नन्हा फूल – डॉ नीतू भूषण तातेड

सड़क पार करते हुए  7 वर्षीय केतू विचलित हो रहा था,” कहीं कोई गाड़ी टक्कर न मार न दे। माँ क्यों नहीं मुझे भी रिक्शा में भेजती?” हमेशा कहती है,”इतनी पास तो है तुम्हारी स्कूल,क्या जरूरत है ऑटो में जाने की?” तभी किसी ने प्यार से उसका हाथ थामा और सड़क पार करने में मदद की।  सड़क पार करवाने वाले ने उसे चॉकलेट भी दी। उसने उन्हें धन्यवाद कहा और घर आकर माँ को बताया , “मां आज मुझे सड़क पार करने में बड़ा डर लग रहा था लेकिन एक अंकल थे जिन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे सड़क पार करवाई।”

माँ ने मुस्कुराकर उसकी तरफ देखा और कहा,”ध्यान रखो! अकेले जब हो तो तब सड़क पार करते समय दोनों तरफ देखकर सड़क पार किया करो।”

कई दिनों तक उसी अंकल ने उसे सड़क पर करवाई और चॉकलेट भी दी। एक दिन वही अंकल आए उसका हाथ थामा। इस बार वे उसे अपने घर ले गए।  चॉकलेट के लालच में वह खुशी-खुशी तैयार हो गया यह भी नहीं सोचा कि माँ उसका घर पर इंतजार कर रही होगी।बहुत देर तक वह वहीं खेलता रहा और खेलते-खेलते उसकी आँखें बंद हुई।नींद आने के पहले तक उसने देखा अंकल उसे उठा कर कहीं ले जा रहे हैं । जब उठा तो उसके पेट में जोरों से दर्द हो रहा था ।घर में कोई नहीं था ।वह भागा-भागा बाहर गया और गिरते पड़ते अपने घर पहुँचा।माँ ने उसे गले लगाते और रोते हुए पूछा,”तू कहाँ चला गया था ?मैं तुझे कब से ढूंढ रही थी।”

डरा -सहमा केतू कुछ भी बता न पाया।माँ ने बहुत पूछा,”बता बेटा! कौन तुझे ले गया ?क्या खाया?”

पर वह कुछ न बोल पाया। 2,3 दिनों तक वह स्कूल भी नहीं गया और एकदम खामोश हो गया । अब माँ समझ गयी कि कुछ गड़बड़ जरूर है।वह उसे डॉ के पास ले गयी तो डॉ ने बताया ,” आप जरा इधर आइए।”एक तरफ ले जाकर वह केतू की माँ से कहता है,” उसका शारीरिक शोषण हुआ है जिससे इसे शॉक लगा है। आप पुलिस को तुरन्त इत्तला कर दीजिए।”



केतू की माँ को तो मानो काटो तो खून नहीं। जैसे-तैसे खुद को संभाला और केतू के साथ घर पहुँची।

बड़े प्यार से उसने ,”पूछा बताओ बेटा कौन था?किसने तुम्हारे साथ ऐसा किया? केतू माँ के सवालों से और घबरा गया और पिता से जा लिपटा पर जैसे ही पिताजी ने उसे कस कर पकड़ा वह उन्हें ज़ोर -ज़ोर से मारने लगा। अब दोनों ही बहुत डर गए और पुलिस के पास जाकर सारी बात बताई।

पुलिस ने  शिकायत दर्ज करने के बाद बड़ी सूझ-बूझ से काम लिया।उन्होंने चाइल्ड काउन्सलर को बुलवाया और केतू से  उसके घर पर ही उसे बात करने को कहा।

वह 20,21 साल की लड़की थी जिसका नाम निहारिका था।

उसने केतू से पहले दोस्ती की,खूब सारी बातें की और दूसरे दिन फिर मिलने का वादा करके चली गयी। केतू आज थोड़ा अच्छा महसूस कर रहा था। उसने माँ से पूछा,  माँ! हम कल निहारिका दीदी से मिलेंगे न?”

माँ बहुत खुश थी कि इतने दिनों बाद वह सामने से बात कर रहा है। उसने कहा,हाँ बेटा! जरूर मिलेंगे।”

इस तरह कुछ रोज़ तो निहारिका ने केतू से मित्रता की। फिर धीरे-धीरे उसे गुड़ टच और बेड टच के बारे में बताया कि वह क्या होता है? यदि कोई यहाँ-वहाँ छूता है और जबरदस्ती तुम्हें प्यार करता है और वह तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा तो वह बेड टच कहलाएगा।इसी बीच वह ज़ोर से चिल्लाया,”दीदी,दीदी! वह अंकल गन्दे हैं।उनका टच बेड टच है।वही मुझे चॉकलेट देते थे,उन्होंने ही मुझे मारा।” यह कहते हुए वह रोने लगा।



निहारिका ने उसे प्यार से शान्त किया और कुछ नहीं पूछा।

अगले दिन उसने आकर पहले उसके साथ खूब मस्ती की और बातों ही बातों में पूछा, केतू!  तुम्हें बेड टच वाले अंकल को पनिशमेंट देना हो तो क्या दोगे?

केतू ने कहा, गन्दे अंकल को पुलिस अंकल के पास भेज दूँगा।”

हाँ!हम अभी भी भेज सकते हैं। तुम मुझे बताओ कि वे कौन है?

हम दोनों मिलकर उन्हें पुलिस अंकल को दे देंगे।”

केतू ने डरते हुए कहा,”वो मुझे फिर पकड़ लेंगे।”

“नहीं बच्चे ! तुम मुझे दूर से उनका घर बताना। ठीक है?” निहारिका उसे समझाते हुए कहती है।



केतू हाँ में धीरे से गर्दन हिलाता है।

शाम को केतू ,निहारिका और केतू की माँ साथ मे जाते हैं।उनकी गली से दो गली छोड़कर केतू के दादाजी के दोस्त का घर था। केतू उनके घर की तरफ़ इशारा करता है।

माँ को विश्वास ही नहीं होता।वह बार-बार केतू से पूछती है,” सच बता बेटा?  दीनदयाल चाचा जी ही थे?”

मासूम केतू हाँ में सिर हिलाता है।

केतू की माँ अविश्वास से भरी यही सोच रही थी कि इतने धर्म-कर्म,पूजा-पाठ करने वाले चाचाजी के ऐसे काले कृत्य?

उससे अब रहा नहीं गया।निहारिका से बोली,”चलो अभी पुलिस को खबर करते हैं। ऐसे पापी आज़ाद नहीं घूमने चाहिए वरना नन्हें फूल यूँ ही मसल दिए जाएँगे।”

उस शाम सबने देखा पूजा-पाठ में मग्न रहने का ढोंग करने वाला  दीनदयाल सच मे कितना धूर्त आदमी है जिसने केतू की तरह कई बच्चों को सताया होगा। अब इसका फैसला ईश्वर और अदालत दोनों ही करेंगे।

अगले दिन से केतू भी रिक्शा में खुशी-खुशी स्कूल जाने लगा और अपने प्यारे दोस्तों को गुड़ टच और बेड टच भी समझाने लगा।

डॉ नीतू भूषण तातेड

स्वरचित व मौलिक

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