समझौता मेरी मजबूरी थी – पल्लवी विनोद

 

“शिवानी अब मैं तुम्हें और समय नहीं दे सकता ! अपने कपड़े समेटो और वापस चले आओ !”

“लेकिन पापा मैंने बहुत मेहनत की है यहाँ तक पहुँचने के लिए !”

“कहाँ तक शिवानी ! इन एक दो लाइन के रोल के लिए।इससे अच्छा तो तुम लखनऊ वापस आ कर थियेटर में नाटक करो !” शिवानी ने अटैची निकाली और कपड़े भरना शुरू किया। लेकिन उसके मन में चल रहे विचारों की तरह सबकुछ बिखर रहा था।

शिवानी को अपना पहला ऑडिशन याद आ रहा था । सबने उसकी अदाकारी की कितनी तारीफ की थी। वो “एन एस डी” की बेस्ट एक्ट्रेस थी ! उसे वहाँ की स्मिता पाटिल कहा जाता था ! पूरे आत्मविश्वास के साथ ऑडिशन दिया था उसने ! ऑडिशन के बाद एक कॉल आयी थी जिसमे उसे मिलने को बोला गया था । उस दिन तय समय पर मिलने गयी थी ! अपनी आँखों के सामने जाने-माने प्रोड्यूसर और एक्टर को देखकर खुद की खुशनसीबी पर विश्वास नहीं हो रहा था! “तो शिवानी आप क्या कर सकती हैं हमारे लिए!” “सर् मैं अपनी पूरी मेहनत करूँगी।” “वो तो सब करते हैं आप क्या करेंगी?” “जी ! क्या करना होगा मुझे !”

“ऊपर से नीचे तक स्कैनिंग करते हुए , बस हमें खुश कर दीजिए !” रोते हुए भाग आयी थी वो उस दिन ! अपने सबसे करीबी दोस्त को सब बता दिया ! उसने कहा,”अरे यार यहाँ तो ये सब बहुत नार्मल है ! हम किसी स्टार के बेटा – बेटी तो हैं नहीं ! कुछ समझौते तो करने ही पड़ेंगे।” पर शिवानी ने अपने आत्मसम्मान के साथ समझौता नहीं किया। तीन साल से खुद को साबित करने की , अपने बचपन के सपने को पूरा करने की कोशिश कर रही है।पर आज पापा के फोन ने उसके हौसले को तोड़ दिया।




 

पचासों ऑडिशन दे चुकी है लेकिन कहीं सोर्स चाहिए कहीं गॉड फादर तो कहीं उसकी देह ! आज लास्ट ऑडिशन देने गयी थी! उन्होंने मिलने के लिए बुलाया है।मन के अंदर सपनों के टूटने की चुभन बहुत तकलीफ दे रही थी।तब भी खुद को संयत करके उनके सामने बैठी हुई थी। “तो मिस शिवानी आप लीड एक्ट्रेस के रोल के लिए तैयार हैं !” “जी!!”

“हमारी टीम को आपकी एक्टिंग बहुत पसंद आई।”

“ओह्ह ! थैंक यू सर् !”

अगले कुछ दिनों में ही काम शुरू हो जाएगा!

“दैट्स ग्रेट सर् !”

“कुछ आउटडोर शूटिंग हैं,कुछ इंटिमेट सीन हैं।”




“पर सर् मुझे तो बताया गया था ये एक फैमिली मूवी है!”

” देखिये थोड़ा बहुत तो आजकल हर मूवी में होता है।”

“वो तो है!” “आप अगर तैयार हैं तो ये बांड साइन कर दीजिए!”  सपनों के पूरे होने की खुशी को खुद में जब्त करते हुए बोली, “जी सर् ! बिल्कुल !” “तो क्या लेंगी आप ! वाइन ऑर समथिंग एल्स!” “जी!” देखिये कुछ तो आपको भी करना पड़ेगा हमारे लिए ! कहते हुए उसका हाथ शिवानी के कंधे तक आ चुका था।  “कुछ तो समझौते करने ही पड़ते हैं !” “लखनऊ वापस आ जाओ!” “उसके सपने” “बेस्ट एक्ट्रेस की ट्रॉफी” सब कुछ उसके दिमाग में अटैची के कपड़ों की तरह गड्डमगड्ड हो रहे थे और सोफे पर उसके कपड़े…….. कहीं दूर से “मी टू” आंदोलन के शोर में उसकी सिसकियों की आवाज दब गई थी।

दोस्तों ऐसी जाने कितनी कहानियाँ रोज लिखी जाती हैं,कभी खेल के प्रशिक्षण शिविरों में,कभी सरकारी ऑफिस में,कभी कॉरपोरेट जगत में यहाँ तक कि शिक्षा जगत में भी ऐसी घटनाएँ देखने सुनने को मिल जाती हैं। प्रतिभावान होने के बावजूद एक लड़की को उसकी देह से इतर नहीं देखते लोग ! मेरी कहानी की नायिका प्रतिभावान थी,महत्वाकांक्षी थी इसलिए उसने अपने आत्मसम्मान के साथ समझौता कर लिया और यहाँ समझौता नहीं करती तो अपने जुनून अपने सपनो के साथ समझौता करती।आखिर क्यों बीसवीं शताब्दी में भी लड़कियों को इस कदर  मजबूर किया जाता है।

 

माना कि गेंहू के साथ कुछ घुन भी पिसेंगे लेकिन अगर हम औरतों ने ही “मी टू” का सपोर्ट नहीं किया तो समाज की गंदगी को साफ करने का एक बहुत बड़ा मौका हम खो देंगे। काजल की कोठरी में सफाई अभियान छिड़ा है गंदगी तो सड़क पर आएगी ही हो सकता है कुछ छींटे सफेद पोशाकों पर भी पड़ें लेकिन समय के साथ और न्याय विभाग उन्हें धो देगा।

“मी टू” से सम्बंधित अपने विचार मुझे जरूर बताइयेगा! अगर मेरे विचार पसन्द आएं तो आप इसे शेयर और मुझे फॉलो करें।

कॉपीराइट   @पल्लवी विनोद……धन्यवाद

 

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