मैं कभी अच्छी भाभी नहीं बन पाई – अर्चना खंडेलवाल : Moral stories in hindi

“बहू नंदिनी का फोन आया है, तू भी बात कर लें, वो तेरे लिए पूछ रही है”। सरिता जी ने फोन अपनी बहू सोनाक्षी को देते हुए कहा।

सोनाक्षी ने मुंह बनाया और ढंग से बात नहीं की, कम शब्दों में हाल पूछे और फोन वापस सरिता जी को पकड़ा दिया, सरिता जी ने उसका चेहरा पढ़ लिया कि उसका बात करने का मन नहीं है, वो कुछ ना बोली और अपनी बेटी नंदिनी का फोन ये कहकर रख दिया कि बाद में बात करती हूं।

“सोनाक्षी, नंदिनी तुमसे बात करना चाहती थी और तुम हो कि उसकी उपेक्षा कर रही हो, वो तुम्हारी बहन जैसी है, तुमसे कितना प्यार करती है, भाभी…भाभी कहकर उसका मुंह नहीं थकता और तुम हो कि उससे दो बोल प्यार के भी नहीं बोलती हो।”

“मम्मी जी, अब आप बात का बतंगड़ मत बनाइये, हाल-चाल पूछ लिये, मैं उनसे देर तक क्या बात करूं? आपकी बेटी है आप बात करिए, मैंने आपको तो मना नहीं किया है, और सोनाक्षी दो टूक जवाब देकर चली गई।

सरिता जी के बेटे हरीश की शादी अभी कुछ महीनों पहले ही सोनाक्षी के साथ हुई थी, और अपनी बेटी नंदिनी को वो एक साल पहले घर से विदा कर चुकी थी, सोनाक्षी जब से आई थी वो नंदिनी के साथ सही व्यवहार नहीं करती थी, उसे नंदिनी का घर पर आना भी पसंद नहीं था,  पिछली राखी पर वो घर आई थी तो सोनाक्षी ने उसके साथ सही व्यवहार नहीं किया, और अपने मायके राखी बांधने चली गई।

सरिता जी ने उसे रोकना चाहा तो वो ये बोली, “अब राखी तो बंधवा ली है, मुझे अपने मायके भी जाना है,और वो सुबह-सुबह ही चली गई, चाहती तो शाम तक भी जा सकती थी, मायके बहुत ज्यादा दूर भी नहीं था।

“बहू, इस तरह तुम चली जाओगी तो नंदिनी क्या सोचेगी?”

“मम्मी जी, नंदिनी दीदी आपकी बेटी है, आप इनका ख्याल रखिए, और मुझे इन सब झंझटों से दूर ही रखिए।”

एक बार नंदिनी आई हुई थी तो सरिता जी ने उसके पसंद की सब्जी बना दी तो सोनाक्षी ने घर में बवाल कर दिया, “आपको पता है, पनीर कितना महंगा आता है, हरीश कितनी मेहनत से पैसा कमाते हैं और आप है कि बेटी आई है तो पैसा पानी की तरह बहा रही है, ये घर मै कितनी मुश्किलों से चलाती हूं, आप आलू की सब्जी भी बना सकती थी।”

सरिता जी का मन धक से रह गया, और आंखें भीग आई, हरीश घर का इकलौता कमाने वाला है और उसके पापा की भी कोई पेंशन नहीं आती है, अभी थोडे महीनों पहले ही उनके पति गंभीर बीमारी से चल बसे, उसके इलाज में ही उनकी जमा-पूंजी और गहने भी चले गए, बस तभी से वो अपने बेटे की कमाई से घर चला रही थी, सोनाक्षी ने आते ही पूरा पैसा अपने हाथों में ले लिया और अब वो अपने हिसाब से घर चलाती है, उसके मायके से कोई आता या भाई आता तो पैसा पानी की तरह बहाती है, लेकिन नंदिनी जब घर आये या सरिता जी पर एक भी रूपया खर्च हो जाएं तो वो घर में हंगामा खड़ा कर देती है।

समयचक्र अपनी गति से चल रहा था, कुछ महीनों बाद सोनाक्षी के भाई की सगाई हो गई, उसने भाई की शादी के लिए बड़ी भागदौड़ कर तैयारी की, और प्यारी सी भाभी स्नेहा घर पर ले आई।

शुरू मे कुछ महीने सब ठीक चला फिर स्नेहा ने भी अपने रंग दिखाने शुरू कर दिए, सोनाक्षी जब चाहें मायके पहुंच जाती थी, ये बात स्नेहा को चुभने लगी थी, कोई भी छोटा त्योहार हो या जन्मदिन हो, उनकी पहली शादी की वर्षगांठ पर भी सोनाक्षी सरप्राइज देने के नाम पर पहुंच गई, जबकि उन दोनों ने कुछ और ही योजना बना रखी थी, स्नेहा का सारा मूड खराब हो गया।

स्नेहा का गुस्सा आज फूट जाता है, “सोनाक्षी दीदी आपको अपने ससुराल में कोई काम नहीं है क्या? जब देखो यहां आ जाती हो,  माना एक ही ननद हो, पर ये क्या तरीका हुआ कि हर बार बिना बुलाए धमक जाती हो और हर जगह हर पार्टी के लिए हम अपने साथ आपको लेकर क्यों जाएं? क्या हमारा खर्चा नहीं होता है, अब सारा पैसा आप पर ही लुटा देंगे क्या? कितनी महंगाई है, कोई चीज सस्ती आती है क्या?

कल ही मम्मी जी से आपने गुलाब जामुन बनवाकर खाये है, क्या बाजार में गुलाब जामुन नहीं मिलते हैं?इन्हें तो बस मायके वालों के पैसे खर्च करवाने है।

हमारी अपनी जिन्दगी, हमारी अपनी निजता कुछ भी नहीं है। अब आपकी शादी हो चुकी है, आपको समझना चाहिए।

 अपनी भाभी की बात सुनकर सोनाक्षी के पांव वही पर जम गये, आंखें आंसुओ से भीग गई, आज समयचक्र के कारण कल जिस जगह उसकी ननद नंदिनी खड़ी थी, आज उसी जगह वो अपने आपको खड़ा पा रही थी। समय किसी को क्षमा नहीं करता है, जब समय का पहिया घुमता है तो सब कर्मों का हिसाब यहीं पर बराबर हो जाता है।

जैसा व्यवहार उसने अपनी ननद के साथ किया, वैसा ही व्यवहार आज उसकी भाभी उसके साथ कर रही है। सोनाक्षी की मम्मी भी लाचार खड़ी थी जैसे उसकी सास उसके सामने लाचार हो जाती हैं।”

वो भर्राए गले से बोली, “तुम ठीक कह रही हो, मै ही ज्यादा आकर तुम्हें परेशान कर रही थी, पर भाभी आप गलत नहीं हो, मेरी जैसी ननद के साथ यही व्यवहार होना चाहिए, मै खुद कभी अच्छी भाभी नहीं बन पाई तो आपसे उम्मीद कैसे रख सकती हूं।”

सोनाक्षी भारी कदमों से अपने ससुराल लौट आई, और उसने अपने व्यवहार के लिए अपनी सास और ननद से माफी मांग ली, तब जाकर उसके मन का बोझ हल्का हुआ।

अर्चना खंडेलवाल

मौलिक अप्रकाशित रचना

#समयचक्र

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