मुझे बचा लो माँ । – संगीता अग्रवाल 

” गौरव बहु को अच्छे से समझा देना कल के लिए और हां ये भी कि इस बात का जिक्र कही ना करे वो !” बेटे के घर आते ही कान्ति जी बोली।

” हां माँ आप फ़िक्र मत करो वो कल आपके साथ जाएगी !”  गौरव बोला।

” जाना ही होगा बरखुदार कोई और रास्ता थोड़ी है !” गौरव के पिता मदनलाल जी कुटिल हंसी हँसते हुए बोले।

“तुम्हे कल माँ के साथ जाना है.. माँ एक डॉक्टर को जानती हैं जो लिंग जाँच करता है!”अंदर आ गौरव ने अपनी पत्नी नैना से कहा.

” पर लिंग जाँच गैरकानूनी है.. फिर ये तो हमारा पहला बच्चा है क्या फर्क पड़ता है क्या है!” नैना बोली.

” फर्क पड़ता है नैना हमारे यहाँ पहला बच्चा लड़का ही होता आया है..यही परंपरा है जिसके कोख मे बेटी होती उसे गिरा दिया जाता!”गौरव अपने शब्द चबाता हुआ बोला.

” कौन सी दुनिया मे जी रहे हो तुम लोग ऐसा भी होता क्या अब!” नैना गुस्से मे बोली ।

” जितना तुमसे कहा जा रहा करो समझी और ये बात बाहर नही जानी चाहिए इस घर से जाओ अब खाना लेकर आओ !”  गौरव उसे झिड़कते हुए बोला। नैना आँखों मे आंसू लिए रसोई की तरफ चल दी।

ये है गौरव और नैना जिनकी शादी को 5 महीने हुए है और नैना को तीसरा महिना लगा हुआ.. गौरव के घर मे वो सबसे बड़ा है उससे छोटा एक भाई एक बहन हैं…गौरव की बहन तृप्ति और नैना दोस्तों की तरह रहती हैं.. गौरव यूँ तो पढ़ा लिखा है पर सोच उसकी अपनी माँ के जैसी है पुरानी.. वहीं नैना नई सोच की लड़की है । घर मे तृप्ति से ज्यादा गौरव और उसके भाई को प्यार किया जाता था क्योकि वो लड़के थे तृप्ति इसलिए भी अपनी भाभी के ज्यादा नजदीक थी क्योकि भाभी से उसे प्यार मिलता था।

अगले दिन पता लगा नैना की कोख मे लड़की है… डॉक्टर ने चार दिन बाद आने को बोला जिससे वो इस बच्चे को नष्ट कर सके…



“गौरव मैं अपने अजन्मे बच्चे की हत्या नही होने दूँगी!”नैना गौरव से बोली.

” देखो नैना ये बच्ची तो इस दुनिया मे नही आ सकती!” गौरव बोला.

” मैं अपने बच्चे को जन्म दूँगी चाहे कुछ हो जाए…!” नैना गुस्से मे चिल्लाती हुई  बोली.

” तड़ाक.. ज्यादा जबान चल रही समझ नही आती एक बार की बात के हमारे यहाँ पहला बेटा ही होता है…!” गौरव ने नैना के एक थप्पड़ मारा और उसे कमरे मे बंद कर दिया!

” ये सही किया तुमने गौरव जब तक इस बच्ची से छुटकारा नही मिलता बंद रहने दे इसे !”  कांति जी बोली.

नैना को समझ नही आ रहा था वो क्या करे खूब रोई चिल्लाई पर कोई असर नही…वो रोते रोते सो गई वो..

” माँ… माँ.. ” अचानक एक आवाज़ सुनाई दी.

” क.. क.. कौन है..?” नैना चौक कर बोली.

” माँ मैं तेरी ही तो परछाई हूँ.. जो अभी दुनिया मे भी नही आई..!”

” तुम मुझे दिखाई क्यों नही दे रही सिर्फ आवाज़ आ रही तुम्हारी!” नैना बोली.

” माँ मैं अभी अदृश्य हूँ.. मेरा दुनिया मे आना ना आना तुम्हारे हाथ मे है!” आवाज़ आई.

” पर यहाँ कोई नही चाहता तुम दुनिया मे आओ..!” नैना मायूस हो बोली.

” तुम भी नही माँ..??”

” मेरी यहाँ कौन सुन रहा..!” नैना रोते हुए बोली।

” तो क्या माँ तुम मुझे मर जाने दोगी.. मेरे टुकड़े टुकड़े कर नाली मे बहा देंगे वो.. मेरा क्या कुसुर है माँ.. मैं दुनिया मे आना चाहती हूँ ये दुनिया देखना चाहती हूँ माँ… मैं अपने माँ- बाबा का नाम रोशन करना चाहती.. माँ मैं यूँ अदृश्य नही बनी रहना चाहती मुझे एक साकार रूप दे दो ना माँ.. मुझे दुनिया मे ले आओ!” आवाज़ बहुत दर्द भरी हो गई थी अब.

