समय हर घाव भर देता है (भाग 2) – के कामेश्वरी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  :

माँ ने मुझे बताया तो नहीं था पर किसी से पता चला कि माँ ने वॉलेंटरी रिटायरमेंट लेकर जो भी पैसा आया था उससे सारे उधार चुकता कर लिया था और बचे हुए पैसे बैंक में रख लिया था । अपने घर के आस पास के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते हुए अपनी जीविका चला रही है ।

 मैंने बेटा होने का फ़र्ज़ तो कभी निभाया ही नहीं था । उनसे पूछा ही नहीं कि आपको पैसे चाहिए या आपकी ज़रूरतों के लिए आप क्या कर रही हैं । 

इस बीच हमारे दो बच्चे हो गए फिर भी हमने माँ को नहीं बुलाया था और ना ही बच्चों को लेकर माँ के पास आए थे । 

आप सभी को लग रहा होगा कि आज माँ की याद कैसे आ गई है जो उन्हें ढूँढते हुए निकल गए । आज माँ को ढूँढते हुए जाने के लिए भी हमारा स्वार्थ ही है । 

मैं और शुचिता दोनों नौकरी करते हैं । हम हमारे बच्चों को बेबी केयर सेंटर में रखते थे । वहाँ का वातावरण शायद हमारे बच्चों को सूट नहीं हुआ था इसलिए वे बीमार रहने लगे थे । हमेशा ऑफिस से छुट्टी लेकर उन्हें डॉक्टर के पास ले जाना पड़ता था । 

हम तंग हो गए थे । शुचिता की नौकरी को ध्यान में रखते हुए ही हमने लोन लेकर घर ख़रीदा था तो शुचिता नौकरी नहीं छोड़ सकती है । इसलिए घर पर ही एक औरत को हेल्प  के लिए बुला लिया पर वह आए दिन छुट्टी पर चली जाती थी । 

एक दिन बैठे बैठे शुचिता के दिमाग़ में बात आई थी कि आप अपनी माँ को यहाँ ले आइए उनकी ख्वाहिश पूरी हो जाएगी अपने पोते और पोती के साथ रहने की और हमारा काम भी हो जाएगा बच्चों की और घर की चिंता भी नहीं रहेगी । 

मुझे उसकी बातें अच्छी लगीं और मैं माँ को लाने के लिए निकल गया सोचा भी नहीं कि माँ मेरे बारे में क्या सोचेगी । अभी उसका मन विचारों के सागर में गोते लगा रहा था कि ड्राइवर ने कहा कि सर आपके बताए हुए पते पर हम पहुँच गए हैं । 

मैं नीचे उतर कर हैरान था कि यह वृद्धाश्रम नहीं है । उसने सोचा था कि माँ वृद्धाश्रम में भर्ती हो गई होगी । यहाँ तो बहुत सारे बच्चे दिखाई दे रहे हैं । पवन आगे बढ़ा तो वहाँ एक छोटा सा अनाथालय का बोर्ड लगा हुआ था । 

वह धीरे-धीरे चलते हुए ऑफिस में पहुँचा और कहा कि यहाँ रुक्मिणी जी रहती हैं । 

मेनेजर जो एक दिन पहले ही आया था रुक्मिणी जी कहते हुए देख रहा था कि तभी पीछे से आकर एक बच्चे ने कहा अंकल ये टीचर के बारे में पूछ रहे हैं । 

पवन की तरफ़ मुड़कर कहा आइए अंकल रुक्मिणी टीचर अपने कमरे में हैं मैं ले कर चलता हूँ कहते हुए फुदकते हुए आगे भागने लगा । पवन उसके पीछे गया । माँ अपने कमरे में रामायण पाठ कर रही थी । वह बच्चा टीचर आपके लिए कोई अंकल आए हैं कहते हुए भाग गया । 

रुक्मिणी ने सर उठाकर देखा तो पवन था । अरे! पवन बेटा तुम कब आए घर में सब ठीक हैं ना?

बहू कैसी है? बच्चे कैसे हैं?

सब लोग ठीक हैं माँ । आप कैसी हैं? यहाँ कब आईं? हमें बताया भी नहीं? अपने बेटे से ख़फ़ा हैं ना ? मैंने आपकी खोज ख़बर नहीं ली है इसलिए । 

रुक्मिणी ने कहा बेटा अपनों से क्या खफा?

कोई कितना भी कहले मैं तेरी माँ और तुम मेरे बेटे ही रहोगे ।

पवन- आप यहाँ कैसे पहुँची माँ?

रुक्मिणी- मैं एक दिन पेपर पढ़ रही थी तो एक विज्ञापन देखा उसमें लिखा था कि अनाथालय में बच्चों को पढ़ाने के लिए एक टीचर की ज़रूरत है । मैं जब वहाँ पहुँचीं और बच्चों को देखा तो उन्हें पढ़ाने के लिए हाँ कह दिया तब उन्होंने बताया था कि वे ज़्यादा वेतन नहीं दे सकते हैं । 

मैंने हामी भर दी और कहा कि मैं अभी ही उम्र में बड़ी हूँ कल को मुझे कुछ हो गया तो क्या होगा । 

उन्होंने कहा कि हम आपकी देखभाल करेंगे आपको रहने के लिए घर देंगे आप हमारी ज़िम्मेदारी हैं । जब तक आपसे होगा आप कीजिए फिर हम आपको देखेंगे । इससे अच्छा क्या हो सकता है इसलिए मैं यहाँ रहने आ गई । 

पवन ने कहा यह सब तो ठीक है माँ मुझे भी आपकी ज़रूरत है आप मेरे साथ रहने के लिए चलेंगी । मुझे मालूम है कि आप मुझसे नाराज़ हैं जाने अनजाने में मैंने आपको कई घाव दिए हैं । मैं जानता हूँ मेरे लिए आप क्या महसूस कर रही हैं । आपको मेरा इस तरह अचानक आना और मेरे साथ चलने के लिए कहना अच्छा नहीं लग रहा है । है ना माँ 

रुक्मिणी- पवन बेटा घावों का क्या है समय हर घाव को भर देता है । मेरे दिल में कोई बैर नहीं है । आप लोग मेरे बच्चे हो मैं भी आप लोगों की मदद करना चाहती हूँ । आख़िर वे हमारे वारिस हैं इसी बहाने मैं उनके साथ समय बिता सकती हूँ । 

लेकिन जब तुम्हारे बच्चे बड़े हो जाएँगे और तुम्हें मेरी ज़रूरत नहीं होगी तब क्या होगा सोचा तुम लोगों ने । 

इसका उत्तर पवन बिना शुचिता को बताए नहीं दे सकता है! इसलिए आँखों में आँसू भरकर माँ को देखता रहा । 

रुक्मिणी उसकी परेशानी को समझ गई।  उसने उसकी पीठ थपथपाई और कहा कोई बात नहीं है पवन मैं यहाँ खुश हूँ तुम मेरी फ़िक्र मत करो । अपनी ज़िंदगी शांति से बिताओ मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम लोगों के साथ है । अभी मेरी क्लास है बेटा मैं चलूँ कहते हुए वे चलीं गईं पवन उन्हें जाते हुए देखता रहा । 

के कामेश्वरी

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