रिश्ता करने से पहले – रश्मि प्रकाश  : Moral stories in hindi

“बला की खूबसूरत थी वो…तराशे हुए नैन नक्श , काले लंबे बाल …..और तो और जब वो बोलती थी तो ऐसा लगता था मानो फूल झर रहे हो…..माँ सच कह रहा हूँ उससे ज़्यादा ख़ूबसूरत लड़की हमारे घर में कोई भी नहीं है… तुम एक बार दीदी से पता तो करो वो है कौन?”अपनी छोटी बहन की शादी में लड़के वालों की बारात में आई एक लड़की को देखकर पागल से हुए अनय अपनी माँ को मनाते हुए कह रहा था 

“ अरे अभी महीना भर ना हुआ और तू ना जाने किस लड़की के लिए इतना बावला हुआ जा रहा है…. खूबसूरत ही होंगी बाकी आता जाता कुछ ना होगा… और तुने कब सुन लिया उसको बोलते हुए… जो कह रहा मानो फूल झर रहे थे बेटा देख रिश्ते हमेशा बराबर वाले से बनाना चाहिए पता नहीं वो कौन होगी किस ख़ानदान की होगी और तू उसके साथ शादी के सपने संजोने लग गया ।” नर्मदा जी अनय को समझाते हुए बोली 

“ माँ जब ख़ूबसूरत है तो अवश्य ही उसमें सब अच्छा ही होगा… तुम एक बार पता तो करो।”अनय अभी भी उस लड़की के सपने में खोया हुआ था 

“ तू भी ना बावला हो रखा है अपने रिश्ते के लिए इस तरह कहते अपने घर में किसी तो नहीं देखी….कभी मौक़ा मिला तो ज़रूर पता करूँगी पहले तू तो खुद को सँभालने लायक हो जा फिर सोचूँगी तेरी शादी के लिए ।” नर्मदा जी हँसते हुए कह कर बात को टालना चाह रही थी 

अनय की बहन आन्या इसी शहर में ब्याही गई थी बस घंटे भर की दूरी पर ही उसका ससुराल और मायका था।

शादी के बाद आन्या कुछ दिनों के लिए अपने मायके आई हुई थी।

बहन के आने के बाद से ही अनय मौक़ा पाते ही नर्मदा जी से उस लड़की के बारे में आन्या से पता करने को कहने लगा… नर्मदा जी मीठी झिड़की देकर उसे चुप करा कर कह देती अरे करूँगी बात पहले तू तो खुद को सँभाल ले फिर शादी का सोचना ..पापा के साथ ऑफिस जाता नहीं बस शादी शादी की रट लगा कर बैठा है ।

नर्मदा जी को अनय की पसंद पर तनिक भी भरोसा नहीं था इसलिए वो बात करना नहीं चाहती थी हर माँ की तरह उन्हें भी लगता था रिश्ता बराबरी वालों में ही करना सही होगा और पता नहीं अनय किस लड़की की बात कर रहा किस ख़ानदान की होगी कैसा रहन सहन व्यवहार अगर हमारे साथ मैच ही नहीं किया तो बात करने का कोई फ़ायदा भी नहीं ।

एक दिन नर्मदा जी ,अनय और आन्या मॉल घुमने गए हुए थे।

नर्मदा जी ने सोचा कि बेटी शादी के बाद पहली बार आई है तो उसके लिए कुछ कपड़े ख़रीद लिया जाए ये सोच कर वो एक शॉप में चली गई ।

अंदर एक लड़की काउंटर पर किसी से उलझी पड़ी थी…और बहुत ही बदतमीज़ी से बात कर रही थी… उन्होंने बस आवाज़ सुनी पर शक्ल नहीं देख पाई “कैसी लड़की है अच्छे भले घर की लड़की लग रही पर ना जाने क्यों इन लोगों से उलझी पड़ी है।”मन ही मन उस लड़की पर ग़ुस्सा करती हुई वो आन्या के साथ कपड़े देखने में व्यस्त हो गई ।

“ अरे ये  अनय किधर रह गया..? ये लड़का भी ना …आता तो साथ है पर ना जाने किधर चला जाता।” आन्या से कहती हुई नर्मदा जी  फिर से कपड़े देखने में व्यस्त हो गई 

