राजा साहब (भाग 7 ) – रश्मि प्रकाश

ऐसे ही महीने बीतने लगे रज्जु ने स्कूल आना बंद कर दिया कजली भी अब कभी आती कभी नहीं आती । राजा साहब से रहा नहीं गया तो हरिया को ले रज्जु के घर पहुँच गए।

घर पहुँचे तो रज्जु के माता पिता घबरा गए। वो लोग रज्जु से मिलने नही दे रहे थे।

राजा साहब के बहुत मिन्नतें करने पर कजली ने माँ से कहा,“ माँ इनको मिल लेने दो..।”

झोपड़ीनुमा घर में एक कमरे पर साड़ी का पर्दा डाला हुआ था अंदर रज्जु ज़मीन पर लगे बिछौने पर पड़ी कराह रही थी.. बढ़े पेट के साथ उसे देख कर राजा साहब को चक्कर आने लगा… ये क्या किया रज्जु ने…।

“कजली तेरी दी से अकेले बात करने देगी? अपनी माँ बाबू को किसी तरह बाहर ही रोक लें।” राजा साहब हाथ जोड़ कर कजली से बोले

कजली जानती थी राजा साहब रज्जु पर जान छिड़कते हैं पर रज्जु उसके तो अलग ही सपने थे….

“ ये क्या किया रज्जु? कैसे कौन है वो.. उसको बुला ब्याह करेगा वो तेरे साथ…।” राजा साहब ने कहा

“ राजू (पहली बार आज रज्जु ने राजा को राजू कहा था शायद राजा साहब की आँखों में अपने लिए प्यार को महसूस कर पा रही थी ) मेरी गलती है ये… ना जाने मैं कैसे उसके साथ बहकने लगी थी कहकर रज्जु फूटफूट कर रोने लगी । वो शहरी लड़का था राजू जिसे देख कर मुझे कुछ बस कुछ हो जाता था… वो जब कभी मेरा हाथ पकड़ता यूँ लगता मानो पूरे बदन में करंट सा दौड़ने लगता…. बस उस शहरी का साथ मुझे अच्छा लगने लगा था एक दिन उसने मेरे होंठों को क्या छुआ मैं खुद को रोक ना सकी और उस एक दिन की गलती का अहसास मुझे अब हो रहा है….उस लड़के से शादी नहीं करनी मुझे राजू ……..उसके मन में मेरे लिए कुछ नहीं था वो तो मैं बावरी हो गई थी……मुझे माफ कर देना राजू …..तेरे प्यार को मैं कभी समझ ही नहीं पाई अब तो ये जूठन तेरे काबिल भी ना रहीं बस अब किसी का दिमाग़ काम नहीं कर रहा क्या करें।माँ बता रही थी मेरे लिए चौधरी के घर से रिश्ता आया था वैसे तो ये उसका दूसरा ब्याह होगा पहली बीबी बच्चा जनते मर गई …..उस बच्चे की माँ की जरूरत …..मेरे माँ बापू दो बेटी के ब्याहने की स्थिति में ना है पर ये बच्चा इसका क्या करूँगी पता नहीं था ये भी हो जाएगा… ।”कहते कहते फफक पड़ी थी रज्जु



“ रो मत रज्जु मैं कुछ सोचता हूँ …..मुझसे शादी करेगी ? राजा साहब ने कुछ रूक कर धीमे से पूछा

“ मर जाऊँगी राजू पर अब तेरे से ब्याह नहीं करूँगी… माना मैं तुम्हें प्यार नहीं कर पाई पर ये जूठन तुम्हें अर्पित करूँ ये मुझसे ना होगा… मैं मर जाना चाहती हूँ राजू पर ना जाने इस नन्ही जान का सोच हाथ रूक जाते पता नहीं क्या लिखा मेरी क़िस्मत में ।” रज्जु राजा साहब के हाथों पर अपना सिर टिकाते फूट फूट कर रो पड़ी

राजा साहब का जी कर रहा था अभी रज्जु को अपने बाँहों में जकड़ ले और पूरा प्यार उस पर उड़ेल दे…..हाथ पकड़ ले जिसे ज़िन्दगी भर ना छोड़ें।

तभी कजली की आवाज़ सुनाई दी । वो अंदर आकर बोली,“ माँ कह रही है हम यहाँ से कही दूर चले जाएँगे रात अँधेरे में… रज्जु को इस हालत में अभी तक किसी ने ना देखा है.. किसी ने देख लिया तो बवाल हो जाएगा । नई जगह जाकर सोचते क्या करना है ।”

“ राजा हमें भूल तो ना जाओगे?” कजली ने प्यार भरी नज़रों से राजा को देखते हुए कहा

कजली का जरा भी जी नही कर रहा था यूँ राजा को तन्हा छोड़ कर जाएँ….

राजा साहब क्या कहते बस इतना ही कह सके,“ रज्जु मेरी जब भी ज़रूरत हो मुझे बुलवा लेना तेरे लिए भागा दौड़ा आ जाऊँगा। ” अपने आँसुओं को छुपाने की भरसक कोशिश की राजा साहब ने पर कजली ने देख ही लिया था उसका जी किया अभी अपने राजा को सीने से लगाकर बोले ….. मैं हूँ तुम्हारे लिए…!

हरिया घर के बाहर राजा साहब का इंतज़ार कर रहा था । बुझे मन से राजा साहब रज्जु के घर से निकल गए ये जानते हुए अब ना जाने कब मुलाक़ात हो..

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