निर्णय (भाग 29) – रश्मि सक्सैना : Moral Stories in Hindi

गतांक से आगे

दूसरे दिन रोहित नेहा के घर जाता है , उसकी आवाज सुनने पर रोज़ीदौड़कर आ जाती है, रोहित उसको गोद में ले लेता है ,नेहा से कहता है चलो जल्दी से रेडी हो जाओ अंजलि ने तुम्हें घर बुलाया है।  नेहा कुछ नहीं कहती ,रोहित नेहा के पास जाकर उसको एक हाथ से अपने सीने से लगा कर कहता है , तेरी बेरुखी की वजह क्या नेहा , उसके सीने से लगकर बहुत रोने लगती है ,रोहित उसे चुप कराने का प्रयास नहींकरता ,जब वह खुद रो कर बिल्कुल चुप हो जाती है ,तो उसे सोफे कर बै ठाता है उसकी गोद में रोजी भी जोर जोर स रोनेे  लगती है ,फिर वह रोजी को चुप कराने बाहर लेकर आता है ,और बहुत मुश्किल से चुप करता है थोड़ी देर बाद अंदर आकर आता है नेहा दो कप चाय और एक गिलास दूध लेकर बैठी है ,रोज़ी को दूध पिलाकर नेहा से कहता है, अब हम घर चले नेहा मना करने लगती है। पर अब रोहित उसकी कुछ नहीं सुनता और कहता है कि तुमको नहीं चलना तो मत चलो, मैं रोजी को लेकर जा रहा हूं और लेने तुम्हें खुद आना पड़ेगा ,अंजलि रोहित रोजी के लिए कितना परेशान है ,कभी तुमने सोचा ,और जो हेल्पर  भेजी थी उन्हें तुमने क्यों हटा दिया, अंजलि तुमसे जब लगातार पूछ रही है, किसी चीज की जरूरत है ,उसे बताती क्यों नहीं हो नेहा बहुत देर से रोहित की बातें सुन रही थी ,तो अचानक रोने लगती  है ,रोहित नेहा का चेहरा देखने लगता है  ,नेहा का चेहरा अपने हाथ में लेकर बड़े प्यार से रोहित कहता है  सही समय आने पर मैं मेरे बारे में सच बता दूंगा ,नेहा की आंखों से लगातार आंसू बह रहे है ,वो कहती है ।

आप नहीं समझोगे ईश्वर मेरी कितनी परीक्षा ले रहा है ,और पता नहीं अभी कितनी परीक्षा देना बाकी है ,रोहित कुछ नहीं कहता बस इतना कहता है कभी ना कभी इन सब का अंत भी होगा तुम चिंता मत करो । अभी फिलहाल अंजलि तुम लोगों के लिए परेशान है, घर चलो , इतने में रोजी किचन में जाकर छुप जाती है, रोहित उसके पीछे-पीछे उसे लेने किचन में जाता है , तो उसकी नजर अचानक किचन में रखी डिब्बों पर पड़ती है तो देखता है, किचन के सारे डब्बे खाली पड़े हैं ,वहां कुछ भी सामान नहीं है देख कर हैरान हो जाता है नेहा को तो कोई मंथली अरनिग भी नहीं है , और वह उन लोगों के साथ फार्म हाउस पर थी, अंजलि का ध्यान सामान के ऊपर नहीं गया होगा , वह रोजीको  लेकर घर जाकर अंजलि को आवाज लगाकर कहता है अंजलि मैं तुम्हारी बड़ी बेटी को ले आया अंजलि दौड़ कर बाहर आती है रोजी को गोद में लेकर नेहा को गले लगा लेती है ,अब बस इतना बोल पाती है यह तुमने हमसे इतना मुंह मोड़ लिया ,इन बच्चों से  तुम  मां हो मां ,नेहा चुप रह कर कुछ नहीं कहती और दोनों की आंखों से बहते हुए आंसू उनके मन का मेल धो रहे थें । काफी समय तक नेहा और रोजी अंजलि के घर रही थी तो उनकी अपने कमरे में उन दोनों का काफी सामान था नेहा और रोजी उन बच्चों को खिलाने में मस्त हो जाती हैं और अचानक से उन्हें देखकर नेहा कह उठती है अरे ये बिल्कुल रोजी के फेस पर है तो अंजली हंसते हुए कहती है क्योंकि रोजी  का फेस नेहा से मिलता है ,तो बच्चे हमेशा अपनी मां पर जाते है इसलिए यह तीनों की एक जैसे है नेहा रोहित और अंजलि हंसने लगते हैं , सबको हंसता देखकर रोजी भी ताली बजाने लगती है ।

