पैसे पेड़ पर नहीं उगते मम्मी जी –  पूजा शर्मा  : Moral stories in hindi

पैसे पेड़ पर नहीं उगते मम्मी जी , आलोक दिन-रात मेहनत करते हैं तब जाकर पैसा कमाकर लाते हैं। आपको तो सुबह उठते ही भूख लगने लगती है और फिर खा पीकर आराम से सो जाती हो। जो कुछ है हमारी मेहनत का है कुछ छोड़ कर नहीं गए हैं पापा हमारे लिए,  ना हीं आपकी कोई पेंशन वेशन आती है 

 हमें ही पता है हम कैसे-कैसे घर का गुजारा चलाते हैं?

 सरला जी से उनकी बहू रुचि ने कहा जो बहुत देर से अपनी बहू से अपने लिए दलिया बनाने को कह रही थी आज उन्हें बीपी हाई की वजह से चक्कर आ रहे थे और उन्हें दवाई भी लेनी थी। अपनी भाभी , के शब्द सुनकर मायके में  रहने आई उनकी बेटी मानसी का खून खौल उठा जो अभी-अभी बाथरुम से नहा कर ही निकली थी।

जवान संभाल कर बात कीजिए भाभी मां से, वह आपकी सास हैं,ये क्या तरीका है ,मां से बात करने का और भैया आप क्यों कुछ नहीं कहते भाभी को? उनके ऐसे शब्द सुनकर मेरा खून खौल उठा, आप क्यों भाभी की मन मर्जी सहन करते हो कब से बैठी है मां नाश्ते के इंतजार में ,  11:00 बज गए हैं अभी तक उन्हें नाश्ता नहीं मिला है उन्हें दवाई भी लेनी है।

मैं तो खुद मां के लिए दलिया बना रही थी लेकिन भाभी ने यह कहकर मना कर दिया कि  थोड़ा सा ही दूध है,बच्चे दूध पीकर स्कूल जाएंगे  अभी दूध वाला नहीं आया है इसलिए थोड़ी देर में बना दूंगी। मां ने अपना दलिया मांगा तो उन्हें यह कह कर झिड़क दिया अभी घर में बहुत काम है अभी थोड़ा सा सांस लेने दो बना तो रही हूं।

और जब मैं उनके लिए दलिया बनाने लगी तो मुझे भी यही कह दिया कि तुम बैठो मैं बनाती हूं । पापा के न रहने से,  मां के साथ कितना उपेक्षित व्यवहार करने लगी है भाभी ,  आवाज लगती हैं तो जानबूझकर नजर अंदाज करती हैं,और आप भी भाभी से कुछ नहीं कहते हो, पापा सरकारी नौकरी में नहीं थे माना उनकी पेंशन नहीं आती, पर मत भूलो यह घर अभी भी उनका ही है।  इससे पहले आलोक कुछ बोलता रुचि ने मानसी से कहा।

 मुझे कुछ कहने से पहले आप अपने मुंह पर हाथ क्यों नहीं फेरती दीदी आपकी सास भी तो किसी की मां है?

 आप भी तो  जीजा जी से रूठ कर आए दिन मायके मे  इसीलिए बैठी रहती हो  जिससे आपके पति अपनी अकेली बूढी मां से अलग होकर रहने लगे। आपके ससुर तो सरकारी नौकरी में थे और आपकी सास की तो पेंशन भी आती है। आप क्यों बुढ़ापे में उनके बेटे को उनसे अलग करना चाहती हो। और वह बेचारे तो समझा समझा कर आपको हार गए।

आज अपनी मां के साथ मुझे ऊंची आवाज में बात करते देखकर क्यों आपका कलेजा छलनी हो गया? आप तो यह सब रोज ही करती हो अपनी सास के साथ। तुम्हारी भाभी कुछ गलत तो नहीं कह रही है मानसी।  कल जीजा जी मुझसे मिलने ऑफिस आए थे और उन्होंने मुझे तुम्हारी सारी बातें बताई थी कि तुम उनकी मां के साथ कैसा व्यवहार करती हो और एक ही घर में अपनी अलग रसोई करने को कह रही हो।

हमें तो तुमने केवल यही बताया था कि्  तुम्हारी सास का व्यवहार तुम्हारेसाथ अच्छा नहीं है ,, इसीलिए तुम्हारा रोना देखकर मैं बिना कुछ सोचे समझे तुम्हें तुम्हारी ससुराल से लिवा लाया। शायद मैं भूल गया था कमियां ससुराल वालों पर नहीं उनकी बहू में भी हो सकती है। अपनी बेटी की गलती कहां किसी को नजर आती है?

मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था मेरी बहन अपने पति को उन्हीं की मां से अलग करने के लिए उनके साथ दिन रात क्लेश करती है और जीजा जी। जैसे देवता इंसान हमसे भी कुछ नहीं कहते आज मैंने ऑफिस से उन्हें फोन किया था तो वह रो पड़े तब मैं ही उनसे मिलने उनके ऑफिस पहुंच गया था और उनसे ही यह सारी बातें पता चली है मैंने ही कल ऑफिस से आकर मां को सारी बातें बताई थी।

हां मानसी तुम्हारा भाई सच कह रहा है मुझे अपनी परवरिश पर बहुत घमंड था कि मेरी बेटी ससुराल में बहुत अच्छे से रह रही है मुझे नहीं पता था तुम वहां पर क्या गुल खिला रही हो इसीलिए हमे तुम्हें सबक सिखाने के लिए  ऐसा नाटक करना पड़ा। तुम्हारी भाभी आज तक मुझसे ऊंची आवाज में बात भी नहीं करती है। तुम्हारे पापा के न रहने के बाद तो यह मेरी हर छोटी बड़ी बातों का ध्यान रखने लगी है अरे बेटे से ज्यादा ध्यान तो मेरी बहू रखती है मेरा। उनकी बातें सुनकर मानसी बहुत शर्मिंदा हो गई।

 शायद आप सच कह रही हैं मां मुझे अपनी मां का दुख तो दिख गया लेकिन अपने पति की मां का दुख नहीं दिखा।  सही ही किया आपने मुझे आइना दिखा कर।मुझे सुमित से माफी मांगनी होगी अब मैं कभी उनसे अलग होने के लिए नहीं कहूंगी मुझे माफ कर दो भाभी आप भी। मुझे आज अपनी गलती का एहसास हो गया है। मानसी के घर वाले खुश थे कि उनकी बेटी 

 अब कोई ऐसा काम नहीं करेगी जिससे उसके पति को दुख पहुंचे। और सच में वह अपने भाई के साथ उसी दिन अपने ससुराल पहुंच गई और अपने पति और सास से क्षमा मांगी।

 मानसी के पति आलोक को देखकर मुस्कुरा रहे थे जैसा उन्होंने चाहा था वैसा ही तो हुआ था अब घर में  कभी तनाव का माहौल न हो शायद।

 पूजा शर्मा 

स्वरचित।

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