माँ – नीलिमा सिंघल 

मानसी के विवाह को 7 महिने हो चुके थे, बहुत खुशहाल ससुराल था उसका, ससुराल मे पति सास ससुर और एक  नन्द थी जिसकी शादी हो चुकी थी, सभी मानसी को बहुत प्यार करते थे, 

एक दिन अचानक मानसी की तबियत खराब हुई तो उसको अस्पताल ले जाया गया जहाँ से वापस आकर सबको खुशखबरी सुनाई गयी, मानसी माँ बनने वाली थी ।

उसकी नन्द कावेरी को जब ये खुशखबरी दी गयी तो भागे भागे चली आयी ,एक ही शहर मे ससुराल और मायके होने का सबसे बड़ा लाभ यही होता है। 

आते ही कावेरी ने मानसी को गले लगा लिया,,और ढेर सारा प्यार भरा आशीर्वाद देते हुए बोली, ” भाभी दिल खुश कर दिया आपने,,बहुत समय बाद कोई नन्हा मुन्हा आएगा घर मे,,

सब मानसी का बहुत ध्यान रखते थे, उसके खाने पीने का,,आराम का,  मेडिसिन का, एक्सर्साइज का, मेवे फल सब खिलते जाते साथ ही आधी रात को भी मन करता कुछ खाने पीने का,,कहीं घूमने का,,राघव सब पूरा करता था,,क्यूंकि राघव के मम्मी पापा ने उसको बोल रखा था कि, ” ऐसे समय मूड स्विंग होता है, व्यवहार बदलता रहता है इसीलिए नाराज कभी मत होना, हमेशा ऐसे रहना जिससे मानसी अपने दिल की बात तुमसे कह पाने मे कभी भी संकोच ना करे “

पूरे 9 महिने बाद मानसी ने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया,,कावेरी रोज सा घर आती और अपनी ममता मानसी के दोनों बच्चों पर उड़ेलती,,उनकी मालिश करती, नहलाती,,यहां तक के दोनों बच्चों के नाम भी उसने ही रखे,, पलाश और सारांश,,,,

इतनी ममतामयी होने के बाद भी ममता देने के लिए कावेरी के पास कोई नहीं था,,शादी के 7 साल बाद वो माँ नहीं बन पाई थी,,,तो भाई के दोनों बच्चों का खास ख्याल रखती,,,

1 महीने बाद कावेरी ने आना थोड़ा कम कर दिया क्यूंकि उसके घर के 10 काम होते थे। 




मानसी दोनों बच्चों को संभालती थी,,सब साथ देते थे पर कभी नींद पूरी नहीं होती थी तो कभी दिन का आराम भी गायब रहता,,

उसकी दिन पर दिन बढ़ती परेशानी और चिड़चिड़ापन देखते हुए उसकी सास महिमा जी उसके पास आयी और बोली, ” बेटा,,मैं कुछ कहने आयी हूं तुझसे,,ठंडे दिमाग से सुनना,,पलाश और सारांश दोनों को हो पूरी देखभाल की जरूरत है अगर तू चाहे तो,,,,,

“माँ आप क्या कहना चाहती है,,साफ साफ कहिये,

मैं सुन रही हूँ,,और हाँ, आपकी ये बात बिल्कुल सही है कि दोनों ही बच्चों को पूरी देखभाल की जरूरत है,,और आप सभी के साथ मिलकर मैं पूरी कोशिश भी करती हूं,,पर,,,”

“बेटा,,तू चाहे तो एक बच्चा कावेरी को दे दे,,तेरा काम भी आसान हो जाएगा और बच्चों की परवरिश भी अच्छे से हो जाएगी “

अपनी सास की बात सुनकर मानसी उन्हें देखने लगी,,तो महिमा जी ने जाते जाते  आगे कहा, ” बेटा,,तू माँ है,,अच्छी तरह सोचकर ही जबाव देना,,जैसा चाहेगी होगा वैसा ही “

मानसी की समझ मे नहीं आ रहा था वो क्या बोले,,,क्या करे,,,उसके दिमाग की नसें दर्द करने लगी सोच सोचकर। 

रात को जब राघव आया तो मानसी को परेशान देखकर बोला, ” क्या बात है, मानसी,,,क्या आज भी नींद नहीं ले पायीं दिन मे?”