बहुत देख समझ कर उन्हें एक कपड़ा पसंद आया और वो आन्या को उधर ही बैठने को बोल कर काउंटर पर पेमेंट करने चली गई ।

“ ये कपड़े आप मत लीजिए आँटी जी… ये सही नहीं है… मैं भी इसका एक पीस लेकर गई थी पर वो ख़राब निकल गया… इन्होंने कहा था कुछ भी होगा तो हम ज़िम्मेदारी लेते हैं पर ये तो कुछ सुनने को ही तैयार नहीं हैं… एक तो इतना महँगा शोरूम उपर से इतना महँगा कपड़ा इसपर इनका इतना घटिया व्यवहार….. आप कही ये गलती ना करें इसलिए आपको बता रही हूँ…!” उसी लड़की ने नर्मदा जी से कहा जो कुछ देर पहले काउंटर पर उलझी पड़ी थी 

नर्मदा जी सोचने लगी… शायद सही कह रही हो… इतना महँगा कपड़ा ले लिया और ख़राब निकल गया तो सब आन्या को ही ना सुनाने लगे… मायके से लेकर भी आई तो ऐसा घटिया कपड़ा….मैं भी ना जाने इस लड़की के बारे में क्या सोच बैठी थी…उसे शुक्रिया कह कर वो आन्या के पास आई और बोली,“ बेटा हम कही और कपड़े पसंद कर लेते हैं… काउंटर पर एक लड़की मिली उसने कहा ये सही नहीं है तो मैं अब उसे नहीं ले रही हूँ ।”

दोनों बाहर निकले तो देखा अनय हाथ में कुछ पैकेट्स लिए सामने से आ रहा है …“क्या हुआ आप लोगों ने कुछ नहीं लिया…देखो मैंने तो बहुत कुछ ले लिया… देख तेरे पति के लिए भी ले लिया है … ये मत कहना बस अपने लिए ही लेते हो…!” बहन को छेड़ते हुए अनय ने कहा 

अनय की बात सुन कर सब हँस दिए और दूसरी शॉप पर चले गए।

किसी तरह नर्मदा जी ने आन्या और उसके परिवार के लिए थोड़ी शॉपिंग करने के बाद पास ही फ़ूड कोर्ट में वो लोग स्नैक्स खाने चले गए ।

नर्मदा जी और आन्या बैठे हुए थे ,अनय आर्डर देने गया हुआ था… तभी सामने से वो लड़की आती हुई नजर आई… नर्मदा जी को देख कर वो हल्के से मुस्कुरा दी तभी उसकी नज़र आन्या पर पड़ी…. आन्या ने भी उस लड़की को देखा तो चौंक गई और बोली,“हाए अनिशा तुम यहाँ…!”

“ हैलो भाभी… आप भी यहाँ आई हो…अच्छा लगा आपसे मिलकर..।”अनिशा ने कहा और नर्मदा जी की ओर सवालिया नज़रों से देखने लगी

“ ये मेरी मम्मी है… अभी मैं मायके आई हुई हूँ तो मम्मी और भाई के साथ थोड़ी शॉपिंग करने आए हैं… आओ हमारे साथ बैठो ना.. मेरा भाई अभी उधर काउंटर पर गया है।”अनय की तरफ़ इशारा करते हुए आन्या ने कहा 

“ नमस्ते आँटी जी.. उस वक़्त मुझे पता नहीं था आप आन्या भाभी की मॉम हो नहीं तो पहचान जाती… सॉरी भाभी फिर कभी ज़रूर बैठ जाऊँगी अभी मुझे एक एनजीओ जाना है…आज हमारी टीम ज़रूरतमंदों को कुछ कपड़े और खाने का सामान बाँटने वाली है तो मेरा वहाँ पहुँचना बहुत ज़रूरी है।”कहती हुई वो जाने के लिए जैसे ही पलटी अनय सामने आ गया 

अनिशा सॉरी कहकर निकल गई ।

अनय एकटक अनिशा को जाते हुए देख रहा था ।

“ भाई वो गई… तू ऐसे उसे गौर से क्यों देख रहा… जानता है क्या?”आन्या ने पूछा 

“ हाँ ऽऽनाऽऽऽहाँ ऽऽऽ… ये तो वहीं ख़ूबसूरत लड़की !”कहते कहते अनय चुप हो गया

“ ये क्या कह रहा है माँ… लगता है पागल हो गया उसकी ख़ूबसूरती देख कर।”कहते हुए आन्या अनय को कस कर चिकोटी काट ली 

