निर्णय (भाग 31) – रश्मि सक्सैना : Moral Stories in Hindi

नींद तो नहीं आ रही थी, नेहा को ,वह भी जाग रही थी, और किसी अजीब थी आशंका के मारे परेशान थी ,उसे समझ में नहीं आ रहा था रात के 3:00 बज गए हैं और अभी तक अंजली और रोजी नहीं आए इतने में उसे रोहित की गाड़ी की आवाज सुनाई देती है, तो खिड़की से देखती है ,अंजलि और रोहित अकेले आ रहे हैं, उनके साथ रोजी नहीं है वह घबरा जाती है, और दौड़ कर नीचे जाकर रोहित को  पूछती है ,रोजी कहां है, अंजलि उसे अंदर लेकर जाती है शांति से बिठाकर बोलती है , कुछ नहीं हुआ वह बिल्कुल ठीक है, लेकिन  नेहा पूछती है ,आप के साथ क्यों नहीं है ,अंजलि उसको रोहित के पास छोड़कर ऊपर बच्चों को देखने चली जाती है ,अंजली खुद नहीं समझ पा रही थी ,वह नेहा को कैसे समझाएं और उसे उन बच्चों की भी चिंता हो रही थी ,अंजली के जाने के बाद रोहित को देखकर पूछती है ,मेरी बेटी कहां है उसे क्या हुआ आप लोग गोलमोल बातें क्यों कर रहे हैं ,रोहित अंजलि के पास उठ कर बैठ जाता ,और कहता है,रोज़ी बिल्कुल ठीक है उसे कुछ नहीं हुआ है और तुम घबराओ मत ,डायरी की उस पेज का फोटो वह नेहा को बोलता है कि पढ़ो यह देख कर हैरान हो जाती है और रोहित से पूछती है यह आपके पास ,नेहा तुमने कभी हम लोगों को क्यों नहीं बताया इतनी परेशानियों में थी और रोजी को तो हम हमारी बेटी की तरह ही रखते हैं ,फिर दुबारा पूछती है घबराकर अब मुझे यह बताइए रोज़ी कहां है मुझे सब से कुछ मतलब नहीं है, रोहित को अपने सीने से लगाते हुए प्यार से कहता है उसका ऑपरेशन हो गया और ऑपरेशन सफल रहा , सुबह 6:00 बजे चलेंगे अभी वह डॉक्टरों की कस्टडी में है । नेहा दौड़ कर ऊपर जाकर अंजलि के गले लग कर बहुत रोती है , अंजली प्यार से कहती है , नेहा अगर तुमने हमें यह बात बहुत पहले बता दी होती तो हम सबसे पहले रोजी का ऑपरेशन  कराते, तुमने कभी हमें अपना नहीं समझा ,तुम हमेशा अकेले ही इन सभी परिस्थितियों से लड़ती रही ,और हंसते हुए पूछती है मेरे बच्चों ने  परेशान तो नहीं किया ,थोड़ा सा माहौल हल्का होने लगता है अंजलि नेहा से कहती है , मुझे और रोहित को माफ कर देना तुम से बिना पूछे तुम्हारी बच्ची का ऑपरेशन करा दिया नेहा अंजलि के मुंह पर हाथ रखकर कहती है मतलब रोधी को आपने मन से कभी अपना नहीं माना इसीलिए तेरा और मेरा हो गया, अंजलि नेहा को सुनकर हैरान हो जाती है और अंजलि किचन में जाकर चाय बनाती है ,और थोड़ा सा नाश्ता भी तैयार करती है , क्योंकि इन लोगों को सुबह जाना है , चाय पीते हैं नेहा को बहुत देर तक अंजली और रोहित समझाते हैं, और छह बजे  रोहित  नेहा को लेकर हॉस्पिटल की तरफ चला जाता है ।अंजलिने नेहा को बिल्कुल एहसास नहीं होने दिया था, कुछ भी जानती है ।

अंजलि आगे क्या होगा यह नहीं समझ पा रही थी लेकिन अब जो हो गया था, उसके लिए कहीं ना कहीं वह खुद को भी जिम्मेदार मानतीे ही थी ,उसे लग रहा था कि अगर वह बच्ची को गोद लेती  तो इतना कुछ होता ही नहीं , लेकिन लोगों के डर से कहीं उसने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी तो नहीं मानी लेकिन कहीं ना कहीं वह यह सोच कर भी खुद को तसल्ली दे रही थी नेहा दौलत के पीछे मर्दों को फसाने वाली लड़की नहीं है , और वह नेहा को काफी समय से जानती है और अब वह प्रण कर लेती है कि जहां भी कहीं जाएगी नेहा और रोजी को साथ लेकर जाएगी ,आखिर वह जिम्मेदारी भी तो रोहित की है , अपना काम निकल जाने के बाद उसको दर-दर की ठोकरें खाने के लिए तो नहीं छोड़ सकते ,और कहीं ना कहीं उसे रोहित का झुकाव नेहा की तरफ भी नजर आ रहा है । और वह इसमें ईश्वर की भी कुछ मर्जी समझकर सब कुछ स्वीकार मन ही मन कर लेती है ।

नेहा हॉस्पिटल जाकर जब तक रोजी को देख नहीं लेती , वह बिल्कुल बात नहीं करती रोहित उसे पूरे रास्ते समझाते हुए ले जाता है ,लेकिन नेहा का दिल रोजी को देखने के लिए बेताब है ,जैसे ही वह हॉस्पिटल पहुंचती है और रोहित के साथ जब नेहा को दूर  से ही रोजी को दिखाया जाता है , तो वह थोड़ी शांत होती है और उसके बाद रोहित के गले लग कर रोने लगती है , रोहित उसको चुप कराता हैं , कहता है पागल अगर इतने दिन पहले बता दिया होता तो सबसे पहले रोजी का ऑपरेशन कराते ,और तुम सिर्फ इसलिए सरोगेट मदर बनने को तैयार हुई थी ,कि उसका ऑपरेशन कराना है लगातार प्रयास कर रही थी इस मकान को बेचकर रोजी के ऑपरेशन के लिए पैसे का इंतजाम हो जाए, एक बार कह कर तो देखती मुझसे , नेहा चुपचाप रोहित की बातें सुनती रही और रोती रही , ऑपरेशन के लिए रोहित को थैंक्स बोलती है ,रोहित हंस कर कर उसके गाल पर किस करते हुए कहता है पापा को अपने बच्चों के रिस्पांसिबिलिटी के लिए कब से थैक्स बोला जाने लगा ,और धीरे से नेहा मुस्कुरा देती हैं । लगभग एक महीना रोजी को हॉस्पिटल में रखा जाता है । कभी अंजलि अभी नेहा और कभी रोहित हॉस्पिटल में रुक कर रोजी की केयर करते हैं । छुट्टी होने लगती है अंजलि उसे अपने साथ घर ले जाने लगती है , तो नेहा कहती है दीदी आप उन बच्चों की केयर  करिए ,मैं अभी इसे घर लेकर जाती हूं और कुछ समय बाद मैं वहां आ जाऊंगी ,या आप वहां जाइए , और नेहा की बात अंजलि को भी सही लगती है , और वह उसे घर जाने देती है ।

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