” मैं क्या करूँ मेरी बच्ची मैं खुद मजबूर हूँ… मै तो चाहती हूँ..तुम्हे दुनिया मे लाना पर इन घर वालों को कैसे समझाऊँ ये मेरी बात ही नही सुन रहे!” नैना फफकते हुए बोली.

” एक माँ मजबूर कैसे हो सकती वो भी इतनी के अपने शरीर के अंग को यूँ काट फेंके.. तेरा खून हूँ मैं माँ.. मुझे मांस का लोथडा मत बनने दे… मुझे बचा ले माँ….. मुझे बचा ले…. नही मरना मुझे.. मुझे दुनिया देखनी है…! धीरे धीरे वो आवाज़ दूर होते होते बंद हो गई.

” नही… मैं मजबूर नही हूँ मैं अपनी बच्ची को बचाऊँगी… उसे कैसे भी दुनिया मे लाऊँगी… सुना तूने मेरी बच्ची मैं तुझे मरने नही दूँगी!” नैना अचानक से चौक के उठ बैठी. उसने चारो तरफ देखा कोई नही था पर उस आवाज़ को याद कर वो सिहर उठी ।

” भाभी लो खाना खा लो…!” तभी उसकी ननद तृप्ति खाना लेकर आई.



” तृप्ति मुझे बचा लो मेरी बच्ची को बचा लो..प्लीज़ ये लोग मेरी बच्ची की हत्या कर देंगे… तुम भी एक लड़की हो सोचो कल को तुम्हारे साथ ऐसा हुआ तो…!”नैना अपनी ननद के आगे हाथ जोड़ बोली.

” पर भाभी मैं कैसे… आप तो जानती हो मुझे खुद इन लोगों के खिलाफ बोलने की इज़ाज़त नही… मैं क्या करूँ आप बताओ..!”तृप्ति असमंजस मे बोली.

” बस मुझे किसी तरह कोई फोन दे दो जिससे मैं अपने पापा को फोन कर सकूँ  मेरी बहन जैसी हो तुम तुम्हारा ये एहसान रहेगा सारी जिंदगी मुझपर  !”  नैना ने तृप्ति का हाथ पकड़  कर कहा.

” ठीक है भाभी मैं कोशिश करती हूँ… आप खाना खाओ अभी!” तृप्ति ये बोल चली गई ताला लगा. नैना ने चुपचाप खाना खाया अपने लिए नही अपनी बच्ची के लिए ।

रात को सबके सोने के बाद चुपके से तृप्ति ने गौरव का फोन नैना को लाकर दिया नैना ने अपने पापा को फोन कर सब बात बताई… और नंबर मिटा कर फोन वापिस तृप्ति को दे दिया और बोली.. ”  तृप्ति मैं तुम्हारा ये एहसान जिंदगी भर नही भूलूंगी!”

” भाभी मैं भी चाहती मेरी भतीजी इस दुनिया मे आये!” तृप्ति ने कहा और चली गई.

सुबह नैना के पापा पुलिस को लेकर आये… पुलिस ने दरवाज़ा खोल नैना को आज़ाद करवाया… और लिंग परीक्षण और बच्चा गिरवाने की कोशिश मे नैना के पति और सास ससुर को गिरफ्तार कर लिया साथ ही नैना ने उस डॉक्टर का भी पता बता दिया जो चोरी से ये काम करती है…उसको भी गिरफ्तार कर उसका क्लिनिक सील कर दिया गया.

नैना को उसके पापा अपने साथ ले आये… तय समय पर नैना ने एक बेटी को जन्म दिया… अपनी परछाई को नैना ने मरने से बचा लिया. साथ ही ऐसे गिरी हुई सोच रखने वालो से उसने रिश्ता तोड़ लिया तलाक ले. गौरव के घर सब ये सोच परेशान थे कि आखिरकार नैना के पिता को सब कैसे पता लगा क्योकि तृप्ति ये सब करेगी इसका तो उन्हे दूर दूर तक अंदेशा नही था।

नैना का आज भले उस घर से कोई रिश्ता नही पर तृप्ति से उसकी दोस्ती बरकरार है आखिरकार तृप्ति ने ही तो नैना की मदद की थी.

दोस्तों आज भी हमारे समाज़ मे ये कुरीति घर बनाये हुई है और इसको हवा देते कुछ पढ़े लिखे लोग और ऐसे डॉक्टर जो पैसे के लिए अपने पेशे से गद्दारी करते है… हम लोगों को ऐसे लोगों का नकाब उतारना चाहिए ना की चुप बैठना चाहिए.

आपकी दोस्त

संगीता अग्रवाल 

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