“ माँ ये तो वही बला की ख़ूबसूरत लड़की है जिसके बारे में मैं आपको बता रहा था।” अनय नर्मदा जी से धीरे से बोला

 आन्या के कुछ समझ नहीं आ रहा था वो दोनों को सवालिया नज़रों से देख कर पूछने लगी ।

तब नर्मदा जी ने अनय के दिल की बात  आन्या से कह दी।

“ वाह भाई … तुने तो बड़ी जल्दी अपनी बैंड बजवाने की तैयारी करवा ली… वैसे एक बात बता दूँ …. अनिशा को पटाना ज़रा मुश्किल है.. बहुत दबंग लड़की है… तेरे वश की नहीं… ख़्वाब सजाने बंद कर दे.. तुम्हें पता भी है ये लोग कौन हैं?” आन्या सवालिया नज़रों से अनय से पूछी 

“ कैसे लोग है बेटा… क्या हमारी बराबरी के नहीं हैं क्या?” नर्मदा जी ने पूछा 

“ माँ ऐसा कुछ नहीं है… असल में अनिशा के मम्मी पापा तलाक़ ले  चुके हैं….अनिशा अपने डैड के साथ रहती है… उसकी माँ ने दूसरी शादी कर ली है….उन्हें बहुत स्वतंत्र जीवन चाहिए था और अनिशा के पापा है तो बहुत पैसे वाले पर ज़मीनी संस्कारी व्यक्ति… उसकी माँ को ये सब पसंद नही आता था कि दिन भर घर और बच्चों को देखें…अनिशा का एक भाई भी है जो उसकी माँ के साथ रहता है… अनिशा अपने घर में माता-पिता के पति पत्नी के रिश्ते को जैसा देखी  है वो देख कर तो वो कभी शादी नहीं करना चाहती… वो जहाँ जरूरत हो वहाँ दबंग बन जाती हैं नहीं तो बहुत संस्कारी लड़की है… ग़रीबों की मदद को एक पैर पर तैयार खड़ी रहती… इसके डैड भी चाहते हैं ये शादी कर ले पर ये मना कर देती है तो …अब कोई इसके घर में ज़िक्र भी नहीं करता।” आन्या कह कर चुप हो गई 

“ ये तेरे रिश्तेदार है बेटा?” नर्मदा जी ने पूछा 

“ नहीं माँ ये तो हमारे घर के पास में रहते हैं पर हमारे परिवार से इनकी बहुत अच्छी जान पहचान है ।”आन्या ने कहा 

“ मैं तो इसे बहुत बदतमीज़ लड़की समझ रही थी पर तू जैसा बता रही है उससे लग रहा है एक बार इससे बात कर के देखूँ तेरे भाई को भी पसंद है और सब जानने के बाद मेरे दिल में भी ये कहीं ना कही उतर गई है….तू एक बार अनिशा से बात तो कर के देख।” नर्मदा जी ने कहा 

आन्या घर आकर अनिशा को फ़ोन कर के अपने घर आने का न्योता दे दी ।

अनिशा मना नहीं कर सकी और दूसरे दिन आन्या के घर आ गई ।

अनिशा से आन्या और अनय बातें कर रहे थे… अनय तो एकटक उसे ही देख रहा था…,“ मिस्टर इतना घूरने की ज़रूरत नहीं है… कोई और होता तो मेरे हाथ का थप्पड़ खा चुका होता.. वो तो आन्या भाभी के भाई हो इसलिए लिहाज़ कर रही हूँ ।”आन्या के वहाँ से बाहर जाते अनिशा ने अनय से कहा 

“ वोऽऽ वोऽऽ ।”करता हुआ अनय झेंप गया था 

तभी कमरे में नर्मदा जी और आन्या वापस आ गए और उन्होंने इशारों से अनय को बाहर जाने कहा।

