वस्तु नहीं हूं मैं – डॉ उर्मिला शर्मा

 नववधु कविता को ससुराल आए तीन-चार दिन ही हुए होंगे । मायके में सबसे छोटी व सबकी लाडली वह दुनियादारी ज्यादा कुछ वाकिफ न थी। किस्सों, कहानियों या चलचित्र की रंगीन सपनीली दुनिया सा ख्याल था उसका विवाहित जीवन को लेकर । मध्यम कद की, मध्यम रंग की छरहरी काया,  लंबे घने काले केश, भोली- … Read more

बैरी पिया बड़ा रे बेदर्दी…  अनामिका मिश्रा 

रिया . ..रिया ..अजय ने आवाज लगाया। रिया मोबाइल में व्यस्त थी। पास आकर अजय ने कहा,”कब से आवाज लगा रहा हूं,..रिया बाबूजी को चाय बना कर दो,..हर समय मोबाइल में व्यस्त रहती हो…आखिर क्या ऐसा करती हो समझ में नहीं आ रहा! “ रिया ने भी कहा, “क्या करती हूं, अपने सारे काम निपटा … Read more

दोबारा गरम की हुई चाय – ज्योति व्यास

मेरा बेटा ,मेरी बहू ,मेरा पोता….. ओ माय गॉड !कितना बोलती है यह महिला। एक तो सुबह ऑफिस पहुँचने की जल्दी ,सारे काम निपटा के समय से निकलना और ऊपर से इतनी तेज आवाज़ में बातचीत !दोनों में तालमेल बैठाना मुझे थोड़ा जटिल ही लगता है। ये महिला और कोई नहीं मेरी गृह सहायिका है … Read more

खून – कंचन श्रीवास्तव 

साल पुजने को आया पर अपनो के बीच आई दूरियां सिमटने का नाम नहीं ले रही। सुन सुन के औरों से थक गई है अपनी गलतियां। जिसका असर किसी पर पड़े ना पड़े पर उसकी सेहत पर साफ नज़र आ रहा। जीना तो उसने नहीं छोड़ा वो भला कोई छोड़ सकता है जब तक सांसें … Read more

अकेला – डॉ .अनुपमा श्रीवास्तवा

आज रिया बहुत खुश थी,कल से बच्चों का स्कूल बंद हो रहा था। गर्मी की छुट्टियां लगभग एक महीने के लिए होने वाली थी। वह मन ही मन सोच रही थी कि इस बार वह पक्का जाएगी घूमने। एक नहीं सुनने वाली है पति के सुझाव को। जो भी हो, उसका सहेली के साथ बनाया … Read more

असली सुख –  तृप्ति उप्रेती

नमित ने आज फिर गुस्से में खाना नहीं खाया। यह लगभग रोज की बात हो गई थी। किशोर बेटे के ऐसे व्यवहार से मोहिता आहत हो जाती। वह और रमन उसे कई बार समझा चुके थे पर नमित का स्वभाव दिनों दिन बदलता जा रहा था। नमित मोहिता और रमन का इकलौता बेटा था। रमन … Read more

कैक्टस – सुनिता मिश्रा

दिदिया का फोन आया। दिदिया मेरी बड़ी बहिन।माँ तो मुझे दो वर्ष का दिदिया की गोद में छोड़ अनंत यात्रा पर चली गई।मेरे लिये तो माँ,बहिन जो भी मान लें, दिदिया ही थी। दिदिया उस समय पहिली कक्षा में पढ़ती होंगी।वो मुझे गोदी में लेकर अपने साथ स्कूल ले जाती। मुझे पास में बिठा लेती।कागज़ … Read more

डायरी – बिभा गुप्ता

रामदास बाबू को हमेशा अपनी डायरी में कुछ न कुछ लिखते देख मानसी कुछ समझ नहीं पाती थी कि उसके ससुर दिनभर आखिर उस डायरी में क्या लिखते रहते हैं।बहू को आते देख जब वे डायरी को अपने तकिये के नीचे छुपा लेते तो मानसी की जिज्ञासा और बढ़ जाती।उसे यकीन हो जाता कि उसके … Read more

सतरंगी सपने –  वीणा

 जिज्जी…ई कऊन नौकरी है जे मे सफेद साड़ी पहन के जाते हैं , एकदम्मे न अच्छा लगता है ई रंग..रंग होना चाहिए.. लाल , पीला , हरा , सतरंगी जे पहनो तो मन खिल जाय । ई का कि सुबह सुबह ही सफेद कपड़ा पहन के मन उदास कर लिए । सच कहती हूँ जिज्जी..हम … Read more

घुटन – नीलिमा सिंघल

निलांशा अनमने मन से काम किए जा रही थी जितनी तेजी से हाथ चल रहे थे उससे चौगुनी तेजी से दिमाग 5 साल हो गये विहान की पत्नि बने पर कुछ ऐसा हुआ ही नहीं कभी जब लगा हो विहान और उसका घर निलांशा का भी हो, माँ पापा की सहमति से निलांशा विहान की … Read more

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