‘ काश! ‘ना’ कह दिया होता ‘ – विभा गुप्ता 

     ” ग्रेजुएशन के बाद क्या करना चाहते हो?” पिता ने पूछा तो नमन ने जवाब दिया कि एम बीए करके आपको ज्वाइन करना चाहता हूँ।बेटे का जवाब सुनकर पिता को बड़ी तसल्ली हुई, आखिर नमन उनका इकलौता बेटा है, उनके बाद उसे ही तो पूरा कारोबार संभालना है।

                शहर में उनकी एक छोटी-सी कंपनी थी जिसकी अच्छी-खासी साख बनी हुई थी।उनकी पत्नी  मानसी ग्रेजुएट थी।उसे पति के काम में रुचि भी थी।इसलिए समय मिलने पर वह कभी-कभी पति के ऑफ़िस चली जाती और उनके काम में हाथ बँटाने लगती।

        एम बीए की डिग्री हाथ में आते ही नमन पिता के ऑफिस जाने लगा और महीने भर के अंदर ही उसने वहाँ के काम करने के तरीकों को भी सीख लिया।एक दिन नमन के पिता की मुलाकात अपने एक पुराने मित्र से हो गई।बातचीत में बच्चों की बात निकली तो मित्र ने बताया कि नम्रता नाम की एक बेटी है जिसने बायोलोजी विषय लेकर बीएससी की पढ़ाई की है और अब वे विवाह के लिए उचित वर तलाश कर रहें हैं।फिर क्या था,नमन के पिता ने झट से अपने बेटे के लिए नम्रता का हाथ माँग लिया।नमन और नम्रता ने भी एक-दूसरे को पसंद कर लिया और दोनों का चट मंगनी पट ब्याह हो गया।

           सब कुछ अच्छा चल रहा था पर कहते हैं ना, खुशियों के पीछे गम के बादल भी आते हैं।एक पार्टी में नमन की मुलाकात काॅलेज के मित्र रंजन से हो गई।रंजन ने उसे बताया कि शाम में पब में हम सभी पुराने दोस्त मिल रहें हैं, तुम भी आ जाओ, धमाल करते हैं।नमन ने हाँ कर दी और शाम में पब पहुँच गया।वहाँ सभी के हाथों में शराब की गिलास थी,दोस्तों ने उसे भी पिला दी।थोड़ा नशा था लेकिन उसे अच्छा लग रहा था।एक लड़की ने उसके साथ डांस करना चाहा, उसने मना नहीं किया।डांस करते-करते उस लड़की का हाथ नमन की गरदन और कमर पर फिसलने लगे।उसे थोड़ा अटपटा लगा, उसने रंजन की तरफ़ देखा,रंजन ने इशारे से कहा ‘ एंजॉय कर।’ उस लड़की के इरादों को समझते हुए भी वह उसका विरोध न कर सका। दोनों एक कमरे में चले गये और साथ में रात बिताई।




          सुबह होने पर रात की घटना याद आने पर नमन को बहुत पछतावा हुआ, फिर सोचा, एक दिन में क्या होता है।किन्तु यह फिर बार-बार होने लगा।उसकी शनिवार-रविवार की शाम दोस्तों के साथ पार्टी करने में बीतने लगी।ऑफिस जाना भी उसका अनियमित होने लगा।पिता ने समझाना चाहा कि अब वह शादीशुदा है।रोज-रोज शराब पीना और देर रात घर लौटना ठीक नहीं है।पिता का टोकना उसे अच्छा नहीं लगा।माँ ने भी जब उसके इस रवैये पर आपत्ति जताई तो उसने पलटकर कहा कि अब वह बच्चा नहीं है।भले-बुरे की समझ है उसे।बेटे की बात सुनकर माँ निरुत्तर हो गई।स्कूल टाइम पर जब नमन ने सिगरेट पीनी शुरु की थी,उस समय भी मानसी ने उसे समझाया था लेकिन तब उसने माँ की बात का विरोध नहीं किया था।अब तो वह बड़ा हो गया है। माँ की सलाह को न मानने का अधिकार है उसे।घर में कलह न हो,इसलिए पत्नी नम्रता ने भी चुप्पी साध ली।

              एक दिन नमन ऑफ़िस जाने के लिए तैयार हो रहा था कि अचानक उसे चक्कर आ गया।थोड़ी देर आराम करने के बाद ऑफिस गया तो वहाँ भी फिर से उसका सिर घूमने लगा।पिता ने उसे डाॅक्टर से चेकअप कराने को कहा।डाॅक्टर ने उसका ब्लड सैंपल लेकर कुछ दवाईयाँ दी और आराम करने को कहा।घर आया तो नम्रता ने बताया कि वह माँ बनने वाली है।सुनकर नमन खुशी से उछल पड़ा।उसने नम्रता से अपने पिछले दिनों के व्यवहार के लिए माफ़ी माँगी और वादा किया कि अब कभी शराब को हाथ नहीं लगाया।