मानसी ने सोचा,,राघव से बात करके देखती हूँ शायद कोई रास्ता मिल जाए। 

मानसी ने कहा, ” राघव आज माँ आयीं थीं,,और सारी बात बताते हुए कहा,,तुम बताओ मैं क्या करूं?”




राघव ने कुछ पल मानसी को देखा फिर कहा, ” मानसी गलत तो कुछ भी नहीं है इसमें फिर कावेरी ने हमेशा मेरा साथ दिया और तुम्हारा भी ख्याल रखा,,माँ की कमी ही पूरी नहीं हो पायी उसकी,,पर क्यूंकि तुम माँ हो,,आखिरी निर्णय तुम्हारा ही होगा जैसा मन करे वैसा ही करना, किसी भी तरह का प्रेशर मत लेना ।”

 मानसी पूरी रात सोचती रही,,फिर सुबह उसने कावेरी को फोन मिलाया, ” दी,,आप आ सकती हो क्या?:

कावेरी घबरा गयी मानसी के फोन से उसने पूछा, ” भाभी,,पलाश और सारांश ठीक तो हैं “

” हाँ दीदी,,दोनों ठीक हैं, बस आपसे कुछ कहना है “

“ठीक है भाभी,,, आती हूं ” कहकर फोन रख दिया कावेरी ने और जल्दी से जल्दी तैयार होकर अपने घर पहुंची। 

कावेरी को देखकर मानसी आगे बढ़ी और अपनी नन्द को गले लगाते हुए बोली, ” दीदी,,आप बहुत अच्छी है,,हमेशा मुझसे छोटी बहन जैसा प्यार करती हैं,,क्या मेरे सारांश को आप अपनी गोद दे सकती हैं “

कावेरी हकबका कर बोली, “मतलब “

” दीदी ईश्वर ने मुझे जुड़वां बच्चे शायद इसीलिए ही दिए हैं जिससे आपकी भी गोद भर जाए ,क्या आप मेरे सारांश की यशोदा मैया बनेंगी “

“भाभी,,,आप ऐसा कैसे कह रही हैं ” कांपते स्वर मे कावेरी बोलो,,उसको अपने कानों पर भरोसा नहीं हो रहा था। 

फिर अचानक से मानसी को गले लगाकर रो पड़ी, “भाभी कलेजे का टुकड़ा बनाकर रखूंगी, बहुत-बहुत धन्यवाद आपका। “




कावेरी हफ्ते मे 3-4 बार सारांश को अपने मायके लेकर आती थी। 

3 साल बीत गए ,,,एक रात पलाश की तबियत बहुत खराब हुई,,बहुत इलाज करवाया पर 3 दिन बाद ही मानसी की गोद उजड़ गयी। 

कावेरी रोज आती पर अब सारांश को साथ नहीं लाती,,,पलाश की मौत के सातवें दिन जब मानसी को थोड़ा होश आया तो उसने अपने आसपास देखा फिर कावेरी से पूछा, ” दीदी, सारांश कहां है,,उसको नहीं लायी क्या?:

“वो,,,,वो भाभी,,,,भाभी के सारांश स्कूल गया है,,”कावेरी अचकचा कर बोली। 

“पर दीदी,,आज तो संडे है,,; मानसी ने टोका तो कावेरी को ऐसा लगा जैसे उसकी कोई चोरी पकड़ी गयी हो। 

मानसी ने कावेरी को गौर से देखते हुए कहा,,दीदी,,माँ बनकर नहीं तो मामी बनकर तो उसको गले लगा सकती हूं ना,,,पत्थर दिल नहीं हूं जो एक माँ से उसका बच्चा छीन लूं,,,मेरी खुद की गोद उजड़ गयी तो,,,तो मैं आपकी गोद कैसे उजाड़ सकती हूं ” बोलते बोलते हिचकियाँ बंध गयी थी मानसी की। 

रोते रोते कावेरी ने कहा, “मुझे माफ़ कर दो भाभी,,मैं डर गयी थी,,अपनी तरह की हिम्मत नहीं है मुझमे,,,,,मैं अभी लाती हूं सारांश को,,,मुझे माफ़ कर दो भाभी,,,,,ईश्वर इतना निर्दयी नहीं हो सकता,,,वो आपकी गोद जल्दी ही भरेगा भाभी “

महिमा,,राघव दोनों मानसी को देख रहे थे कि इतने बड़े दुख के बाद भी विचलित नहीं हुई। ।

सही मायने मे माँ थी मानसी,,,

इतिश्री 

नीलिमा सिंघल

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