“बेटा क्या तुम मेरे घर की बहू बनोगी..?” नर्मदा जी ने सीधे पूछा 

“जी ये क्या कह रही है आँटी जी… मुझे शादी में कोई दिलचस्पी नहीं है वैसे भी मुझे इसका बहुत कड़वा अनुभव रहा है….आपको क्या बताऊँ !”कहते कहते अनिशा के चेहरे पर दुख ..क्षोभ..दिखने लगा था 

“ बेटा मैं फिर भी चाहूँगी तुम मेरी बहू बनो… इसलिए नहीं की तुम ख़ूबसूरत हो… बस इसलिए की तुम्हारा दिल बहुत अच्छा है और मैं चाहती हूँ आन्या की तरह मुझे एक बेटी मिल जाए… बेटा भरोसा रखो… हर शादी में दुख ही हो ज़रूरी नहीं है… मेरे और आन्या के पापा में भी अनबन होती है पर प्यार भी है… फिर आन्या को देख ही रही हो.. इनके परिवार को तो जानती ही हो.. अगर तुम रज़ामंदी दे दो तभी हम बात आगे बढ़ाएँगे बस तुम एक बार हम पर भरोसा कर सकती हो तो ही..।” नर्मदा जी अनिशा के सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए बोली 

“ मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा… मैं अब जाती हूँ… ।”कहकर अनिशा जाने लगी

नर्मदा जी अनिशा को रोकना चाहती थी पर आन्या ने नर्मदा जी के रोकते हाथों को रोक लिया और अनिशा के साथ बाहर जाने लगी।

“ अनिशा मेरी माँ की बातों का बुरा मत मानना… तुम्हें अच्छा नहीं लगा हो तो सॉरी … तुम कोई भी फ़ैसला लेने के लिए स्वतंत्र हो।”आन्या ने जाते जाते अनिशा से कहा

गेट से निकलती अनिशा ने महसूस किया एक जोड़ी आँखें अभी भी उसको ही एकटक देख रही थी… पूरे रास्ते अनिशा यही सोचती रही.. क्या सच में शादी से लोग खुश भी हो सकते है..उसने तो बचपन से ही मम्मी पापा को लड़ते हुए देखा फिर मम्मी पापा को अलग होते.. भाई का साथ छूटते… उसे तो ये रिश्ता ही कभी समझ नहीं आया था लोग कहते तो है रिश्ता हमेशा बराबरी वाले से बनाना चाहिए….. मम्मी का भी रिश्ता तो बराबरी का ही था पर अंजाम !!

घर आकर उसने सारी बाते अपने पापा को  बता दी।

“ बेटा जब वो खुद तुम्हें पसंद कर रहे हैं तो ज़रूर कोई ख़ास बात होगी तुममें… मैं ये तो नहीं कहूँगा ज़बरदस्ती तुम शादी कर लो.. पर ये भी सच है बेटा सबकी शादी का हाल हमारे जैसा हो ज़रूरी तो नहीं है…एक बार अच्छे से सोच लो फिर तेरा जो फ़ैसला होगा मैं तेरे साथ हूँ ।” अनिशा के पापा ने कहा

बहुत सोच विचार कर अनिशा ने शादी के लिए हाँ कर दी। बहुत धूमधाम से अनय और अनिशा की शादी हुई… अनिशा को नर्मदा जी ने इतना प्यार दिया कि अनिशा के मन में अपनी मम्मी और शादी को लेकर जो कड़वाहट थी वो दूर हो गई…और अनय ने भी अपनी बला की खूबसूरत पत्नी को भरपूर प्यार दे कर शादी के रिश्ते का एक नया रूप अनिशा के सामने प्रस्तुत कर दिया।

ये सच है कि आजकल शादी को लेकर बहुत तरह की बातें सोची जाती हैं… सब यही चाहते हैं रिश्ता बराबरी वाले में हो ताकि सामंजस्य बिठाया जा सके पर हर बार ऐसा नहीं होता…और उसका असर बच्चों पर होता है वो शादी के नाम से दूर भागते हैं … कुछ तो अपने घर में देखकर कुछ आस पास के क़िस्से सुनकर … पर हम अगर बच्चों को सही दिशा देने की कोशिश करें तो वो शादी के फ़ैसले पर अपने विचार बदल भी सकते हैं ।

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धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

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# रिश्ता बराबरी वाले से बनाना चाहिए 

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