रेत से भरे रिश्ते – सीमा प्रियदर्शिनी सहाय   : Moral stories in hindi

“यह दुनिया है माया का फेरा…यहां न सुबहा ना शाम का डेरा…!”

अंजली अपनी आँखों में आँसू लिए बैठी खुद को कोस रही थी।

कितनी बेरहम है दुनिया…कोई किसी का नहीं होता…!.

अब क्या करे वह  ..किसी को बताएगी तो कोई यकीन भी नहीं करेगा…फिर बेवकूफी भी तो उसी ने की थी।

साहिल से तो बता भी नहीं सकती और उसके घर वाले भी उसे आड़े हाथों लेंगे सो अलग!

अपने आँखों में आँसू लिए अंजलि बैठी सोचने लगे उसे कहां आखिर गलती हो गई थी।

अंजली और रीतिका दोनों बचपन की सहेलियाँ थीं। 

दोनों ने साथ-साथ ही पढ़ाई भी किया था।

किस्मत ने साथ दिया दोनों का विवाह एक ही शहर में हो गया।

 दोनों की दोस्ती  बनी रह गई ।दोनों के पति भी अच्छे दोस्त बन गए थे।

एक परिवार की तरह सब लोग मिलते-जुलते थे।किसी को कभी लगा ही नहीं कि दोनों रिश्तेदार नहीं है।

अंजलि  और रितिका दोनों की एक एक बेटियाँ ही थीं।

देखते देखते दोनों के बच्चियाँ भी पढ़ लिखकर काबिल हो गईं।

अंजली की बेटी भाव्या बैंकिंग की परीक्षा पास कर बैंक में नौकरी करने लगी थी।

अंजली बहुत ही ज्यादा खुश थी। अब उसे बस एक ही चिंता थी कि भाव्या को अच्छा घर वर मिल जाए।

रितिका की बिटिया कशिश बहुत कोशिश करने के बाद भी किसी भी प्रतियोगी परीक्षा निकालने में असमर्थ हो गई थी।

यह बात रितिका को चुभ गई थी।वह भीतर ही भीतर अंजली से जलने लगी थी और उसे और उसकी बेटी भाव्या को नीचा दिखाने की कोशिश में लगी रहती थी।

एक दिन अंजलि के पति भाव्या के लिए एक बहुत ही अच्छा रिश्ता लेकर आए।

उन्होंने अंजलि से कहा 

“एक बहुत अच्छा लड़का मिला है अगर सब कुछ ठीक रहेगा तो इसी महीने हम शादी पक्की कर देंगे । “

यह सुनकर अंजलि बहुत खुश हो गई।

 उसने मंदिर जाकर माता रानी को प्रसाद चढ़ाया और उनसे अपनी बिटिया के विवाह के लिए आशीर्वाद भी मांगा।

अंजलि  और उसके पति साहिल दोनों लड़के वाले के घर  गए।

वे लोग बहुत ही अच्छे और सुलझे विचारों के थे।लड़के की कुंडलियां भी लड़की के साथ मैच कर रही थीं।

सब कुछ  तय कर वह दोनों घर आ गए ।

लड़के के पिता ने कहा था 

“हम अपनी ज्योतिषी और पंडित जी से सलाह कर सगाई की तारीख पक्की करेंगे और फिर आप लोगों को खबर कर देंगे।”

साहिल ने अंजलि से कहा

” अंजलि, जब तक सगाई की तिथि पक्की नहीं होती, यह बात तुम किसी को मत कहना। 

बेकार में  लोग बात बनाएंगे और फिर शादी कटने का डर हो जाएगा।”

अंजलि ने इस बात  पर इतना ध्यान नहीं दिया।

उसने अपनी जिगरी सहेली  रितिका को यह बात बता दिया ।

“भाव्या की  नौकरी भी हो गई है और अब शादी इतने अच्छे घर में तय हो गई है!” यह सुनकर रितिका जल भुनकर राख हो गई ।

वैसे भी अब उसके अंदर एक कंपटीशन आ गया था जबकि वह आर्थिक तौर पर अंजलि और साहिल से ज्यादा ऊपर थी। उसके पति शहर के नामी बिजनेसमैन थे।

उसने  बातों बातों में अंजली से लड़के वालों का नंबर ले लिया और उन लोगों से फोन कर झूठ बोल दिया कि 

“भाव्या अपने ऑफिस के सहकर्मी के साथ रिलेशनशिप में है और उससे प्रेम विवाह करना चाहती है।

 यह लोग जबरदस्ती उसकी शादी करवाना चाहते हैं।”

 यह सुनकर लड़के वाले पीछे हट गए।

इंगेजमेंट की डेट फाइनल हो गई तो लड़के वालों ने रिश्ता करने से इनकार कर दिया।

लड़के के मां ने अंजलि को फोन कर बहुत ही बुरा भला कहा और यह भी कहा

” बहन जी, आज के जमाने में आपलोग कितने पीछे चल रहे हैं! 

