राजा साहब (भाग 8 ) – रश्मि प्रकाश

राजा साहब अब सब छोड़ कर पिता के कारोबार में लग गए जो शहर जाकर सामान लाते और अपनी एक छोटी सी परचून की दुकान पर बेचा करते।

गाँव में कम उम्र में ही ब्याह कर दिया जाता है बस राजा साहब के लिए भी रिश्ते की बात चलने लगी।राजा साहब हर रिश्ते में कमी निकाल ब्याह को मना करने लगे थे।

ऐसे ही एक दिन एक लड़की की खबर मिली पूरा परिवार उस गाँव लड़की देखने गया। राजा साहब को इन सब में कोई दिलचस्पी तो थी नहीं वो हरिया के साथ बाहर खेतों में घूम रहे थे तभी दूर उन्हें जानी पहचानी सी सूरत दिखाई दी । वो उसकी ओर लपके देखा तो कजली अपने बापू के साथ खेतों में काम कर रही थी।

“ आप सब यहाँ आ गए हैं…रज्जु कैसी है?” कजली के पास जाकर सवाल कर दिया

“ अब तो वक़्त हो गया है जब बच्चा आ जावे… रज्जु दी ने बहुत बड़ी गलती कर दी जाने इसके लिए हमें क्या सजा भुगतनी पड़े… आपको पता है रज्जु दी की वजह से कितने बहाने बनाने पड़ रहे अब बच्चा होगा उसका क्या करेंगे ये समझ नहीं आ रहा ।उधर चौधरी के घर में कुछ दिनों की मोहलत लिए हुए हैं देखो क्या लिखा रज्जु दी के नसीब में ।” कजली ने कहा

राजा साहब का मन फिर रज्जु से मिलने को करने लगा पर तभी हरिया ने इशारा किया कि उसके माँ बापू बुला रहे हैं।

“मैं आऊँगा एक दिन” कह कर राजा साहब वहाँ से अपने गाँव आ गए

“ माँ मैं एक दिन ख़ुद ही अपनी दुल्हन ले आऊँगा … देखना तुम।” पहले अकसर अपनी माँ से ये कहने वाले राजा साहब अब मन ही मन सब विचार कर चुके थे अगर सब कुछ ठीक रहा तो जैसा वे सोच रहे वैसा ही होगा नहीं तो भगवान की मर्ज़ी

कुछ दिनों बाद वो रज्जु के गाँव पहुँच गए।

पता चला आज ही रज्जु ने एक बेटे को जनम दिया है और बापू चुपचाप उस बच्चे को लेकर कहीं चले गए हैं जाने क्या होगा उस बच्चे का।कजली ने राजा साहब को बताया



रज्जु को देखने राजा साहब अंदर गए तो वो बेहोशी की हालत में थी घर में ही उसकी माँ ने किसी तरह उसका प्रसव करा दिया था । एक गलती की सजा कितनों को भुगतनी पड़ेगी ये तो रज्जु भी ना सोची होगी।

कुछ देर में रज्जु के बापू लौट कर आ गए।“बच्चे का क्या किया ” राजा साहब ने सवाल किया

“ उसे पास वाले गाँव के मंदिर में छोड़ आया हूँ…, इस लड़की ने कहीं का ना छोड़ा..मुँह छुपाएँ फिर रहे हैं… ।”रज्जु के पिता की आँखों में दर्द भी था और बेटी के किए पर ग़ुस्सा भी पर बाप करें भी तो क्या बदनामी के डर से ना उसे अपना सकता था ना बेटी के पास उसे रख सकता था

“ बापू आप रज्जु का ब्याह चौधरी से करने वाले हो ना अब किसी तरह ब्याह कर दो… उसको तो हमेशा से चकाचौंध ज़िन्दगी चाहिए थी क्या पता उधर उसे वो सब मिल जाए… और कजली ……अगर कजली मेरे से ब्याह करने को तैयार हो तो मेरा ब्याह उससे कर दो…रज्जु बच्चे के बाबत पूछे तो उससे कहना उसका बच्चा बच ना सका और तो और कह देना कजली राजा से ब्याह कर कहीं दूर गाँव चली गई है ….अब हम कभी नहीं मिलेंगे बापू बस अगर वो बच्चा वहाँ मिल गया तो हम उसे अपने साथ ले जाएँगे… पर ये सब बात रज्जु को ना बताना ।”कह कर राजा साहब कजली की ओर देखने लगे

कजली जो हमेशा से राजा साहब को प्यार करती थी आँख बंद कर उसकी पत्नी बनने को तैयार हो गई थी ।

उसकी सहमति देख कर राजा साहब कजली का हाथ पकड़े उसके माँ बापू से आशीर्वाद ले मंदिर की ओर भागे।

बच्चा अभी भी मंदिर के अंदर एक दम चुपचाप पड़ा था.. शांत … ऐसा लगा जान ही ना बची हो पर जैसे ही राजा साहब ने उसे गोद में उठाया वो थोड़ा कुनमुनाया और फिर सो गया।

“ कजली मैं तेरी ज़िंदगी बर्बाद नहीं करना चाहता हूँ.. पर क्या तुम मेरा साथ देने को तैयार हो?” राजा साहब ने पूछा

“ राजा साहब मैं तो आपको तब भी पूजती थी जब आप रज्जु दी को चाहते थे आज भी पूजती हूँ जब आप रज्जु दी के बच्चे को अपनाने को तैयार हो। आप बोलो मुझे क्या करना होगा…जो मेरी बहन को इतना प्यार कर सकता हो वो उसके बच्चे को जान से ज़्यादा प्यार करेगा और क्या पता इसमें थोड़ा प्यार मेरे हिस्से में भी आ जाए….”कजली ने कहा

“ कजली अब जब हम घर जाएँगे तो लोग बहुत सवाल करेंगे…. बस तुम चुप रहना बाक़ी मैं सब सँभाल लूँगा। मेरी पत्नी बन कर रहने को तैयार हो तो आओ भगवान को साक्षी मान कर हम इस बच्चे की ख़ातिर पति पत्नी बन जाए… ।” कहते हुए राजा साहब ने कजली के माँग में माता रानी के सामने सिन्दूर भर दिया

दोनों बच्चे को लेकर जब गाँव पहुँचे तो हल्ला हंगामा तो होना ही था ।

राजा साहब (आखिरी भाग  )

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