सिर्फ़ विरोध के लिए विरोध मत करो…! – विनोद सिन्हा “सुदामा”

आ गए तुम…. मैने अभी घर में कदम रखा ही था कि पत्नी सुधा ने मुझपर चिल्लाते हुए कहा… हाँ ….क्या हुआ… मैने जानना चाहा… सुनो अब मैं यहाँ नहीं रह सकती… बहुत हुआ..मैं ये रोज़ की झिकझिक और टोका टाकी से तंग आ गई हूँ… अब मुझसे जरा भी बर्दास्त नहीं होता … कुछ … Read more

“प्रतिरोध” – डॉ .अनुपमा श्रीवास्तवा : Moral stories in hindi

मानसी बुआ आज बहुत खुश थीं। चंदेरी साड़ी और बालों में गजरा लगाए वह पूरे हवेली में चक्कर लगा रही थीं। खुश होने का कारण भी था उनके बेटे की शादी जो तय हो गई थी। सगुन का दिन आज के लिए ही निकल आया था। लड़की वाले पंहुचने वाले थे।  इतने सालों के बाद … Read more

अभिशाप – गणेश पुरोहित 

उसके छ: भाई-बहन थे- पांच बहने और एक भाई। पिता प्राइमरी स्कूल टीचर थे। किराये के एक छोटे से मकान में रहते थे। एक सीमित आमदनी में उनके परिवार का मुश्किल से गुजर बसर होता था। उसकी दो बड़ी बहने थी। पुत्र की आस में माता-पिता ने उसे पैदा किया था। यदि पुत्र पहले आ … Read more

 ‘ काश! ‘ना’ कह दिया होता ‘ – विभा गुप्ता 

     ” ग्रेजुएशन के बाद क्या करना चाहते हो?” पिता ने पूछा तो नमन ने जवाब दिया कि एम बीए करके आपको ज्वाइन करना चाहता हूँ।बेटे का जवाब सुनकर पिता को बड़ी तसल्ली हुई, आखिर नमन उनका इकलौता बेटा है, उनके बाद उसे ही तो पूरा कारोबार संभालना है।                 शहर में उनकी एक छोटी-सी कंपनी थी … Read more

पुत्री भवः – डॉ. पारुल अग्रवाल

सुगंधा की शादी बड़ी धूमधाम से अनिकेत के साथ हुई। सब कुछ उसको बहुत खूबसूरत और आने वाले कल का प्यारा सा आगाज़ लग रहा था। वो शादी से पहले से ही नौकरी करती थी, अब शादी के बाद वो अपने पति अनिकेत के साथ  बंगलौर आ गई थी। यहां आकर उसको भी दोबारा नौकरी … Read more

इस में क्या हर्ज है,? – सुधा जैन

बहुत खुशहाल जिंदगी थी ,सुधीर जी की प्यारी सी पत्नी अंजू ,दो प्यारे बेटे, खुशहाल सा संसार, अच्छा बिजनेस, एक सुखद गृहस्थी में जो होना चाहिए वह सब कुछ था ।बच्चे बड़े हो रहे थे। बड़े बच्चे ने एमबीए करके पापा के बिजनेस को ही संभालने का मन बनाया, वही छोटा बेटा अपनी पढ़ाई करने … Read more

समझौता मेरी मजबूरी थी – पल्लवी विनोद

  “शिवानी अब मैं तुम्हें और समय नहीं दे सकता ! अपने कपड़े समेटो और वापस चले आओ !” “लेकिन पापा मैंने बहुत मेहनत की है यहाँ तक पहुँचने के लिए !” “कहाँ तक शिवानी ! इन एक दो लाइन के रोल के लिए।इससे अच्छा तो तुम लखनऊ वापस आ कर थियेटर में नाटक करो … Read more

माँ के हिस्से का वो कोना… – रश्मि प्रकाश

“ माँ माँ कहाँ हो ?” ये सवाल हम अकसर बचपन में करते जब उठने के बाद माँ को पास नहीं पाते तो माँ को खोजते हुए पूरे घर में घूम जाते और वो हमेशा अपनी एक ही जगह पर हमें मिलती थी.. साल दर साल हम बड़े होते गए पर नहीं बदला था तो … Read more

लिफाफे में पड़ी जिंदगी – संगीता त्रिपाठी

विदेश में बसे पुत्र को फ़ोन कर -कर रमेश जी परेशान हो गये.। पंद्रह दिन पहले बेटे ने फ़ोन उठाया था। तब उसे बताया कि “तेरी माँ की हालत ठीक नहीं हैं.। तुझे देखने के लिये तरस रही हैं।”   ”पिता जी तीन महीने पहले भी आपने यहीं कह कर मुझे बुलाया था.। मेरे आते … Read more

ताली हमेशा दोनों हाथों से बजती है । – सविता गोयल  

“दीदी,आपने मोनू को बहुत सिर चढ़ा रखा है आजकाल। बड़ा बदतमीज हो गया है। मेरा इतना मंहगा कप सेट जमीन पर पटक दिया। ” रूपाली ने तैश में आकर अपनी जेठानी सरिता से कहा। ” अरे, छोटी, अब बच्चा है गलती हो गई होगी, फिर इसने कौन सा जान बूझकर गिराया होगा.. गलती से गिर … Read more

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