अगर आप अपनी बेटी  को पढ़ा रहे हैं उन्हें नौकरी करने की छूट दे रहे हैं तो आप  उन्हें उनकी पसंद कोचुनने का अधिकार भी दीजिए।

अगर आपकी बेटी अपनी मर्जी से शादी करना चाहती है करने दीजिए। जबरदस्ती क्यों कर रही है? 

क्या आपकी बेटी और मेरा बेटा इस जबरदस्ती के रिश्ते से खुश रह सकेगें?”

“यह आप क्या कह रही है ?”अंजलि सकपका गई।

“यह आप क्या बोल रही हैं ..मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है…? मेरी बेटी किसी से भी न रिलेशनशिप में है और न ही शादी करना चाहती है…!” अंजली घबरा गई।

 लड़के की मां ने कहा

” हमने तो यह भी सुना है कि आपकी बेटी कोर्ट मैरिज करना चाहती है।”

“मेरी बेटी कभी भी लव मैरिज नहीं करना चाहती थी। मेरी बेटी को तो कोई पसंद ही नहीं है। 

वह तो हमेशा ही अपनी इच्छा हम लोगों के ऊपर छोड़ी हुई है।”अंजली रोआंसी हो गई।

“बहन जी रहने दीजिए। आप ऐसी बात मत कहिए। हमें सबकुछ पता चल गया है।

हम आपके यहां रिश्ता नहीं कर सकते।” 

अंजलि अपने हाथों में फोन लेकर अवाक बैठी रही।

 उसने फिर से फोन किया और  लड़के की मां से कहा

“बहन जी, मेरी बेटी के बारे में आपने इतना कुछ  कैसे पता किया …आखिर किसने यह बताया…!

लड़के की मां ने हंसने लगी

” अरे बहन जी आज के जमाने में लव मैरिज कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। 

आप अपनी बेटी को छूट दे दीजिए और वैसे यह बात आपकी जिगरी  सहेली रितिका ने बताया था। उसी ने कहा था कि आपकी बेटी अपने ऑफिस के कॉलीग के साथ शादी करना चाहती है लेकिन आप लोग तैयार नहीं है। 

उसकी जबरन शादी करना चाहते हैं बताइए यह कितनी गलत बात है।”

“हे भगवान…!” अंजलि बस इतना ही बोल पाई।

लड़के के मां ने आगे कहा

“वह बेचारी आपकी  इज्जत बचाने के लिए अपनी बेटी का रिश्ता लेकर आई थी। अब हम उनकी बेटी के साथ ही रिश्ता करेंगे।”

उन्होंने फोन रख दिया ।

अंजलि फोन पकड़ कर ही रोने लगी ।

वह कहीं की नहीं रह गई थी।

“अपने स्वार्थ के लिए एक बेवजह झूठ रच कर बदनाम करने की क्या आवश्यकता थी।

आखिर रितिका ने ऐसा क्यों किया?

अगर वह मुझसे कहती कि मैं अपनी बिटिया की वहां शादी करना चाहती हूं तो शायद मैं खुद पीछे हट जाती!” अंजलि बुदबुदाई।

 बचपन से रितिका और वह दोनों गहरी सहेलियां थी। रितिका की शादी एक व्यापारी घराने में हुई थी।

 कभी भी  वह रितिका की अमीरी से बराबरी नहीं की। 

आखिर रतिका को उसे इतनी जलन क्यों हो गई?

 वह हैरान रह गई …दुनिया इतनी मतलबी क्यों है? अपना फायदा देखकर किसी के पीठ पर  चाकू घोंप देती है..!”

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प्रेषिका–सीमा प्रियदर्शिनी सहाय

#बेटियां 6वीं जन्मोत्सव

मौलिक और अप्रकाशित रचना

®©

(कहानी नंबर–2)

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