निर्णय (भाग 16) – रश्मि सक्सैना : Moral Stories in Hindi

निर्णय

अगले दिन दी नेहा रोजी को लेकर अपने घर वापस आ जाती है , और उसके दिमाग में बार-बार डॉक्टर की बात घूम रही थी , और उसके सामने बार-बार अंजलि का चेहरा घूम जाता है , जिसके मन में मां बनने की इतनी ज्यादा तड़प  देखी नहीं जा रही थी ।

    धीरे धीरे कोरोना ने अपने पांव पसारने शुरू कर दिए थे, इस कारण उसका आना-जाना धीरे-धीरे बंद हो गया था , अंजली उसको बराबर फोन लगाकर जरूरत के सामान के बारे में पूछती रहती थी, जिस चीज की नेहा को बहुत ज्यादा जरूरत होती थी ,वह अंजलि को बता भी देती थी , अंजलि ड्राइवर के साथ सामान भिजवा देती थी ,

एक दिन नेहा की हालत थोड़ी खराब होने लगती है , लगता है , सामान्य फीवर होगा ठीक हो जाएगी वह दो-तीन दिन अपने घर में इसी तरह से निकाल लेती है , लेकिन अब उसे रोजी का डर सताने लगता है  तो वह और ज्यादा घबरा जाती है , वह कुछ समझ नहीं पाती , और अंजलि को फोन लगाकर सारे हाल बताते बताते  रोने लगती है , अंजलि उसको सांत्वना देती है और कहती है बिल्कुल मत घबराओ मैं और रोहित जल्दी ही तुम्हारे पास पहुंचने वाले हैं , और कुछ देर बाद अंजलि और रोहित वहां पहुंच जाते हैं,

रोहित नेहा की हालत देखकर समझ जाता है कि यह निश्चित कोरोना पॉजिटिव ही निकलेगी , अंजलि को रोजी के साथ घर भेज देता है, और नेहा को हॉस्पिटल ले जाता है , उसके दोस्त का क्लीनिक होने के कारण  नेहा को वही रखता है , और वह घर आ जाता है , रोहित और अंजलि मिलकर रोजी को रखने की कोशिश करते हैं , क्योंकि वह थोड़ी थोड़ी देर में मम्मी को याद करके रो रही थी ।

रात में अचानक रोहित के दोस्त का फोन आता है और वह कहता है  जिस पेशेंट को तुम भर्ती करा कर गए थे उसकी हालत थोड़ी नाजुक है । उसका ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा है ,, यह सुनकर अंजलि और रोहित घबरा जाते है , रोहित जल्दी से गाड़ी निकालकर क्लीनिक पहुंचता है । वहां नेहा की हालत देखकर वह घबरा जाता है ।

सारी रात क्लीनिक में गुजारता है , पता नहीं क्यों उसे नेहा को देखकर बहुत दुख हो रहा होता है , सभी के पास कोई ना कोई अटेंडर था लेकिन नेहा बिल्कुल अकेली थी , उसको अकेला देख कर डॉक्टर पूछती हैं क्या कोई इसका अटेंडर है  , कोई कुछ जवाब नहीं देता इतने में रोहित अंदर जाकर कहता है , मैं इसका अटेंडर हू । वह कहती है कि हमारी दवाइयों के साथ साथ आप परिवार वालों का पॉजिटिव व्यवहार मरीज को ठीक होने में बहुत सहयोग देता है , तो मैं चाहूंगी कि आप अपने पेशेंट के साथ हैं पॉजिटिव बातचीत के द्वारा उसका हौसला बढ़ाएंगे , रोहित मुस्कुराकर हां करता है और नेहा की माथे पर हाथ रख देता है ,  नेहा रोहित को देखती है और उसकी आंखों से आंसू बहने लगते  हैं, रोहित उसके आंसू पोछते हुए कहता है , रोजी बिल्कुल ठीक है अंजलि उसका बहुत अच्छे से ध्यान रख रही है , उसे भी डॉक्टर को दिखा दिया है , कुछ नहीं है । बस तुम ही जल्दी ठीक होकर घर जाकर रोजी से मिलना है ।

12 दिन तक रोहित दिन रात एक कर के नेहा को खुश रखने के साथ-साथ स्वस्थ भी कर लेता है, अंजली भी घर से खाना बनाकर भेज ती रही, अंजलि और नेहा की मेहनत और लगन से नेहा नेगेटिव आकर घर वापस आ जाती है , लेकिन वह रोजी से अभी 10 दिन और नहीं मिलना चाहती थी , और फोन पर बार-बार रोहित और अंजलि के द्वारा दिए गए सहयोग के लिए धन्यवाद देती है और बहुत रोती है अंजलि उसे अपनी छोटी बहन की तरह डांट कर और प्यार भी समझाती है अंजलि रोजी की छोटी-छोटी वीडियो बनाकर नेहा को डालती रहती है जिससे कि नेहा और परेशान ना हो ।

रोहित नेहा के घर ज्यादा से ज्यादा समय रहने लगा था क्योंकि नेहा बहुत ज्यादा वीक हो गई थी इसलिए वहां उसका रुकना जरूरी था । नेहा बार-बार कहती हैं ,सर आप चले जाइए , अब मैं मैनेज कर लूंगी , रोहित हंसते हुए कहता है कि अगर दोबारा कुछ हो गया तो अब मैं तुम्हारे साथ हॉस्पिटल में नहीं रुकूंगा  , नेहा धीरे से मुस्कुरा देती है ।

कहीं ना कहीं नेहा के मन में रोहित के लिए शायद कुछ अलग फीलिंग आने लगी थी , वह जानती थी कि यह सब गलत है , रोहित का उसके लिए ख्याल रखना उसे बहुत अच्छा लग रहा था , और वह अंजलि के विश्वास को भी तोड़ना नहीं चाहती थी । घर आए हुए नेहा को 10 दिन हो चुके होते  हैं , धीरे-धीरे रोहित का आना भी कम हो गया था खाना उसका आ जाता था बाकी वह मैनेज कर रही थी , 10 दिन बाद अंजलि रोहित रोजी को लेकर घर आती है, मम्मी को देख कर रोजी नेहा से चिपक जाती है, और बहुत रोते हुए उसे मारती है, नेहा भी बहुत रोने लगती है । यह देखकर अंजलि वहां खड़ी नहीं रह पाती और चली जाती है । नेहा अंजलि की फीलिंग समझ जाती है वह भी कुछ नहीं कह पाती , और वहां रोज़ी को देखने लग जाती है ।

रोहित भी अंजलि के पीछे पीछे चला जाता है , एक औरत के मन की पीड़ा जिसे बच्चे ना हो यह एक मां ही समझ पाती है जिसे नेहा बहुत अच्छी तरह से पहचान गई

अगला भाग

निर्णय (भाग 17) – रश्मि सक्सैना : Moral Stories in Hindi

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!