           दो दिन बाद डाॅक्टर ने उसे अपने क्लिनिक में बुलाया और पूछा कि क्या तुमने अपनी पत्नी के अलावा किसी दूसरी महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाए थें।डाॅक्टर के प्रश्न पूछने पर वह अचकचा गया।हकलाते हुये पूछा, ” क्.. यों…।”   ” क्योंकि तुम एच आइ वी पॉजिटिव हो।तुम्हें एड्स है।अब मुझे बताओ कि ये सब कैसे हुआ?”  एड्स है,यह सुनकर नमन की आँखों के सामने अंधेरा छाने लगा।किसी तरह उसने खुद को संभाला और डाॅक्टर को पिछले दिनों की पूरी बातें विस्तार से बताई। साथ ही,नम्रता की प्रेग्नेंसी की गुड न्यूज़ भी दिया।




          डाॅक्टर ने उसे बताया कि जिस लड़की के साथ उसने संबंध बनाये थें,वो पहले से ही एच आइ वी पॉजिटिव थी, उसी से वह भी संक्रमित हो गया है।अगर उसी वक्त तुम अपने को संभाल लेते और ‘ना’ कह देते तो….। इंसान अक्सर अपनी कमज़ोरियों के कारण ही मात खा जाता है।कल नम्रता का भी ब्लड टेस्ट करवा लेना,तभी पता चलेगा कि उसकी प्रेग्नेंसी गुड है या बैड न्यूज़।

      घर आकर उसने पत्नी को इतना ही कहा कि कल तुम्हें ब्लड टेस्ट कराना है लेकिन माँ के पास जाकर वह फूट-फूटकर रोने लगा।पूछने पर उसने पब से लेकर डाॅक्टर तक की सारी बात बताई और अपने व्यवहार के लिये दोनों से माफ़ी माँगते हुए बोला, ” माँ, काश.. मैं आपकी बात मान लेता।रंजन के इशारे को नकार जाता।उस लड़की के उकसाने का विरोध कर पाता तो आज आप दोनों को इतना दुख नहीं होता।पापा, मुझे माफ़ कर दीजिये, आपका सहारा बनने की बजाय मैं आप पर बोझ….।”  ” नहीं बेटा, औलाद कभी माँ-बाप पर बोझ नहीं होते।” बेटे के मुख पर हाथ रखते हुए पिता बोले।उन्होंने नमन से कहा कि अब हम सभी को धैर्य के साथ इस परिस्थिति का सामना करना है।नम्रता को तुम्हारी माँ संभाल लेगी।

           अगले दिन जब नम्रता मानसी के साथ डाॅक्टर के पास जा रही थी, तब मानसी ने उसे सारी बात बताकर धीरज रखने को कहा।

             डाॅक्टर ने नम्रता का ब्लड रिपोर्ट मानसी को देते हुए कहा कि आपकी बहू भी एच आइ वी पॉजिटिव है, अनफार्चूनेटिली उसके गर्भ का बच्चा भी।हमें अभी इस बच्चे को गिराना होगा।

             नम्रता के लिए ये सब असहनीय था, उस कठिन घड़ी में मानसी उसकी संबल बनी और उसे संभाला।बच्चे को गिरा दिया गया।डाॅक्टर ने नम्रता को कुछ दवाइयाँ देकर पूरा आराम करने की सलाह दी।




            अब नमन और उसकी पत्नी इलाज के लिये डाॅक्टर के पास चक्कर लगा रहें हैं, मानसी ने ऑफिस जाना छोड़ दिया,वह घर पर रहकर अपने बेटे- बहू की देखभाल कर रही है।नमन के पिता अब अकेले ही ऑफिस कामकाज देख रहें हैं।नमन भी कभी-कभी जाता है परन्तु कमज़ोरी के कारण वह घर पर ही आराम करता है।उसने  ‘ना कहना सीखें ‘ नाम की अपनी एक वेबसाइट बनाई जिसपर वह लोगों को बताता है कि यदि कोई आपको गलत व्यवहार करने के लिये उकसाये तो आपको उसका विरोध करना चाहिए।साथ ही,पर-स्त्री के साथ संबंध न बनाने की अपील करते हुए उन्हें जागरुक करने का प्रयास भी कर रहा है।

       उसका दिल आज भी रह-रहकर कचोटता है कि काश! वह माँ की बात मान लेता, काश! वह रंजन के बहकावे में न आता और उस लड़की के उकसाने का विरोध कर दिया होता, उसके साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाता तो उसे और उसकी पत्नी को एड्स जैसी खतरनाक बीमारी नहीं होती और ना ही उसके परिवार को ये दिन न देखने पड़ते।

             बड़ों की सलाह को इग्नोर न करें क्योंकि वे हमेशा हमारा भला चाहते हैं।बच्चा हो या बड़ा,अपने साथ हो रहे गलत व्यवहार का विरोध सभी को करना चाहिए।नमन की तरह कमज़ोर पड़कर अपने पैर पर कुल्हाड़ी नहीं मारना चाहिए।

                        —- विभा गुप्ता 

 #विरोध 

            

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