मुझे चोर नहीं बनना – हेमलता गुप्ता : Moral stories in hindi

 सीमा ….मेरे पर्स से तुमने कुछ पैसे निकाले हैं क्या..? कल मैंने गिनकर पूरे 31 सो रुपए रखे थे उनमें से₹100 का नोट नजर नहीं आ रहा!.. आप एक बार दोबारा गिन लीजिए, मैंने तो कोई पैसे  नहीं निकाले, हो सकता है आपसे गिनने में गलती हो गई होगी! नहीं यार… मैंने दो-तीन बार गिन लिया पर ₹100 कम है, कहां जा सकते हैं पैसे .? 

निलेश तुम याद करो, कहीं तुमने किसी को दे दिए हो और तुम भूल गए हो! नहीं यार… रात को तो ऑफिस से आया हूं ,उसके बाद ना तो  किसी को पैसे दिए ना मैंने कहीं खर्च किए और यह आज ही नहीं हुआ, मैं महीने भर से नोटिस कर रहा हूं, कभी ₹500 कभी ₹100 गायब हो रहे हैं!

दाल में कुछ तो  काला है, तुम एक बार निम्मी से पूछ कर देखना कहीं उसने तो पैसे नहीं निकाले ! निम्मीक्यों पैसे निकालेगी, उसे अगर जरूरत होगी तो मांग लेगी, अपनी बेटी पर संदेह कर रहे हो! नहीं नहीं मैं तो ऐसे ही पूछ रहा था,  हो सकता है मुझसे ही कोई गलती हो गई हो गिनने में, वैसे हमारी जो नई कामवाली आई है

उसके बारे में तुम्हारी क्या राय है? क्या वह ऐसी गड़बड़ कर सकती है? नहीं निलेश जब  वह काम करती है तब मैं यही बैठी रहती हूं, मुझे नहीं लगता वह ऐसा करेगी! तो क्या कोई भूत प्रेत आकर निकाल लेता है, तुमने नहीं निकले, निम्मी ने नहीं निकाले, कामवाली ने भी नहीं निकाले.. तो क्या मैं झूठ बोल रहा हूं? हद होती है किसी बात की! अच्छा ठीक है..

आप गुस्सा मत होइए, मैं ध्यान रखती हूं कल से! अगले दिन सीमा ने सबसे पहले अपनी 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली बेटी पर नजर रखना शुरू किया, दो-तीन दिन तो कुछ नहीं हुआ किंतु एक दिन उन्होंने देखा… निम्मी ने चुपके से अपने पापा के पर्स में से₹200 निकालकर अपनी किताब में रख लिए और स्कूल चली गई!

वैसे भी आजकल निम्मी का व्यवहार कुछ बदला बदला सा रहने लगा था, वह ज्यादातर समय अपना कमरा बंद करके रहने लगी थी, पहले  लगता था कि शायद वह पढ़ाई करती होगी किंतु अब सीमा को उस पर संदेह होने लगा! एक दिन उन्होंने निम्मी के बैग की तलाशी ली तो देखकर एकदम अचंभित रह गई,

निम्मी के स्कूल बैग में से सिगरेट का एक पैकेट निकला! यह देखकर सीमा को बहुत गुस्सा आया किंतु वह गुस्से को पी गई और तब  बेटी को प्यार से अपने पास बिठाकर पूछा, निम्मी बेटा… तुम्हें कुछ पैसे वैसे की जरूरत हो तो बता देना, पापा पूछ रहे थे!  अरे नहीं मम्मी मुझे कोई पैसे की जरूरत नहीं है मैं तो सीधे घर से  स्कूल और स्कूल से  सीधा घर आती हूं! और अगर कोई चीज चाहिए होती है तो वह आप लोग दिला देते हो !

उसके झूठ पर सीमा को गुस्सा आ गया और उन्होंने उसे डांटते हुए कहा… अच्छा पैसों की जरूरत नहीं है तो आए दिन पापा के  पर्स में से पैसे कौन निकल रहा है? मैंने खुद अपनी आंखों से तुम्हें पैसे निकालते देखा है, अब तुम सच-सच बताओ इन पैसों का तुम क्या करती हो? अब अपनी मम्मी के को  सच बताने के अलावा निम्मी के पास कोई चारा नहीं था!

तब उसने रोते हुए कहा.. मम्मी मेरी सारी दोस्त बहुत हाई-फाई जीवन शैली अपना रही है, उनके सामने मुझे अपने आप  पर शर्म आती है, उनको देखकर मेरा मन भी उनकी तरह की जीवन शैली अपनाने को करता है, और कभी कभार उनके साथ मैं भी सिगरेट पीने लगी हूं,

अगर मैं यह सब बात आपको बताती तो आप इसके लिए कभी पैसे नहीं देते, उल्टे मुझसे मेरी दोस्तों से दूर रहने के लिए कहते!  मम्मी आप नहीं समझती.. उनके साथ रहने के लिए मुझे उनके जैसा बनना ही पड़ेगा! किंतु बेटा…जरूरी तो नहीं हम किसी की भी गलत आदतों को अपना ले, तुम्हारी क्लास में और भी तो ऐसे बच्चे होंगे जो पढ़ाई में या अन्य क्षेत्रों में तरक्की करना चाहते हैं

तो तुम उन्हें दोस्त बनाओ, ऐसे दोस्त जो तुम्हारा जीवन बर्बाद कर दें उनसे दूर रहने में ही समझदारी है, दोस्त हमेशा वह बनाओ जो तुम्हारे हित के बारे में सोचें ना कि तुम्हारा ही अहित कर  दे, अभी तुमने अपने घर में छोटी-मोटी चीज चोरी की है कल को तुम पता नहीं आगे क्या करोगी! और जब सब तुम्हें चोर कहेंगे क्या तब तुम्हें अच्छा लगेगा?

निम्मी अपने लिए चोर शब्द का प्रयोग सुनकर डर गई, उसे दिखने लगा कि वह चोर बन गई है और जेल की सलाखों के पीछे है, इस दृश्य से वह बहुत डर गई और उसने अपनी मम्मी से माफी मांगते हुए कहा…नहीं नहीं मुझे चोर नहीं बनना, सच में मम्मी.. मैं गलत रास्ते पर चल पड़ी थी, आपने मेरी आंखें खोल दी ,आज के बाद मैं कोई भी गलत कदम नहीं उठाऊंगी! और न ही कभी आपकी भरोसे को शर्मिंदा करूंगी! ऐसा सुनकर मम्मी ने अपनी बेटी को गले लगा लिया!

  हेमलता गुप्ता स्वरचित 

 मुहावरा प्रतियोगिता दाल में काला होना

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