कुछ समय के बाद रोहित नेहा से कहता है, चाबी देना तुमने कहा था ना कि कार  बेचना है ,आज एक ग्राहक है ड्राइवर उसको दिखा देता और वहां पर ऐसा कुछ सामान तो नहीं है ,जो चोरी जाने का डर हो तो नेहा हंसने लगती है ,और चाबी दे देती है

अंजलि भी कहती है उसी देकर कोई लेटेस्ट मॉडल नेहा को दिला देना उस गाड़ी को निकालकर ,  नई गाड़ी ढंग की उठाना नेहा को चलाने में बिल्कुल परेशानी ना हो । रोहित गर्दन हिलाते हुए  चाबी लेकर बाहर आ जाता है और रामदीन काका को बुलाकर गाड़ी में बिठा कर चल देता है रास्ते में रामदीन काका से कहता है, काका दो-तीन महीने का राशन का सामान लेकर नेहा के घर भरना है तो आप अपने हिसाब से घर में क्या लगता है सारा सामान ले लेना  । शॉप पर पहुंचकर रोहित गाड़ी में बैठा रहता है ओ काका सारा सामान पैक करा कर ले आते हैं , नेहा के घर ले जाकर उसका सारा सामान  काका डिब्बों में जमा देते हैं , रामदीन काका की अनुभवी आंखें रोहित और नेहा के रिश्ते की गहराई को समझती थी , सारा सामान जमाने के बाद वह काका को एक लिस्ट बनाकर मार्केट भेजता है क्योंकि वह रोजी की चॉकलेट बिस्किट यह सब भूल जाता है काका चले जाते हैं ,और रोहित अकेला बैठा रहता है, अचानक उसकी नजर सामने टेबल पर रखी डायरी पर जाती है तो वह उत्सुकता वश उठा लेता है ,  राकेश और नेहा की पहली मुलाकात से लेकर उसके मरने तक सब कुछ पढ़ लेता है , उसी लगता है नेहा को शायद डायरी लिखने का शौक है ।  लगातार कुछ पन्नों पर एक? बना हुआ था वह समझ नहीं पाता ,और ऐसे ही वह पेज आगे करते जाता है , नेहा और अंजलि के रिश्ते के बारे में उसकी और अंजलि के बारे में लिखा होता है, लेकिन अचानक एक पेज को पढ़ते पढ़ते वह हैरान हो जाता है , वह उस पेज का फोटो ले लेता है । और काफी परेशान होने लगता है काका के आने पर सारा सामान व्यवस्थित रखवा कर वह ताला लगाकर घर आ जाता है । और बार-बार उस पेज पर लिखा हुआ एक एक शब्द  उसके दिमाग में घूम रहा है। और वह काफी व्यथित हो जाता है । और चुपचाप जाकर कमरे में लेट जाता है, अंजलि बार-बार उसे पूछती है क्या उसकी तबीयत खराब है वह मना कर देता है ,और कहता है कि उसे कुछ समय वह बिल्कुल डिस्टर्ब ना करें । और किसी को फोन लगा  बात करता है  । और अंजलि को बुलाकर कहता है उसे बहुत जरूरी काम से अभी कुछ देर में बाहर जाना है तुम कुछ दिन तक नेहा को यहीं रोक लो मैं कल या परसों वापस आ जाऊंगा

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