया तो उन्होंने बताया कि मुझे पता चला कि आप दहेज नही लेंगे सिर्फ अच्छी सुंदर संस्कारी वहू चाहिये,

तभी प्रस्ताव लेकर आये है,

सेठ जी ने आई को चाय नाश्ता लाने को कहा तो चाय नाश्ते के बाद,

फोटो लेकर उंन्होने कहा बाद में बताते है,

आप कल आइये ,

सेठ और बड़े बेटे सहित सभी को फोटो पसन्द आ गई तो अगले दिन शादी के लिये स्वीकृति दे दी,

समस्त इंतजाम सेठ जी ने ही करने को बोला कहा केवल बेटी लेकर आना,

इस बीच एक हफ्ते का समय था,

एक दिन बातों में ही वह सज्जन से दिखने बाले व्यक्ति संतोष ने सेठ जो से कहा कि मेरी दो बेटी है छोटी इससे भी सुंदर आप चाहे तो एक ही मंडप में विवाह हो जाये ,

हम तीर्थ को निकल जाये,

सेठ जी भी तैयार हो गये,

एक ही मंडप में दोनो की शादी हो गई और घर भर गया ,

दो लड़के वाहर पढ़ रहे थे वह भी चले गये,

रिश्तेदार भी चले गये,

दोनो बहुओं ने काम करके सेठ जी व लड़को का दिल जीत लिया सब ठीक चल रहा था,

एक वर्ष बाद संतोष आया और कहा सेठ जी बेटियों को घर दिखा लाये बहुत दिन हो गये ,

बेटियों ने भी सहमति दी तो सेठ जी ने भेज दिया,

एक दिन सेठ जी की दुकान पर पुलिस की जीप आकर रुकी और दोनो लड़को व सेठ जी को लेकर चली गई,

पता चला दोनो बहुओं ने सेठ व लड़को पर दहेज प्रताड़ना का केस किया है,

सेठ जी को विश्वास नही हुआ आंखों में आंसू आ गये बोले सर हमने तो केबल बेटी ही ली थी,



सारा इंतजाम तक हमारा था,

बेटी की तरह ही रख्खा भी,

और घर से खुशी खुशी संतोष जी लेकर भी गये,

दरोगा जी बोले हम कानून से मजबूर है सेठ जी जो रिपोर्ट लिखी है उसी के अनुसार कार्यवाही होगी ही,

आप जमानत करा लें कोर्ट फैसला करेगा,

सेठ ने कुछ परिचितों को बुलाकर जमानत कराई और बेटों के साथ घर आये,

बेटों ने अपने कमरों में जाकर देखा तो सारे जेवर व पैसे गायब थे,

सेठ जी बहुत परेशान थे कहने लगे आखिर क्या गलती हुई हमसे यही न कि एक गरीब व्यक्ति पर विश्वास किया,

यही न दहेज न लेने का संकल्प लिया,

यही न कि अपनी बराबरी में लड़कों की शादी न की,

सेठ को सोंचते ही हार्ट अटैक पड़ा ओर वह स्वर्ग सिधार गये,

इधर दोनो लड़के अलग परेशान थे,

सूचना पर रिश्तेदार व दोनो छोटे लड़के भी आये पर वहू व संतोष कोई नही आया,

छोटे लड़के होशियार थे ,

अंतिम संस्कार के बाद उन्होंने वहू ब संतोष के खिलाफ लूट की रिपोर्ट लिखाई,

पुलिस ने तलाश की तो पकड़ में आ गये वह लोग,

कड़ाई से पूंछताछ हुई तो पता चला यह जाति बदलकर अलग अलग शहरों में किराए पर रहते है,और इसी तरह किसी बड़े परिवार को हर वर्ष ठगी का शिकार बनाते है,

आरोप साबित होंने पर उन्हें जेल भेज दिया गया कोर्ट में जांच रिपोर्ट दाखिल कर दी गई कि दहेज के आरोप फर्जी थे,

पर सेठ जी अपनी नेकनियती की सजा भुगत चुके थे,

शायद हंमे भावुकता में नही निर्णय लेने चाहिये ,

दोनो पक्षो को सम्पूर्ण जानकारी होनी चाहिये ,

रिश्ते जीवन भर के होते है सौदे कुछ दिन के,,

गोविन्द गुप्ता 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!